सूरत : इस साल गणेशोत्सव को लगा कोरोना का ग्रहण

कोरोना के कारण गणेशोत्सव पर इस बार शहर में बड़ी गणेश प्रतिमाओं का आयोजन नहीं होगा। इस साल गणेशोत्सव पर कोरोना का ग्रहण लग गया है। सामान्य तौर पर गणेश चतुर्थी के दो महीने पहले से ही शहर में गणपति बप्पा की मूर्तियाँ बनने लगती है। लेकिन इस बार देशभर में कोरोना के कारण वहाँ के कारीगर अभी तक नहीं आ पाये हैं।
सूरत में गणेशोत्सव के दौरान मात्र मूर्तियाँ ही नहीं बल्कि बड़े पैमाने पर मंडप डेकोरेशन और डेकोरेशन तथा बैंडबाजा आदि के लिए भी ऑर्डर मिलते थे जो कि इस साल ही हो पाएंगे। सूरत के मंडप आयोजक अलग-अलग थीम पर गणपति बप्पा के पंडाल बनाते थे। इस बार कोरोना के कारण सब का व्यापार चौपट हो गया है। सूरत में हर साल बड़े पैमाने पर मिट्टी की और पीओपी की प्रतिमा बिठाई जाती है! लेकिन इस बार छोटी गणपति मूर्तियाँ ही बिठाई जाने के फ़ैसले के बाद मूर्ति विक्रेता निराश हैं।
बीते सालों तक अब तक सूरत में बंगाली विक्रेता आ जाते थे और शहर के अलग-अलग स्थानों पर अपने कारख़ाने लगाकर मूर्ति स्थापना शुरू कर देते थे, लेकिन इस बार सिफऱ् कुछ कारख़ाने ही शुरू हो पाए हैं। उनमें भी कारीगर नहीं है। बंगाली कारीगरों का कहना है कि कुछ तो कोरोना के डर के मारे नहीं आए हैं और कुछ दुविधा में है कि कोरोना के समय में मूर्तियाँ स्थापित होगी या नहीं?
सूरत की तरह मुंबई में भी बड़े-बड़े आयोजन होते हैं लेकिन वहां पर कोरोना की हालत गंभीर होने के कारण इस बार वहाँ भी गणेश आयोजन हो पाना मुश्किल है। मुंबई में बनी मूर्तियों के प्रति सूरत के लोगों में विशेष आस्था होने के कारण सूरत में हर साल मुंबई से भी बड़े पैमाने पर मूर्तियाँ आती हैं। इस साल सूरत में अभी तक सिर्फ 1500 मूर्तियाँ आ सकी है।
उल्लेखनीय है कि हर साल शहर में 70000 से अधिक गणेश प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं। जिनका निर्माण कार्य 3 महीने पहले से ही हो जाता है लेकिन, इस बार अभी तक कार्य नहीं शुरू हो सका। गोपीपुरा क्षेत्र के मूर्तिकार विशाल सोनी ने बताया कि इस बार कोरोना के कारण बंगाली कारीगर नहीं आए हैं। जिस तरह से सूरत में कोरोनावायरस बढ रहा है। उसे देखते हुए बंगाली कारीगर यहां पर मूर्तियों की स्थापना को लेकर चिंतित हैं और वह कारखाने भी नहीं खोलेंगे।