जीएसटीएन की खामियां बताई स्वामी ने
नई दिल्ली। पार्टी हित का हवाला देकर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर चुप्पी साधने का वादा करने वाले भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आखिरकार अपनी चुप्पी तोड़ दी है। स्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर यूपीए सरकार में गठित जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) में निजी कंपनियों की ज्यादा हिस्सेदारी होने का सवाल उठाते हुए इसकी जगह सरकारी स्वामित्व वाला ढांचा खड़ा करने की सलाह दी है। स्वामी ने सवाल किया है कि गृह मंत्रालय की ओर से कंपनी से संबंधित सुरक्षा जांच कराए बिना इसकी संवेदनशील सूचनाओं तक पहुंच बनाने की अनुमति कैसे दी जा सकती है। स्वामी ने जीएसटीएन के खर्च और इसकी शुरुआती प्रक्रिया के लिए फीस के नाम पर ४००० करोड़ का घोटाला हुआ है। स्वामी ने ऐसे समय में जीएसटी पर सवाल खड़े किए हैं जब पूरे देश में एक कर व्यवस्था लागू करने के लिए संसद ने सालों से लंबित संविधान संशोधन बिल पर अपनी सहमति दी है। गौरतलब है कि स्वामी शुरू से ही जीएसटी के धुर विरोधी रहे हैं। जबकि मोदी सरकार इसे बड़ी उपलब्धियों में गिन रही है। अपने बयानों […]
नई दिल्ली। पार्टी हित का हवाला देकर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर चुप्पी साधने का वादा करने वाले भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आखिरकार अपनी चुप्पी तोड़ दी है। स्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर यूपीए सरकार में गठित जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) में निजी कंपनियों की ज्यादा हिस्सेदारी होने का सवाल उठाते हुए इसकी जगह सरकारी स्वामित्व वाला ढांचा खड़ा करने की सलाह दी है। स्वामी ने सवाल किया है कि गृह मंत्रालय की ओर से कंपनी से संबंधित सुरक्षा जांच कराए बिना इसकी संवेदनशील सूचनाओं तक पहुंच बनाने की अनुमति कैसे दी जा सकती है। स्वामी ने जीएसटीएन के खर्च और इसकी शुरुआती प्रक्रिया के लिए फीस के नाम पर ४००० करोड़ का घोटाला हुआ है। स्वामी ने ऐसे समय में जीएसटी पर सवाल खड़े किए हैं जब पूरे देश में एक कर व्यवस्था लागू करने के लिए संसद ने सालों से लंबित संविधान संशोधन बिल पर अपनी सहमति दी है। गौरतलब है कि स्वामी शुरू से ही जीएसटी के धुर विरोधी रहे हैं। जबकि मोदी सरकार इसे बड़ी उपलब्धियों में गिन रही है। अपने बयानों से कई बार पार्टी और सरकार के लिए मुसीबतें खड़ी करने वाले स्वामी ने अब जीएसटीएन के गठन की प्रक्रिया के बहाने जीएसटी पर सवाल खड़ा कर दिया है। पीएम मोदी को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि जीएसटीएन का जिस प्रकार गठन किया गया, जिस प्रकार एक निजी कंपनियों को बिना किसी सुरक्षा जांच के संवेदनशील आंकड़ों तक पहुंच दी गई है, उससे इस पूरी प्रक्रिया की पूरी पड़ताल कराए जाने की जरूरत है। स्वामी ने जीएसटीएन के गठन की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसमें केंद्र और राज्य दोनों की संयुक्त हिस्सेदारी महज ४९ फीसदी जबकि निजी कंपनियों की ५१ फीसदी है। सरकार से भी बड़ी हिस्सेदारी एचडीएफसी, आईसीआईसीआई जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों और विदेशी शेयर रखने वाली एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के पास होगी। ऐसे में ऐसे संवेदनशील मामलों में निजी कंपनियों को स्वामित्व देने की प्रक्रिया बेहद खतरनाक साबित हो सकती है। स्वामी ने यह भी कहा है कि जीएसटीएन से जुड़े कई महत्वपूर्ण काम वह अपने डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स से करा सकती है। गौरतलब है कि यूपीए कार्र्यकाल में जीएसटी का तीखा विरोध करने वाले स्वामी ने बीते दिनों पार्टी हित का हवाला दे कर इस मामले में चुप्पी साधने की बात कही थी। राज्यसभा में इससे संबंधित बिल के समर्थन में पार्टी व्हिप की मजबूरी में उन्होंने वोट भी दिया था। हालांकि यही सवाल राज्यसभा में टीएमसी ने खड़ा किया था, जिसका वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बचाव किया था।