वैक्सीन बनेगी तो पहले किसको मिलेगी, PM मोदी ने ये कहा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आज एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित हुई। जिसमें कोरोना वायरस महामारी से बचने के लिए तैयार की जा रही वैक्सिन और वैक्सिन जब बनकर तैयार हो जाएगी तब के आयोजन और तैयारियों की समीक्षा करने के लिए चर्चा की गई ।
प्रधानमंत्री ने इस संबंध में संज्ञान लिया कि भारत की व्यापक और विवधता वाली जनसंख्या के लिए आयोजन किया जाए तब उसमें मेडिकल सप्लाई चेन, जोखिम उठा रहे जनसंख्या को अग्रिमता, इस प्रक्रिया में विविध एजेन्सियों के बीच संकलन और साथ-साथ इस राष्ट्रीय प्रयास में निजी क्षेत्र और नागरिक समाज की भूमिका के संबंध में चर्चा की गई।
प्रधानमंत्री ने चार मार्गदर्शक सिद्घांत बताएं हैं कि जो इन राष्ट्रीय प्रयासों का आधार बन सकता है।
पहला सिद्घांत यह है कि कठिन स्थिति में हों ऐसे समूहों की पहचान करनी चाहिए और उनका जल्द रसीकरण हो इसके लिए अग्रिमता देनी होगी। उदाहरण के तौर पर डॉक्टर्स, नर्स, हेल्थकेयर वर्कर्स, नॉन मेडिकल फ्रन्टलाइन कोरोना वॉरियर्स तथा सामान्य लोगों में कठिन स्थिति में रहनेवाले लोग। इसलिए इन लोगों को जब वैक्सिन बनेगी तो पहले रसी दी जाएगी।
दूसरा सिद्घांत यह होगा कि व्यक्ति चाहे किसी भी स्थान पर हो और जहां भी हो वहां वैक्सिन की व्यवस्था करनी होगी। जिसमें व्यक्ति के मूल निवासस्थान संबंधी नियंत्रण लगाए बिना वैक्सिन देनी चाहिए।
तीसरा सिद्घांत यह होगा कि यह वैक्सिन बजट में हो ऐसी और सार्वत्रिक उपयोग में ली जा सके ऐसी होनी चाहिए और इसे सबको लेना चाहिए।
आखिर में चौथा विषय यह है कि वैक्सिन का उत्पादन करने से लेकर रसीकरण करने तक की पूरी प्रक्रिया में तकनीक के माध्यम से मोनिटरिंग और रीयल टाइम सहयोग प्राप्त होना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने अधिकारियों को व्यापक तौर पर यह भी सूचना दिया है कि इस राष्ट्रीय प्रयास में आधारस्तंभ की तरह काम कर सके ऐसे रसीकरण के उपलब्ध टेक्नोलॉजिकल विकल्पों का अत्यंत समयबद्घ तौर पर समीक्षा होनी चाहिए तथा ये प्रयास अत्यंत कार्यक्षमता से शुरु करने चाहिए।
प्रधानमंत्री ने आदेश दिया है कि इस प्रकार के रसीकरण की प्रक्रिया का विस्तार से आयोजन फौरन शुरु करना चाहिए। इस बैठक में वैक्सिन विकसित करने के वर्तमान प्रयासों की स्थिति के संबंध में भी समीक्षा की गई। प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि कोरोना वायरस महामारी के रसीकरण के संबंध में भारत की प्रतिबद्घता और भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण बनी रहेगी।