इस दिवाली की छुट्टियों में डॉक्टर मिलेंगे? चिकित्सकों की संख्या के मामले में गुजरात इस नंबर पर है
गुजरात में दिवाली के बाद पांच दिनों तक डॉक्टरी सहित सभी गतिविधियां थम जाती हैं गुजरात के अधिकांश शहरों में दिवाली के पांचवें दिन तक डॉक्टरों की कमी रहती है। डॉक्टरों के दिवाली की छुट्टियों में घूमने चले जाने के कारण क्लीनिक बंद रहते हैं। इसलिए सरकार को विशेष व्यवस्था करनी पड़ती है। हालांकि इस बार कोरोना के कारण पहले जैसी दिक्कत नहीं होगी, फिर भी लाभ पंचमी तक क्लिनक खुलने की संभावना कम ही है। इसीलिए सरकार की ओर से विशेष प्रयास भी किये जा रहे हैं। सरकार के लिए यह दुर्भाग्यपूर्ण भी है कि डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्रों में जाने के लिए तैयार नहीं हैं, इसलिए स्वास्थ्य उपचार केंद्रों में डॉक्टरों की कमी महसूस हो रही है। सरकार की रिपोर्ट के अनुसार डॉक्टरों की संख्या के मामले में गुजरात सातवें स्थान पर है। यद्यपि कोरोना काल में कभी भी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी नहीं खली है। देश में डॉक्टरों की संख्या के मामले में गुजरात सातवें नंबर पर गुजरात की तुलना में महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों की संख्या अधिक है। देश […]

गुजरात में दिवाली के बाद पांच दिनों तक डॉक्टरी सहित सभी गतिविधियां थम जाती हैं
गुजरात के अधिकांश शहरों में दिवाली के पांचवें दिन तक डॉक्टरों की कमी रहती है। डॉक्टरों के दिवाली की छुट्टियों में घूमने चले जाने के कारण क्लीनिक बंद रहते हैं। इसलिए सरकार को विशेष व्यवस्था करनी पड़ती है। हालांकि इस बार कोरोना के कारण पहले जैसी दिक्कत नहीं होगी, फिर भी लाभ पंचमी तक क्लिनक खुलने की संभावना कम ही है। इसीलिए सरकार की ओर से विशेष प्रयास भी किये जा रहे हैं। सरकार के लिए यह दुर्भाग्यपूर्ण भी है कि डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्रों में जाने के लिए तैयार नहीं हैं, इसलिए स्वास्थ्य उपचार केंद्रों में डॉक्टरों की कमी महसूस हो रही है। सरकार की रिपोर्ट के अनुसार डॉक्टरों की संख्या के मामले में गुजरात सातवें स्थान पर है। यद्यपि कोरोना काल में कभी भी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी नहीं खली है।
देश में डॉक्टरों की संख्या के मामले में गुजरात सातवें नंबर पर
गुजरात की तुलना में महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों की संख्या अधिक है। देश में सबसे ज्यादा 1.85 लाख डॉक्टर महाराष्ट्र में हैं। तमिलनाडु में 1.45 लाख डॉक्टर और कर्नाटक में 1.40 लाख से अधिक डॉक्टर हैं। गुजरात की तुलना में आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में अधिक डॉक्टर हैं। हालांकि, केरल और पंजाब गुजरात से पीछे हैं।
मेडिकल काउंसिल में पंजीकृत डॉक्टरों की संख्या के हिसाब से महाराष्ट्र में 31 मार्च 2019 तक सबसे अधिक डॉक्टर हैं। महाराष्ट्र में देश के कुल डॉक्टरों की तुलना में 12 प्रतिशत डॉक्टर हैं। देश के शीर्ष चार राज्यों में डॉक्टरों की अधिक संख्या का मुख्य कारण यह है कि संबंधित राज्यों में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की संख्या अधिक है जबकि निजी मेडिकल कॉलेजों की संख्या कम है।
कोरोना काल में सरकार ने चिकित्सा सेवा की कहीं कमी नहीं आने दी
राज्य चिकित्सा परिषद के अनुसार, गुजरात में पंजीकृत डॉक्टरों की संख्या 70,000 है, जो देश में कुल डॉक्टरों का केवल 5.80 प्रतिशत है। वर्तमान में गुजरात में, नियमानुसार प्रति 1000 जनसंख्या पर एक डॉक्टर होना चाहिए लेकिन उस अनुपात को बनाए नहीं रखा गया है। ज्यादातर डॉक्टर शहरों में सेवा देते हैं इसलिए ग्रामीण गुजरात में डॉक्टरों की भारी किल्लत है और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को इलाज के लिए शहरों में आना पड़ता है।
राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों के अलावा चिकित्सा कर्मचारियों की भारी कमी है। राज्य के स्वास्थ्य केंद्रों में नर्सों के लिए 2287 रिक्त पद हैं, वहीं 1398 पुरुष स्वास्थ्य कार्यकर्ता और 623 सहायक महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए रिक्ति पद हैं। 1452 विशेषज्ञ पदों में से 1059 महत्वपूर्ण सुपर स्पेशलिस्ट विशेषज्ञ की सेवाओं के लिए रिक्त पद हैं।
एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि राज्य में मेडिकल कॉलेज, सरकारी अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों में सुविधाएं उच्च स्तरीय हैं। सभी चिकित्सा उपकरण और प्रौद्योगिकी भी मौजूद हैं, लेकिन महत्वपूर्ण बात चिकित्सा कर्मचारी हैं। राज्य में डॉक्टरों की कमी व्याप्त है। सरकारी प्रोत्साहन के बावजूद डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने के इच्छुक नहीं हैं। हालांकि कोरोना के संक्रमण के समय राज्य सरकार ने कहीं भी डॉक्टरों की सुविधा में कोई कसर नहीं छोड़ी। डॉक्टर की कमी से मरीजों को परेशानी भी नहीं हुई। हालांकि, लोगों को दिवाली की छुट्टियों के दौरान अपनी चिकित्सकीय आवश्यकताओं की अग्रिम व्यवस्था करनी होगी।