बिग स्क्रीन का बड़ा संकट : 10 दिन से खुले थियेटर में कर्मचारी मार रहे है मक्खियाँ; नहीं आ रहे दर्शक

बिग स्क्रीन का बड़ा संकट : 10 दिन से खुले थियेटर में कर्मचारी मार रहे है मक्खियाँ; नहीं आ रहे दर्शक

10 दिन से खुल चुके है मल्टीप्लेक्स और थियेटर, पर अभी भी नहीं आ रहे दर्शक

देश भर में कोरोना महामारी के केस कम होने के बाद से ही अब कई तरह की छूट मिलना शुरू हो गई है। ऐसे में विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा राज्य में थियेटर खोलने के आदेश दे दिये गए है। महाराष्ट्र, तमिलनाडु और केरल को छोड़कर देश के ज्यादातर मल्टीप्लेक्स 30 जुलाई से खुल गए हैं। हालांकि, थियेटर खुले 10 दिन होने आए, पर मुश्किल से 5-10% लोग ही थिएटर जाते हैं। नई फिल्में रिलीज नहीं हो रही, जिसके चलते मल्टीप्लेक्स बंद है। सबसे बुरा हाल सिंगल स्क्रीन थिएटर का है।
देश में 9600 थिएटर स्क्रीन हैं, जिनमें 6,000 से अधिक सिंगल स्क्रीन और बाकी मल्टीप्लेक्स हैं। इस व्यवसाय में थिएटर के कर्मचारियों के अलावा भोजन, परिवहन, प्रचार और अन्य शामिल हैं। देश के अधिकांश उद्योगों ने काम शुरू कर दिया है। हालांकि एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में अभी काम शुरू नहीं हुआ है और अभी भी कब सब कुछ पहले जैसा होगा कुछ कहा नहीं जा सकता। दुनिया भर में, अप्रैल में मोर्टल कोम्बेट फिल्म सिनेमाघरों के साथ-साथ डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी आई। हालांकि, मल्टीप्लेक्स चेन ने इस फिल्म के साथ थिएटर खोलने का फैसला किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। फिल्म ने दुनियाभर में करोड़ों की कमाई कर ली है। हालांकि भारत में यह फिल्म नहीं चली। 
सिनेमा ओनर्स एंड एग्जिबिटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष नितिन दातार ने कहा कि हॉलीवुड फिल्में केवल उन सिनेमाघरों में दिखाई जाती हैं जहां 2K प्रोजेक्टर है। बड़े शहरों में बहुत कम सिंगल स्क्रीन थिएटरों में इस प्रकार का प्रोजेक्टर होता है। सिंगल स्क्रीन वाली ज्यादातर हिंदी फिल्में रिलीज होने का इंतजार कर रही हैं। मल्टीप्लेक्स में एक सिंगल स्क्रीन में आमतौर पर 200 लोग बैठ सकते हैं। जबकि सिंगल स्क्रीन थियेटर में 700 लोगों के बैठने की जगह है। मल्टीप्लेक्स के लिए एक या दो स्क्रीन चलाना संभव है, लेकिन 700 लोगों के बैठने की क्षमता वाले थिएटर में 50 लोग ही हों तो थिएटर को जारी रखना महंगा साबित हो रहा है।  

लॉकडाउन में कारोबार बंद था और सिंगल स्क्रीन मालिक अपने बिजली बिल और संपत्ति कर का भुगतान नहीं कर सके। कई कनेक्शन भी काटे गए हैं। अगर सरकार मदद नहीं करती है और ऋण की व्यवस्था नहीं की जाती है तो फिर से थियेटर शुरू करना मुश्किल साबित होगा। अभी तक सिर्फ 'बेलबॉटम' की रिलीज डेट का ही ऐलान किया गया है। सिंगल स्क्रीन मालिक चाहते हैं कि फिल्म की रिलीज की तारीख जल्द से जल्द घोषित की जाए ताकि उन्हें विश्वास हो सके कि उनका व्यवसाय बिना किसी रुकावट के चल पाएगा। 
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र की वजह से हिंदी फिल्मों की रिलीज डेट की अभी घोषणा नहीं की गई है। मुंबई सर्किट के खुलने तक स्थिति सामान्य नहीं होगी। उत्तर भारत के एक फिल्म वितरक करण भाटिया ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कुछ सिंगल स्क्रीन थिएटर शुरू हो गए हैं। हालांकि दिल्ली में एक भी सिंगल स्क्रीन लॉन्च नहीं हुई है। कुछ बड़ी फिल्मों की रिलीज डेट की घोषणा अभी नहीं की गई है। लोग अभी भी स्थिति सामान्य होने का इंतजार कर रहे हैं। सितंबर से पहले स्थिति में सुधार की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है। हॉलीवुड की फिल्में मल्टीप्लेक्स में नहीं चलती हैं। आंध्र और तेलंगाना में, 'टिमारुसु' और 'इश्क: नॉट ए लव स्टोरी' दो तेलुगु फिल्म सुपरफ्लॉप थीं। एक भी हाउसफुल बोर्ड कहीं नहीं लगा। कुछ सिनेमाघरों में तो दर्शकों के ना आने से शो भी कैंसिल करने पड़े है। 
ट्रेड एनालिस्ट और फिल्म निर्माता गिरीश जौहर ने कहा कि अक्षय कुमार की 'बेलबॉटम' और हॉलीवुड की 'फास्ट एंड फ्यूरियस 9' को देखने जाने वाले लोगों की संख्या के आधार पर ही अन्य फिल्म अपनी रिलीज डेट की घोषणा करेंगे। 'बेलबॉटम' के रिलीज होने से पहले महाराष्ट्र में थिएटर शुरू हो जाएगा। अगर 15 अगस्त तक मुंबई टेरिटरी खुल जाती है तो थिएटर का कारोबार फिर से शुरू हो सकता है।
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