सूरत : बेटा साबित नहीं कर पाया कि उसके माता-पिता शादी-शुदा थे, प्रोपर्टी पर दावा खारिज हो गया!
कभी कभी अदालत में ऐसे मामले सामने आ जाते है जिसका फैसला हैरतअंगेज होता है। सूरत में एक 30 वर्षीय व्यक्ति को अपने पिता की संपत्ति पर अपना अधिकार इसलिए खो देना पड़ा क्योंकि वह यह साबित करने में विफल रहा कि उसके माता-पिता के बीच कानूनी रूप से शादी हुई थी। दरअसल सूरत शहर के निवासी मनोज पटेल शहर के विशेष सिविल अदालत में अपने पिता की संपति पर अपने अधिकार के सिलसले में चल रहे मुकदमे को हार गए। इस मामले में अदालत ने फैसला सुनाया कि विवाह से अलावा स्थपित संबंध से पैदा हुए बच्चे को हिंदू विवाह अधिनियम के तहत पिता की संपत्ति के अधिकार नहीं रहता। अदालत ने चिमनभाई और मनोज की मां सुमनबेन के रिश्ते को ‘लिव-इन रिलेशन’ बताते हुए मनोज को चिमनभाई की संपत्ति का उतराधिकारी नहीं माना। दरअसल मनोज की माँ सुमनबेन चिमनभाई की दूसरी पत्नी थीं। उसने अपनी पहली पत्नी रतनबेन के जीवित रहते हुए भी चिमनभाई से शादी की थी। कोर्ट ने आगे कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 16 (3) के तहत और हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत […]

कभी कभी अदालत में ऐसे मामले सामने आ जाते है जिसका फैसला हैरतअंगेज होता है। सूरत में एक 30 वर्षीय व्यक्ति को अपने पिता की संपत्ति पर अपना अधिकार इसलिए खो देना पड़ा क्योंकि वह यह साबित करने में विफल रहा कि उसके माता-पिता के बीच कानूनी रूप से शादी हुई थी।
दरअसल सूरत शहर के निवासी मनोज पटेल शहर के विशेष सिविल अदालत में अपने पिता की संपति पर अपने अधिकार के सिलसले में चल रहे मुकदमे को हार गए। इस मामले में अदालत ने फैसला सुनाया कि विवाह से अलावा स्थपित संबंध से पैदा हुए बच्चे को हिंदू विवाह अधिनियम के तहत पिता की संपत्ति के अधिकार नहीं रहता। अदालत ने चिमनभाई और मनोज की मां सुमनबेन के रिश्ते को ‘लिव-इन रिलेशन’ बताते हुए मनोज को चिमनभाई की संपत्ति का उतराधिकारी नहीं माना। दरअसल मनोज की माँ सुमनबेन चिमनभाई की दूसरी पत्नी थीं। उसने अपनी पहली पत्नी रतनबेन के जीवित रहते हुए भी चिमनभाई से शादी की थी। कोर्ट ने आगे कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 16 (3) के तहत और हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत किसी भी व्यक्ति का अन्य महिला से शादी करने से पहले अपने पहले विवाह से अलग होना आवश्यक है।
अक्टूबर 2017 में मनोज ने ये बताते हुए मुकदमा दायर किया था कि उनके पिता चिमनभाई ने अपनी पहली पत्नी रतनाबेन की सहमति से उनकी मां से शादी की थी। लेकिन अदालत ने ये कहते हुए ये मामला खरीच कर दिया कि अनुसार मनोज पटेल किसी भी तरह से यह सिद्ध में विफल रहे कि उनके पिता चिमनभाई और माँ सुमनबेन के बीच कानूनी शादी हुई थी और इसलिए,ऐसे में मनोज अपने पिता के किसी भी संपत्ति पर अपने अधिकार का दावा नहीं कर सकते हैं।
आपको बता दें कि मनोज और चिमनभाई और सुमनबेन से पैदा हुए अन्य तीन बच्चे चिमनभाई की संपत्ति में हिस्सा लेने के हकदार थे। इस विवाद की जड़ में सूरत शहर में 62.21 वर्ग मीटर का घर है। सुमनबेन की फरवरी 1996 में मृत्यु हो गई थी, जबकि चिमनभाई का निधन फरवरी 2002 में हुआ था। इसके बाद 2017 में जब मनोज को पता चला कि चिमनभाई की पहली पत्नी के बच्चे संपत्ति हड़पने की कोशिश में है तो मनोज ने सिविल सूट दायर करते हुए संपत्ति में हिस्सेदारी की मांग की।
मनोज ने अपने पक्ष के लिए कई गवाहों को प्रस्तुत किया जिन्होंने कहा कि चिमनभाई और सुमनबेन के बीच शादी हुई थी, लेकिन उनमे से कोई भी पुख्ता जानकारी देने में असफल रहे। इसके बाद अदालत ने कार्यवाही के बाद दोनों के रिश्तें को लिव-इन रिलेशन बताते हुए मनोज को उनके पिता चिमनभाई की संपत्ति का उत्तराधिकारी नहीं माना।