CSIR का दावा: ऐसी जगह रहते है तो, कम है कोरोना का खतरा
इस समय दुनियाभर के लिए कोरोना सबसे प्राथमिक चीजों में से एक है। हर देश की संस्था कोरोना से निपने और कोरोना के असर की जाँच में लगे हुए है। अब सेंटर फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) ने एक रिपोर्ट में यह दावा किया है कि जिन देशों में गंदगी अधिक है और पीने के पानी की खराब गुणवत्ता के कारण स्वच्छता का स्तर खराब है, वहां स्वच्छ और अच्छे स्वास्थ्य गुणवत्ता देशों की तुलना में कोविड -19 के कारण मृत्यु का जोखिम कम है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत को गंदगी से जोड़ने वाली एक टिप्पणी की थी। अगर ट्रम्प के बयान को इस वर्तमान रिपोर्ट के संदर्भ में देखा जाए, तो ऐसे में भारत कोविड -19 का और अधिक मजबूती से मुकाबला कर सकता है। सीएसआईआर की रिपोर्ट के अनुसार, निम्न और मध्यम आय वाले देशों में उच्च परजीवी और जीवाणु संक्रमण का अधिक बोझ है। इस प्रकार लोगों में फैल रही बीमारियों का अनुभव उनके प्रतिरक्षा प्रशिक्षण का एक हिस्सा बन जाता है। इस अभ्यास को इम्यून हाइपोथीसिस कहा जाता है। विशेषज्ञों […]

इस समय दुनियाभर के लिए कोरोना सबसे प्राथमिक चीजों में से एक है। हर देश की संस्था कोरोना से निपने और कोरोना के असर की जाँच में लगे हुए है। अब सेंटर फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) ने एक रिपोर्ट में यह दावा किया है कि जिन देशों में गंदगी अधिक है और पीने के पानी की खराब गुणवत्ता के कारण स्वच्छता का स्तर खराब है, वहां स्वच्छ और अच्छे स्वास्थ्य गुणवत्ता देशों की तुलना में कोविड -19 के कारण मृत्यु का जोखिम कम है।
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत को गंदगी से जोड़ने वाली एक टिप्पणी की थी। अगर ट्रम्प के बयान को इस वर्तमान रिपोर्ट के संदर्भ में देखा जाए, तो ऐसे में भारत कोविड -19 का और अधिक मजबूती से मुकाबला कर सकता है। सीएसआईआर की रिपोर्ट के अनुसार, निम्न और मध्यम आय वाले देशों में उच्च परजीवी और जीवाणु संक्रमण का अधिक बोझ है। इस प्रकार लोगों में फैल रही बीमारियों का अनुभव उनके प्रतिरक्षा प्रशिक्षण का एक हिस्सा बन जाता है। इस अभ्यास को इम्यून हाइपोथीसिस कहा जाता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, विकसित देशों में अच्छी स्वच्छता और संक्रमण के जोखिम के गिरते स्तर से ऑटोइम्यून डिसऑर्डर और एलर्जी होती है। यही ऑटोइम्यून डिसऑर्डर कोविड -19 से होने वाले मौत का एक प्रमुख कारण है। इससे शरीर अपनी ही हाइपरएक्टिव इम्यून सिस्टम को नष्ट करने वाली साइटोकिन्स का निर्माण करती है। उच्च जीडीपी वाले विकसित देशों में ऑटोइम्यून डिसऑर्डर की समस्या अधिक प्रचलित है।
वही भारत के संक्रमण से जुड़े इतिहास वाले राज्यों या शहरों में कोविड -19 की वजह से कम मौतें हुई हैं। सीएसआईआर के महानिदेशक और अध्ययन के प्रमुख लेखक शेखर मंडे ने कहा, “हमने 25 मानदंडों का विश्लेषण किया है।” यह बहुत विरोधाभासी है कि उच्च जीडीपी वाले देशों में, कोविड -19 की तुलना में अधिक लोग मर रहे हैं। इन देशों में जीवन गुणवत्ता अधिक बेहतर है।
आगे उन्होंने बताया “हमने स्वच्छता के स्तर की भी जांच की है।” भारत में स्वच्छता हाइपोथीसिस यानी कि परिकल्पना है। इसलिए यदि आपके शरीर में कम उम्र से रोगजनक वायरस से लड़ने की आदत है, तो आप इस बीमारी से अच्छी तरह से निपटने में सक्षम होंगे। कम स्वच्छता का मतलब संक्रमण का अधिक जोखिम है और इससे लड़ने के लिए आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली बेहतर है।

यदि प्रतिरक्षा प्रणाली इसे लड़ने में सक्षम नहीं है वायरस का एक हमला किसी भी व्यक्ति को गंभीर स्थिति में पहुंचा देगा। उदाहरण के लिए, बिहार सामाजिक-अर्थव्यवस्था के मामले में भारत के सबसे गरीब राज्यों में से एक है। लेकिन कोविड -19 को लेकर वहां मृत्यु का जोखिम केवल 0.5 प्रतिशत है, जो देश की मृत्यु दर की तुलना में बहुत कम है। बिहार, केरल और असम (0.4) के अलावा, तेलंगाना (0.5), झारखंड और छत्तीसगढ़ (0.9) में भी कोविड -19 की मृत्यु दर कम देखी गई। जबकि महाराष्ट्र और गुजरात के शहरों में मृत्यु दर अधिक है।