अहमदाबाद : मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए किसी को हाईकोर्ट तक आना पड़े तो यह दुःखद!

अहमदाबाद : मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए किसी को हाईकोर्ट तक आना पड़े तो यह दुःखद!

कोरोना काल की दूसरी लहर के दौरान निधन हो गई एक महिला के परिजनों को सुरेंद्रनगर नगर निगम और अहमदाबाद नगर निगम द्वारा मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं देने पर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।  मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने गंभीर नाराजगी जताते हुए सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि एक व्यक्ति को मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए हाईकोर्ट आने को मजबूर होना पड़ता है। हाईकोर्ट ने इस मामले में अहमदाबाद नगर निगम और सुरेंद्रनगर नगर निगम को नोटिस जारी किया था। उच्च न्यायालय ने जिम्मेदार अधिकारी को अगले तारीख पर उच्च न्यायालय के समक्ष पेश होने और यह बताने का निर्देश दिया कि पत्नी की मृत्यु के बाद याचिकाकर्ता को मृत्यु प्रमाण पत्र क्यों जारी नहीं किया गया। हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई सात सितंबर मुकर्रर की है।
आवेदक के पति द्वारा दायर रिट में यह प्रस्तुत किया गया था कि आवेदक की पत्नी की मृत्यु 4-4-21 को कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान हुई थी।  अप्रैल-2021 में याचिकाकर्ता की पत्नी को इलाज के लिए सुरेंद्रनगर अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी तबीयत बिगड़ गई और उसे अहमदाबाद सिविल अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया। इस दौरान डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद याचिकाकर्ता की पत्नी का सुरेंद्रनगर में अंतिम संस्कार किया गया। बाद में जब याचिकाकर्ता अपनी दिवंगत पत्नी का मृत्यु प्रमाण पत्र लेने सुरेंद्रनगर नगर निगम गया तो वहां के अधिकारियों ने मृत्यु प्रमाण पत्र देने से इनकार कर दिया और अहमदाबाद नगर निगम से बनवाने को कहा। इसलिए याचिकाकर्ता ने अहमदाबाद महानगर पालिका के अधिकारियों के समक्ष पेशकश किया, लेकिन अहमदाबाद मनपा अधिकारी भी मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने से इनकार कर रहे हैं। इस प्रकार, याचिकाकर्ता को दो नगर निगमों के बीच धक्का खाना पड़ रहा है और संबंधित निगमों के अधिकारी एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं।
 ऐसे अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो : हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने सरकार को यह भी निर्देश दिया कि वर्तमान मामले में मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने में शामिल जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। इस मामले में अहमदाबाद नगर निगम और सुरेंद्रनगर नगर निगम के अधिकारी एक दूसरे पर जिम्मेदारी थोप रहे हैं, यह गंभीर मामला है। हाईकोर्ट ने इस बारे में सरकार से सवाल किया लेकिन सरकार की ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया। 
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