उत्तरायन स्पेशल : सूरत के छात्रों ने बनाई ऐसी पतंग, जिससे पंछियों को न पहुंचे नुकसान
उत्तरायन का त्योहार आ चुका है। सभी अपनी-अपनी छत पर चढ़कर पतंग उड़ाने के लिए बेताब हैं। हालांकि आम लोगों के आनंद के चक्कर में हर साल उत्तरायन के इस त्योहार के दौरान कई पंछियों के घायल होने की और मरने की खबर हम सुनते रहते हैं। हर साल अलग-अलग एनजीओ द्वारा घायल पंछियों के लिए सेवा कार्य भी किया जाता है। हालांकि इस समस्या का समाधान लाने के लिए सूरत के एक फेशन इंस्टीट्यूट के छात्रों ने एक अनोखा उपाय निकाला है। सूरत के IDT फेशन इंस्टीट्यूट के छात्रों ने एक ऐसी तरकीब निकाली है, जिससे उत्तरायन के दिन पंछी बाहर उड़े ही ना और उन्हें चोट भी ना आए। संस्था की एक फेकल्टी आरुषि उप्रेती ने मीडिया को बताया कि उन्होंने अपने छात्रों के साथ मिलकर एक सर्वे किया, जिसमें उन्होंने पाया कि ज्यादातर पंछी लाल रंग, लहसुन और पुदीने की खुशबू से डरते हैं। इसलिए उन्होंने इन सभी चीजों का इस्तेमाल पतंग और डोरी बनाने के लिए करने की सोची। आरुषि बताती हैं कि आम तौर पर पंछी अपने से बड़े पंछी और उपयुक्त चीजों से डरते […]

उत्तरायन का त्योहार आ चुका है। सभी अपनी-अपनी छत पर चढ़कर पतंग उड़ाने के लिए बेताब हैं। हालांकि आम लोगों के आनंद के चक्कर में हर साल उत्तरायन के इस त्योहार के दौरान कई पंछियों के घायल होने की और मरने की खबर हम सुनते रहते हैं। हर साल अलग-अलग एनजीओ द्वारा घायल पंछियों के लिए सेवा कार्य भी किया जाता है। हालांकि इस समस्या का समाधान लाने के लिए सूरत के एक फेशन इंस्टीट्यूट के छात्रों ने एक अनोखा उपाय निकाला है।
सूरत के IDT फेशन इंस्टीट्यूट के छात्रों ने एक ऐसी तरकीब निकाली है, जिससे उत्तरायन के दिन पंछी बाहर उड़े ही ना और उन्हें चोट भी ना आए। संस्था की एक फेकल्टी आरुषि उप्रेती ने मीडिया को बताया कि उन्होंने अपने छात्रों के साथ मिलकर एक सर्वे किया, जिसमें उन्होंने पाया कि ज्यादातर पंछी लाल रंग, लहसुन और पुदीने की खुशबू से डरते हैं। इसलिए उन्होंने इन सभी चीजों का इस्तेमाल पतंग और डोरी बनाने के लिए करने की सोची।
आरुषि बताती हैं कि आम तौर पर पंछी अपने से बड़े पंछी और उपयुक्त चीजों से डरते हैं। ऐसे में यदि इन चीजों से बनी पतंग और डोरी का इस्तेमाल भारी मात्रा में हो तो अधिकतर पंछी बाहर आने से डरेंगे। उन्होंने इसका एक प्रयोग भी किया था, जिसमें उन्होंने एक खंबे पर लहसुन और पुदीने का लेप लगाकर उसे छत पर रख दिया। उन्होंने देखा कि उस दिन एक भी पंछी उनकी छत पर नहीं आया। आरुषि का कहना है कि यदि उनका यह प्रयोग सफल रहता है तो कई मूक जीवों की जान बचाई जा सकेगी।