लद्दाख में चरम पर तनाव

नई दिल्ली (ईएमएस)। लद्दाख की गलवान घाटी में हालात को जल्द काबू नहीं किया गया तो स्थिति और चिंताजनक हो सकती है। ऐसे में युद्ध तक की नौबत से इंकार नहीं किया जा सकता। रक्षा मामलों से जुड़े एक्सपर्ट मानते हैं कि गलवान घाटी में 20 भारतीय जवानों के शहीद होने के बाद स्थिति काफी तनावपूर्ण है। हालात अभी ऐसे हैं कि कभी भी चीनी और भारतीय सेना आमने-सामने आ सकती है, ऐसे में जल्द से जल्द विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाना जरूरी हो जाता है। भारत बातचीत को तैयार है, लेकिन चीन के पिछले धोखे को याद रखते हुए सेना ने तैयारियों में भी कोई कमी नहीं छोड़ी है।
पिछली संधियों का पालन अब नहीं आसान
पिछले दिनों गलवान में जो कुछ हुआ ऐसा 45 सालों बाद देखा गया। इतने सालों में वहां कोई गोली नहीं चली थी न ही किसी जवान की जान गई थी। ऐसा दोनों देशों के बीच संधि की वजह से था जिसमें तय किया गया था कि दोनों ही देशों के जवान बॉर्डर पर हथियारों का इस्तेमाल नहीं करेंगे। इस हिंसक झड़प में चीन के जवानों ने भी जान गंवाई है। वहीं 20 साथियों को खोने का गम भारतीय जवानों को भी है। ऐसे में अब पिछली संधियों का पालन कर पाना मुश्किल हो सकता है। पूर्व आर्मी चीफ जनरल वीपी मलिक ने कहा कि अगर जल्द से जल्द बातचीत से मुद्दा नहीं सुलझा तो ऐसी हिंसक झड़प बढ़ जाएंगी। मलिक कहते हैं, जब सैनिक आमने-सामने हों, टेंशन और गुस्से का माहौल हो तो छोटी सी घटना भी बढ़ा रूप ले सकती है।
पैंगोंग झील के पास झड़प के आसार
फिलहाल सैनिकों के बीच पैंगोंग झील पर तनाव की आशंका ज्यादा है। वहां चीन की सेना ने 8 किमी इलाके को ब्लॉक कर दिया है। बता दें कि गलवान से पहले यहां भी सैनिकों की झड़प हुई थी। लेकिन अब जवानों के शहीद होने के बाद यह झड़प धक्कामुक्की, पत्थरबाजी और डंडों तक शायद ही सीमित रहे। फिलहाल गलवान घाटी में भारतीय सेना भी पूरी तरह सतर्क है। थल और वायु सेना दोनों हाई-अलर्ट पर हैं। चीन की किसी भी गुस्ताखी का जवाब देने की सेना को मोदी सरकार ने पूरी छूट दी है।
भारत की दो मोर्चों पर युद्ध की तैयारी
भारत दो मोर्चं पर लड़ाई की तैयारी शुरू कर दी है। तमाम पेंडिंग पड़ी खरीदारी को तेज कर दिया गया है इसके अलावा साजो-सामान के भंडार को बढ़ाया जा रहा है। मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि रूस एस-400 की खेप भारत के साथ कुछ और देशों को भी देने वाला है। पर भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक रिश्तों का हवाला देकर भारत इस एंटी मिसाइल सिस्टम की जल्दी आपूर्ति के लिए दबाव बनाने वाला है। समझौते के दो हिस्से हैं पहला, लड़ाकू विमान सुखोई और मिग बेड़े के कलपुर्जे जल्दी से उपलब्ध कराना और दूसरा राजनीतिक स्थिति में बदलाव के बाद भी भारत को मिलने वाली आपूर्ति बाधित नहीं होगी। गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष में 20 भारतीय जवानों के शहीद होने के बाद यह मुद्दे उच्चस्तरीय बैठक में उठा था।