सूरत : पश्चिम बंगाल के प्रवासी श्रमिकों को ममता दीदी की हरी झंडी का इंतजार
सूरत के 7000 बंगाली श्रमिकों ने वतन जाने के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरा, बंगाल सरकार से मंज़ूरी का इंतज़ार कर रहे लाचार श्रमिक

सूरत। लॉकडाउन के बाद से सूरत में बंगाल के लगभग 10,000 से अधिक श्रमिक फंस गए हैं। बंगाल सरकार की ओर से उन्हें वापस आने के लिए परमिशन नहीं मिलने के कारण अभी तक ट्रेन की व्यवस्था नहीं हो पाई है। वहां की सरकार से वापस आने की मंजूरी पाने के लिए 7000 बंगाली कारीगरों ने ऑनलाइन फॉर्म भरा है।
मिली जानकारी के अनुसार एक ओर जहां सूरत में रहने वाले उड़ीसा यूपी, बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश सहित के लोग अपने वतन की ओर प्रस्थान कर रहे हैं। वही बंगाली श्रमिकों के लिए अभी तक वतन जाना एक सपना बन गया है। क्योंकि वहां की सरकार की ओर से परमिशन नहीं दी होने के कारण अभी तक कोई व्यवस्था नहीं हो सकी है। इस कारण सूरत में रहने वाले बंगाली श्रमिकों की हालत पतली हो गई है।
लॉकडाउन 45 दिन से अधिक बीत जाने के बाद कई श्रमिकों के पास भोजन के लिए रुपए भी नहीं है। अब तक उन्होंने सामाजिक संस्थाओं से मिली सहायता के अनुसार काम चलाया लेकिन अब खर्च के लिए लाचार हो गए हैं। ऐसे में ऑनलाइन फॉर्म भर वहां की सरकार से गुहार लगाई है। पश्चिम बंगाल सरकार से अभी तक मंजूरी नहीं मिलने के कारण सूरत कलेक्टर ने भी अभी मंजूरी नहीं दी है। वहां के श्रमिकों को उम्मीद है कि, जब अन्य राज्यों के श्रमिक वतन जा रहे हैं तो हमें भी मंजूरी जरूर मिल जाएगी।
उल्लेखनीय है कि यूपी, बिहार, ओडिशा के लिए विशेष ट्रेन व्यवस्था कर वहां के लोगों को भेजा जा रहा है। वहीं गुजरात के अन्य जिलों में रहने वाले लोगों को भी लग्जरी बस के माध्यम से उनके गांव भेजने की शुरुआत की गई है।