उत्तर प्रदेश चुनाव में मोदी के जादू पर जानकारों को उम्मीदे कम
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावों में मोदी का जलवा बरकरार रहेगा इसको लेकर मंथन जारी है। जानकारों का कहना है कि तीन साल में मोदी का जलवा लोगों से उतरता नजर आ रहा है। जानकार अगले साल उत्तर प्रदेश में कोई करिश्मा न होने का दावा कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार आगामी यूपी विधानसभा चुनाव २०१७ के लिहाज से भाजपा की रफ्तार काफी धीमी समझ आ रही है। जिसका खामियाजा भारतीय जनता पार्टी को भुगतना पड़ सकता है। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की ९० जिला ईकाईयां (महानगर भी जिला ईकाईयों के रूप में गिने जाते हैं) हैं, जिसमें से ५८ जिलों में अध्यक्ष घोषित किए गए हैं। बाकी शेष ३२ जिला ईकाईयों में अभी तक नए जिलाध्यक्ष नहीं घोषित किए गए हैं। इसके इतर गर प्रदेश स्तर पर, जिला स्तर पर अन्य पदाधिकारियों की बात की जाए तो अभी तक इनका चुनाव नहीं पाया है। जिसे लेकर कार्यकर्ताओं में अंदरूनी रोष की भावना पनपने लगी है। सूत्रों के मुताबिक प्रदेश संगठन महामंत्री सुनील बंसल ने कहा था कि अप्रैल माह […]
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावों में मोदी का जलवा बरकरार रहेगा इसको लेकर मंथन जारी है। जानकारों का कहना है कि तीन साल में मोदी का जलवा लोगों से उतरता नजर आ रहा है। जानकार अगले साल उत्तर प्रदेश में कोई करिश्मा न होने का दावा कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार आगामी यूपी विधानसभा चुनाव २०१७ के लिहाज से भाजपा की रफ्तार काफी धीमी समझ आ रही है। जिसका खामियाजा भारतीय जनता पार्टी को भुगतना पड़ सकता है। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की ९० जिला ईकाईयां (महानगर भी जिला ईकाईयों के रूप में गिने जाते हैं) हैं, जिसमें से ५८ जिलों में अध्यक्ष घोषित किए गए हैं। बाकी शेष ३२ जिला ईकाईयों में अभी तक नए जिलाध्यक्ष नहीं घोषित किए गए हैं। इसके इतर गर प्रदेश स्तर पर, जिला स्तर पर अन्य पदाधिकारियों की बात की जाए तो अभी तक इनका चुनाव नहीं पाया है। जिसे लेकर कार्यकर्ताओं में अंदरूनी रोष की भावना पनपने लगी है। सूत्रों के मुताबिक प्रदेश संगठन महामंत्री सुनील बंसल ने कहा था कि अप्रैल माह के अंत तक २०० सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी जाएगी। पर, उम्मीदवार तो दूर पार्टी ने अभी पदाधिकारी ही नहीं तय किए हैं। अब पदाधिकारी और उम्मीदवार कब और किसे तय करेगी इस बात की सही पुाqष्ट भाजपा के शीर्ष नेता भी नहीं कर पा रहे हैं। जो भाजपा के लिए काफी िंचताजनक बात है। यूपी २०१७ विधानसभा चुनाव सत्तारूढ़ भाजपा के लिहाज से दो कारणों से काफी अहम है। पहला तो यह कि सूबे में भाजपा सत्ता में नहीं है और दूसरे यह कि भाजपा एक लंबे समय से इस राज्य में अपने राजनीतिक ़कदम जमाने की कोशिश कर रही है। सपा और बसपा के बीच फिर से भाजपा के लिए सूबे में अपने कदम जमा पाना इतना सहज नहीं है।
वहीं प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या ने लखनऊ में स्वागत समारोह के दौरान भाषण देते हुए यह दावा किया है कि वे सपा, बसपा मुक्त उत्तर प्रदेश बनाने के लिए दृढ़ संकाqल्पत है। पर, प्रदेश में भाजपा के अन्य पदाधिकारियों का मनोनयन न हो पाने की वजह से कार्यकर्ता से लेकर जनता गफलत की ाqस्थति में है। जिसको देखते हुए इस दावे पर सूबे की जनता पशोपेश की ाqस्थति में है। सूबे की जनता का कहना है कि सूपड़ा साफ होना तो तय है। और मुकाबला बसपा बनाम भाजपा का। हां इसमें अगर आरजेडी, कांग्रेस और जनता दल का गठबंधन उकर कर जन विकास के रूप आ जाती है तो मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है। भारतीय जनता पार्टी के लखनऊ मुख्यालय में पदाधिकारियों के नामों के चयन पर बैठक आयोजित की गई। जिसमें प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या, प्रदेश प्रभारी ओम माथुर, प्रदेश संगठन महामंत्री सुनील बंसल, वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष शिव प्रताप शुक्ला, प्रदेश मंत्री अनूप गुप्ता समेत कई अन्य पदाधिकारी शिरकत कर रहे हैं। संभावना जताई जा रही है कि प्रदेश पदाधिकारियों के नाम घोषित हो सकते हैं। वहीं सूत्रों का यह भी कहना है कि इन पदों पर कुछ लोग अपने चहेतों को स्थान देने के लिए लगातार कवायद कर रहे हैं। जो कि परिवारवाद से ग्रसित होने की ओर इशारा कर रही है। इससे साफ तौर पर अन्य कार्यकर्ता जो पार्टी के साथ हर ाqस्थति में जुड़े रहे हैं उन पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। हालांकि इन तमाम बातों पर सारे आंकलन पदाधिकारियों के नामों से पर्दा हट जाने के बाद ही करना उचित होगा।