अहमदाबाद : रथयात्रा से पहले भगवान का नेत्रोत्सव विधि एवं आरती की गई
By Loktej
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भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलराम अपने मामा के घर से अपने निज मंदिर लौट आए
शहर में 145वीं जगन्नाथजी रथयात्रा को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। कोरोना महामारी के चलते दो साल तक बिना भक्तों के भगवान की रथयात्रा का आयोजन किया गया था। इस बार भक्तों में खासा उत्साह है। बुधवार को भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलराम अपने मामा के घर से अपने निज मंदिर लौट आए हैं। बुधवार को मंदिर में नेत्रोत्सव समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें गुजरात भाजपा अध्यक्ष सी. आर. पाटिल और हर्ष संघवी विशेष रूप से उपस्थित थे। नेत्रोत्सव समारोह में भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलदेव को गर्भगृह में प्रवेश कराया जाता है। नेत्रोत्सव की रस्म सुबह से शुरू हो गई थी। एक लोककथा है कि नगर के नाथ मामा के घर सरसपुर से जमालपुर मंदिर में वापस आते है। मामा के घर से लौटने पर भगवान की आंखे आई रहती है। इसलिए गर्भगृह में प्रवेश कर भगवान के नेत्रों पर चंदन का लेप लगाकर पट्टियां बांधी जाती है।
रथयात्रा से पहले भगवान जगन्नाथ 15 दिन पहले अपने मौसी के घर जाते हैं। वहां से वह अपने निज मंदिर लौट जाते हैं। मौसी के घर में तीनों भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम एवं बहन सुभद्रा का खूब स्वागत किया जाता है। उसे ढेर सारी मिठाइयाँ और जैम खिलाए जाते हैं। जिससे उनकी आंखें आ जाती है। इसलिए बुधवार को मंदिर में प्रवेश करने के बाद भगवान की आंखों पर पट्टी बांधी गई है। इस पूरे अनुष्ठान को नेत्रोत्सव कहा जाता है।
अब आषाढ दूज के दिन सुबह 4 बजे भगवान के नेत्रों से पट्टी खोली जाएगी। इसके बाद ध्वजारोहण का कार्यक्रम हुआ। जिसके बाद गृह मंत्री हर्ष संघवी मंगल आरती की। बुधवार को मंदिर में सफेद दाल (खीर) और काली रोटी (मालपुड़ा) भंडारा रखा गया था। इस भंडारे का लाखों भक्तों ने लाभ लिया। भगवान के नेत्रोत्सव समारोह के बाद सुबह ध्वजारोहण समारोह आयोजित किया गया। इसके बाद विशेष पूजा और आरती हुई।
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