This is Afghan culture. I am wearing a traditional Afghan dress. #AfghanistanCulture pic.twitter.com/DrRzgyXPvm
— Dr. Bahar Jalali (@RoxanaBahar1) September 12, 2021
अफगानिस्तान के अमेरिकी विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर जलाली ने पोस्ट की रंगीन अफगान पारंपरिक पोशाक में एक तस्वीर
जब से अफगानिस्तान में तालिबानी सत्ता में आई है तब से तालिबान महिलाओं की स्वतंत्रता को छिनने में लगा हुआ है। तालिबान इसी काम के लिए जाना जाता है और एक बार फिर महिलाओं की मुक्ति को प्रतिबंधित करने की कोशिश कर रही है, जैसा कि उसने अपने पिछले शासन के दौरान किया था। लेकिन सोशल मीडिया की ताकत को महसूस करते हुए अफगान महिलाएं इस बार हार मानने को तैयार नहीं हैं और कई अफगान महिलाएं क्रूर तालिबान को चुनौती देने के लिए ऑनलाइन अभियान चला रही हैं।
आपको बता दें कि तालिबान के इस्लामिक ड्रेस कोड के खिलाफ डॉक्टर जलाली ने एक अभियान शुरू किया है। अफगानिस्तान के अमेरिकी विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर और देश के पहले लिंग अध्ययन कार्यक्रम के आरंभकर्ता डॉक्टर बहार जलाली ने रंगीन अफगान पारंपरिक पोशाक में एक तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा है "यह अफगानिस्तान की वास्तविक संस्कृति है।"
जलाली ने कहा कि उन्होंने लोगों को सूचित करने, उन्हें एकजुट करने और तालिबान द्वारा फैलाई जा रही गलत सूचना के खिलाफ लड़ने के लिए अपना अभियान शुरू किया था। उन्होंने कहा, "अफगानिस्तान के इतिहास में कोई भी महिला तालिबान जैसे कपड़े नहीं पहनती है। यह अफगान संस्कृति नहीं है। यह किसी भी तरह से अफगान संस्कृति नहीं हो सकती।
Me wearing traditional Afghan attire in Kabul. This is Afghan culture and this is how Afghan women dress. @RoxanaBahar1 pic.twitter.com/fUZSqy4rRK
— Waslat Hasrat-Nazimi (@WasHasNaz) September 12, 2021
गौरतलब है कि महिलाओं की सुरक्षा और स्वतंत्रता पर तालिबान का रुख कट्टरता से भरा हुआ है। सरकार बनने के बाद तालिबान ने कहा कि युवक और युवतियां विश्वविद्यालयों और स्कूलों में एक साथ पढ़ सकते हैं। जिसके बाद कॉलेज में पुरुष और महिला छात्रों के बीच क्लासरूम में स्क्रीनशॉट भी खूब वायरल हुए। हालाँकि, तस्वीरें आने के कुछ ही दिनों बाद, उच्च शिक्षा मंत्री अब्दुल हक्कानी ने घोषणा की कि देश में युवक-युवतियों को एक साथ पढ़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को लिंग के आधार पर अलग किया जाएगा और इन शिक्षण संस्थानों में एक नया इस्लामी ड्रेस कोड पेश किया जाएगा।