अहमदाबाद : 21वीं शताब्दी के भारत के विकास में ऊर्जा समान है विज्ञान : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

अहमदाबाद : 21वीं शताब्दी के भारत के विकास में ऊर्जा समान है विज्ञान : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

प्रधानमंत्री ने अहमदाबाद में आयोजित ‘सेंटर-स्टेट साइंस कॉन्क्लेव’ का वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग द्वारा किया उद्घाटन

अहमदाबाद में आयोजित सेंटर-स्टेट साइंस कॉन्क्लेव में उपस्थित लोग
 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अहमदाबाद में आयोजित सेंटर-स्टेट साइंस कॉन्क्लेव (केन्द्र-राज्य विज्ञान सम्मेलन) का रविवार को वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से उद्घाटन करते हुए बलपूर्वक कहा कि इस कॉन्क्लेव का आयोजन ‘सबका प्रयास’ का स्पष्ट उदाहरण है। साइंस सिटी में आयोजित इस कॉन्क्लेव में गुजरात सहित देश के विभिन्न राज्यों के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री एवं सचिव सहभागी हुए हैं। श्री मोदी ने कहा कि 21वीं शताब्दी के भारत के विकास में ऊर्जा समान है विज्ञान, जो प्रत्येक क्षेत्र के विकास एवं प्रत्येक राज्य के विकास को वेग देने की शक्ति रखता है। आज जब भारत चौथी औद्योगिक क्रांति की ओर आगे बढ़ रहा है, तब भारत के विज्ञान व इस क्षेत्र से जुड़े लोगों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है। ऐसी स्थिति में प्रशासन एवं नीति निर्माण में लोगों का दायित्व उल्लेखनीय रूप से बढ़ जाता है।

हम इतिहास से जो सबक़ सीख सकते हैं, वे केन्द्र व राज्यों;दोनों के लिए सहायक होंगे


उन्होंने बलपूर्वक कहा कि विज्ञान समाधानों, उत्क्रांति व नवीनता का आधार है और इस प्रेरणा से ही आज का नया भारत ‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान तथा जय अनुसंधान’ के साथ आगे बढ़ रहा है। हम इतिहास से जो सबक़ सीख सकते हैं, वे केन्द्र व राज्यों;दोनों के लिए सहायक होंगे। इसका विशेष उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि हम पिछली शताब्दी के प्रारंभिक दशकों का स्मरण करें, तो हमें पता चलता है कि विश्व किस प्रकार विनाश एवं दुर्घटनाओं के काल से गुज़र हो रहा था, परंतु उस युग में भी पूर्व हो या पश्चिम;प्रत्येक स्थान पर वैज्ञानिक अपनी महान शोधों (खोजों-आविष्कारों) में व्यस्त थे। पश्चिम में आइंस्टीन, एरिको फ़र्मी, मैक्स प्लैंक, नील्स बोहर तथा निकोला टेस्ला जैसे विज्ञान अपने प्रयोगों से दुनिया को चौंका रहे थे; तो पूर्व में सी. वी. रमन, जगदीश चंद्र बोस, सत्येन्द्रनाथ बोस, मेघनाद साहा और एस. चंद्रशेखर सहित कई वैज्ञानिक अपने नए आविष्कार दुनिया के समक्ष ला रहे थे। 

प्रधानमंत्री ने  वैज्ञानिकों की भूमिका की प्रशंसा की

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्व तथा पश्चिम के मध्य के अंतर को रेखांकित किया, क्योंकि हम स्वयं ही हमारे वैज्ञानिकों के कार्यों को उचित मान्यता (आदर-सम्मान) नहीं दे रहे थे। प्रधानमंत्री ने इस ओर ध्यानाकर्षित किया कि जब हम हमारे वैज्ञानिकों की उपलब्धियों का उत्सव मनाते हैं, तब विज्ञान हमारे समाज व संस्कृति का भाग (हिस्सा) बन जाता है। उन्होंने प्रत्येक नागरिक से हमारे देश के वैज्ञानिकों की उपलब्धियों का उत्सव मनाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक देश को उसके उत्सव मनाने के लिए पर्याप्त कारण दे रहे हैं। श्री मोदी ने कोरोना रोधी टीका विकसित करने तथा विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान में योगदान देने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों की भूमिका की प्रशंसा की।

सरकार के प्रयासों के कारण आज भारत वैश्विक नवाचार सूचकांक  में 46वें स्थान पर है

प्रधानमंत्री ने दोहराया कि सरकार विज्ञान आधारित विकास की विचारधारा के साथ कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। सरकार के प्रयासों के कारण आज भारत वैश्विक नवाचार सूचकांक (ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स) में 46वें स्थान पर है, जो वर्ष 2015 में 81वें स्थान पर था। उन्होंने देश में रिकॉर्ड संख्या में पेटेंट रजिस्टर्ड होने की स्वीकारोक्ति की और इनोवेशन के वातावरण तथा वाइब्रेंट स्टार्टइप इकोसिस्टम का भी उल्लेख किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ध्यान दिलाया कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा नवीनता की ओर झुकाव हमारी युवा पीढ़ी के डीएनए में है। हमें इस युवा पीढ़ी को पूरी शक्ति से समर्थन देने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने युवाओं की नवीन भावनाओं को समर्थन देने के लिए अनुसंधान एवं नवाचार क्षेत्र में नए क्षेत्रों व मिशनों की सूची दी। उन्होंने स्पेस मिशन, नेशनल सुपर कम्यूटिंग मिशन, सेमीकंडक्टर मिशन, मिशन हाइड्रोजन और ड्रोन टेक्नोलॉजी के उदाहरण दिए। 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की शिक्षा मातृभाषा में देकर इसे प्रोत्साहन दे रही है

उन्होंने कहा कि इसी प्रकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP)विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की शिक्षा मातृभाषा में देकर इसे प्रोत्साहन दे रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बलपूर्वक कहा कि इस अमृतकाल में भारत को अनुसंधान एवं नवाचार का वैश्विक केन्द्र बनाने के लिए हमें क साथ अनेक मोर्चों पर कार्य करना होगा। उन्होंने साइंस एंड टेक्नोलॉजी (STI) से संबंधित अनुसंधानों को स्थानीय स्तर तक ले जाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि राज्यों में उच्च शिक्षा सस्थानों में भी इनोवेशन लैब की संख्या बढ़ानी चाहिए। उन्होंने प्रत्येक राज्य से विज्ञान, नवाचार व प्रौद्योगिकी संबंधी आधुनिक नीति का निर्माण करने को भी कहा। उन्होंने कहा कि सरकार के रूप में हमें हमारे वैज्ञानिकों के साथ अधिक से अधिक सहयोग करना होगा। यह एक वैज्ञानिक आधुनिकता का वातावरण बनाएगा।

बुनियादी स्तर पर विज्ञान को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम आयोजित करने का आह्वान किया

प्रधानमंत्री ने बलपूर्वक कहा कि राज्यों को राष्ट्रीय स्तर के कई वैज्ञानिक संस्थानों व राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं की क्षमता तथा कुशलता का पूरा लाभ लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें वैज्ञानिक संस्थानों तथा कुशलता के अधिकतम् उपयोग के लिए विज्ञान से सम्बद्ध हमारे संस्थानों को सिलोस (भूमिगत कक्षा) की स्थिति से बाहर ले जेना होगा। उन्होंने बुनियादी स्तर पर विज्ञान को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम आयोजित करने का आह्वान किया। उन्होंने राज्य के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रियों को सुझाव देते हुए कहा कि वे अपने विज्ञान पाठ्यक्रम के अच्छे अभ्यास और पहलुओं को साझा करें।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में किसी भी अवसर को हाथ से न जाने दें

संबोधन के समापन में प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि 'राज्य-केंद्र विज्ञान सम्मेलन' देश में विज्ञान की प्रगति की दिशा में एक नया आयाम और संकल्प जोड़ेगा। प्रधानमंत्री ने सभी से आग्रह किया कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में किसी भी अवसर को हाथ से न जाने दें। प्रधानमंत्री ने कहा, "आने वाले 25 साल भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण वर्ष हैं, क्योंकि यह आने वाले भारत की नई पहचान और शक्ति का निर्धारण करेगा।" प्रधानमंत्री ने प्रतिभागियों से इस कॉन्क्लेव से मिली सीख को अपने राज्यों में ले जाने और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का भी आग्रह किया। 
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