सूरत : दिव्यांग युवक ने पैर-मुंह से बनायी 2 हजार से ज्यादा पेटिंग
हादसे में दो हाथ गंवाने के बाद भी हौंसले बुलंद अपने अभी तक हाथों से पेटिंग करते हुए कलाकारों को देखा होगा, लेकिन हम आपको ऐसे शख्स से रुबरु करवा रहे है जिन्होंने अपने दोनों हाथ एक सडक़ हादसे में गंवा दिए है। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। बुलंद हौसले के चलते नई उंचाई हासिल की हैं। हम बात कर रहे है सूरत के एक महाराष्ट्रीयन युवक मनोज भिंगारे की। मनोज ने हाथ और उंगलियों के कमाल बिना 2 हजार से ज्यादा पेटिंग बनाकर समाज को एक नई मिसाल दी है। दिव्यांगों को दयाभाव की नहीं स्वाभिमान की जरुरत हैं। लिंबायत के डिंडोली निवासी मनोज भिंगारे 10 वर्ष का था, तब महाराष्ट्र से सूरत आते समय सडक़ हादसे का शिकार हो गया। इस हादसे में अपने दोनों हाथ गंवा दिए थे। लेकिन पिता गोपाल ने हिम्मत नहीं हारी। बेटे को अहमदाबाद के दिव्यांग स्कूल में प्राथमिक शिक्षा दी। इसके बाद मनोज ने गांधीनगर में फाइन आर्टस का अध्ययन किया। मनोज भिंगारे ने बताया कि स्कूली समय से ही उन्हें पेटिंग करना पसंद था। दूसरे दिव्यांगों को मुंह और पैर […]

हादसे में दो हाथ गंवाने के बाद भी हौंसले बुलंद
अपने अभी तक हाथों से पेटिंग करते हुए कलाकारों को देखा होगा, लेकिन हम आपको ऐसे शख्स से रुबरु करवा रहे है जिन्होंने अपने दोनों हाथ एक सडक़ हादसे में गंवा दिए है। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। बुलंद हौसले के चलते नई उंचाई हासिल की हैं। हम बात कर रहे है सूरत के एक महाराष्ट्रीयन युवक मनोज भिंगारे की। मनोज ने हाथ और उंगलियों के कमाल बिना 2 हजार से ज्यादा पेटिंग बनाकर समाज को एक नई मिसाल दी है। दिव्यांगों को दयाभाव की नहीं स्वाभिमान की जरुरत हैं।
लिंबायत के डिंडोली निवासी मनोज भिंगारे 10 वर्ष का था, तब महाराष्ट्र से सूरत आते समय सडक़ हादसे का शिकार हो गया। इस हादसे में अपने दोनों हाथ गंवा दिए थे। लेकिन पिता गोपाल ने हिम्मत नहीं हारी। बेटे को अहमदाबाद के दिव्यांग स्कूल में प्राथमिक शिक्षा दी। इसके बाद मनोज ने गांधीनगर में फाइन आर्टस का अध्ययन किया। मनोज भिंगारे ने बताया कि स्कूली समय से ही उन्हें पेटिंग करना पसंद था। दूसरे दिव्यांगों को मुंह और पैर से अन्य कार्य करते हुए देखकर मैंने पेटिंग बनाना शुरु किया। शुरुआत में दिक्कते आने के बाद आदतसी हो गई।
पेटिंग हाथ और उंगली की कमाल कहीं जाती है, फिर भी मैंने मेरे पैरों की उंगलिया और मुंह के मदद से पेटिंग बनाए। अगर उस समय मेरे पिता ने हिम्मत नहीं दिखायी होती तो आज मेरी भी हालत अन्य जैसी होती। उनका कहना है कि विश्व विकलांग दिन पर उन पर दया भावना दिखाने के बजाय उनके टेलेन्ट को पहचाने और उनका आत्मविश्वास बढ़ाए। मनोज 2 हजार से अधिक पेटिंग बना चुका हैं। उनके पेटिंग की विदेशों में भी तारीफ हुई है। मनोज आत्मविश्वास गंवा चुके लोगों को पेटिंग भी गिफ्ट करता हैं।
दुनिया में 8 हजार लोग करते है मुंह और पैर से पेटिंग
मनोज भिंगारे माउथ और पैर से पेटिंग करने वाले एनजीओ का सदस्य है। इस प्रकार के कलाकारों का स्विझरलैंड का एक एनजीओ है। वह ऐसे कलाकारों को प्रोत्साहित करता है। भारत में मुंह और पैर से पेटिंग करने वाले सदस्य कम है, लेकिन अब मनोज जैसे कई लोग पेटिंग कर रहे है। इससे अन्य दिव्यांगों को भी प्रेरणा मिल रही हैं।