कश्मीर व कश्मीरियत को अपनाएं : राम माधव

कश्मीर व कश्मीरियत को अपनाएं : राम माधव

‘हिन्दुत्व पैराडाइज’ पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में भाग लेने सूरत पहुंचे

सूरत. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पूर्व सदस्य राम माधव ने शनिवार को सूरत में कहा कि भारतीय संविधान के अनुरूप देश 70 साल से लगातार निर्बाध गति से आगे की ओर बढ़ रहा है, लेकिन इसमें भारतीय विचार का अभाव है जो कि भारतीयता की सशक्त पहचान है। वे यहां हजीरा रोड पर ओरो यूनिवर्सिटी के ऑडिटोरियम हॉल में ‘हिन्दुत्व पैराडाइज’ पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में भाग लेने आए थे।
राम माधव ने कुछ दिनों से कश्मीर में बढ़ रही आतंकी घटनाओं और हिन्दुओं को चिह्नित कर मारे जाने पर कहा कि इसका विरोध जरूरी है और खुलकर होना चाहिए। लेकिन एक सच यह भी है कि कश्मीर में आतंक व आतकंवादियों को अब स्थानीय स्तर पर कोई समर्थन नहीं है। उसकी बड़ी वजह है धारा 370 का हटना। गत 30 वर्षों के आंतक में कश्मीर में 26 हजार मुस्लिम पुलिसकर्मी मारे गए हैं अब उनके परिजन कैसे आतंक और आतंकवादियों को समर्थन कर सकते हैं। वहां पर बदलाव लगातार जारी है और इस बदलाव में सभी की जिम्मेदारी बनती है कि कश्मीर व कश्मीरियत को अपनाएं। भारतीय विचारों से उन्हें धनी बनाने की प्रबल आवश्यकता है और इसके लिए हमें यात्रा, भ्रमण के लिए कश्मीर जाना चाहिए। 
कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के 300 करोड़ की रिश्वत के ऑफर के आरोप के बारे में राममाधव ने कहा कि इसकी सत्यता तो वे स्वयं ही बता सकते हैं। उन्होंने किस परिप्रेक्ष्य में इस तरह की बात मीडिया के समक्ष कही है, यह तो वे ही बेहतर बता सकते हैं। वे पहले कश्मीर पर खूब बोल चुके हैं और बाद में बिहार पर और अब किसान आंदोलन में उनके कई तरह के बयान सामने आते रहते हैं।
भारतवर्ष की सनातन संस्कृति में ज्ञान और विज्ञान का अद्भुत समावेश है और इस संगम को वेद, उपनिषद समेत सैकड़ों ग्रंथों के माध्यम से दुनिया के सामने हमने रखा है। इसके बावजूद पाश्चात्य विचारों को लेकर 70 साल से हम अंग्रेजों के जाने के बाद भी चले जा रहे हैं। भारतीय संविधान व लोकतंत्र के पाश्चात्यीकरण में भारतीय चिंतन का अभाव है और भारतीय वैचारिक चिंतन इतना प्रबल व विराट है कि वो ही कह सकता है वसुधैव कुटुम्बकम अर्थात सम्पूर्ण विश्व मेरा परिवार है। इन्हीं आदर्श विचारों के साथ भारत विश्व में शीर्ष स्थान पर स्थापित होगा और इसके लिए ‘हिन्दुत्व पैराडाइज’ पुस्तक में भारत ही नहीं बल्कि युरोपियन देशों में आत्मसात की जा चुकी भारतीय संस्कृति और विचार की झलक शामिल है। दुनिया में पहला बड़ा परिवर्तन दूसरे विश्व युद्ध के बाद आया था और अब वैसे ही परिवर्तन का बड़ा दौर वैश्विक कोविड-19 महामारी के बाद पर्यावरण की दिशा में आने की तैयारी है। धरती को मां कहने वाली भारतीय संस्कृति ही इस दिशा में दुनिया को कुछ नया करके दे सकती है और कोविड-19 के बुरे दौर में योग-आयुर्वेद ने सबको दिया भी है। राममाधव लिखित पुस्तक ‘हिन्दुत्व पैराडाइज’ का सूरत में विमोचन कार्यक्रम दिशा फाउंडेशन के माध्यम से रखा गया था और कार्यक्रम में कई बुद्धिजीवी शामिल थे।
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