पिछले 10 सालों से भारत में 12 लाख सर्पदंश के केस दर्ज, आदिवासी इलाकों में सबसे अधिक मामले

पिछले 10 सालों से भारत में 12 लाख सर्पदंश के केस दर्ज, आदिवासी इलाकों में सबसे अधिक मामले

डबल्यूएचओ द्वारा साल 2030 तक सर्पदंश से होने वाले मुश्किलों को आधी करने का लक्ष्य किया गया तय

साल 2000 से 2009 के दौरान यानी की पिछले 10 सालों में 12 लाख से अधिक सर्पदंश के मामले सामने आए है। मुंबई में आई हुई ICMR की प्रयोगशाला नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च इन रीप्रोडक्टिव हेल्थ तथा महाराष्ट्र स्टेट पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट द्वारा किए गए एक संशोधन में कहा गया कि साँप और सर्पदंश से जुड़ी जानकारियों के अभाव के कारण आदिवासी समुदायों में यह जोखिम सबसे अधिक है। 
विश्व आरोग्य संगठन सर्पदंश को लोगों द्वारा उपेक्षित किए जाने वाले दर्द कि कक्षा में रखता है। हर साल दुनिया भर में तकरीबन 54 लाख सर्पदंश कि घटना बनती है, जिसके चलते हर साल 18 से 27 लाख लोगों की मृत्यु होती है। सर्पदंश के कारण हर साल 80 हजार से लेकर 14 लाख लोगों की मृत्यु होती है। जबकि कई लोगों को विभिन्न शारीरिक कमियाँ हो जाती है। खास करके विकाशशील देशों में सर्पदंश की घटना के कारण अंधत्व तथा मानसिक तनाव जैसी कमियाँ देखने मिलती है। 
विश्व आरोग्य संगठन द्वारा साल 2030 तक सर्पदंश से होने वाले मृत्युदर और उसकी वजह से होने वाली शारीरिक कमियों को आधी करने का लक्ष्य रखा है। ICMR-NIRRH की जानकारी के अनुसार, विश्वभर में सबसे अधिक सर्पदंश की घटना भारत में होती है। हर साल होने वाली सर्पदंश की घटनाओं में से आधी मृत्यु भारत में होती है। किसानों, श्रमिकों, शिकारियों और अन्य आदिवासी समूहों के लोगों में सर्पदंश के अधिकतर मामले सामने आते है। सर्पदंश के मामले में आधे से अधिक मृत्यु सर्पदंश से जुड़ी जानकारियों के अभाव के कारण होती है। 
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