सूरत : उत्तरायण पर पतंग का कारोबार भी कोरोना की भेंट चढ़ता दिख रहा!
बीते एक साल से कोरोना के कारण सभी को बहुत कुछ झेलना पड़ रहा है। कोरोना के कारण विश्व भर में लाखों लोगों की जान जा चुकी है और करोड़ो लोग इस महामारी के शिकार बन चुके है। राज्य में भी कोरोना का असर हर विभाग पर साफ साफ देखा जा सकता है। इसी के साथ साथ हमारे सारे त्यौहार इसकी बलि चढ़ते जा रहे है। पहले नवरात्री और फिर दीवाली कोरोना का भोग बन चुका है। अब ऐसा लग रहा है कि उत्तरायण भी कोरोना के चपेट में आने वाला है। लगभग आधे साल से बंद कपड़ा बाज़ार नवरात्री और दिवाली से उम्मीद लगाए बैठा था कि शायद त्यौहारों के कारण एक बार फिर कपड़ा बाज़ार पुराने लय में लौट आए पर उम्मीद लगाए बैठे लोगों को कोरोना ने एक बार और बड़ा झटका दिया। ऐसा ही हाल उन व्यापारियों का है जो उत्तरायण से कुछ आस लगाए बैठे थे। राज्य में तेज़ी से बढ़ते हुए कोरोना संक्रमण को देखते हुए उत्तरायण से उम्मीद लगाए बैठे पतंग व्यापारियों को निराशा हाथ लगने वाली है। सूरत के पतंग निर्माताओं ने […]
बीते एक साल से कोरोना के कारण सभी को बहुत कुछ झेलना पड़ रहा है। कोरोना के कारण विश्व भर में लाखों लोगों की जान जा चुकी है और करोड़ो लोग इस महामारी के शिकार बन चुके है। राज्य में भी कोरोना का असर हर विभाग पर साफ साफ देखा जा सकता है। इसी के साथ साथ हमारे सारे त्यौहार इसकी बलि चढ़ते जा रहे है। पहले नवरात्री और फिर दीवाली कोरोना का भोग बन चुका है। अब ऐसा लग रहा है कि उत्तरायण भी कोरोना के चपेट में आने वाला है। लगभग आधे साल से बंद कपड़ा बाज़ार नवरात्री और दिवाली से उम्मीद लगाए बैठा था कि शायद त्यौहारों के कारण एक बार फिर कपड़ा बाज़ार पुराने लय में लौट आए पर उम्मीद लगाए बैठे लोगों को कोरोना ने एक बार और बड़ा झटका दिया। ऐसा ही हाल उन व्यापारियों का है जो उत्तरायण से कुछ आस लगाए बैठे थे।
राज्य में तेज़ी से बढ़ते हुए कोरोना संक्रमण को देखते हुए उत्तरायण से उम्मीद लगाए बैठे पतंग व्यापारियों को निराशा हाथ लगने वाली है। सूरत के पतंग निर्माताओं ने कहा कि कोरोनोवायरस महामारी की स्थिति के कारण उनका व्यवसाय मंदा हो गया है। हर साल14 जनवरी को गुजरात में उत्तरायण के त्यौहार को हर्षोल्लास से मनाता है। इसे पतंग के त्यौहार के रूप में भी जाना जाता है। व्यापारियों ने कहा कि इस साल का उत्पादन पिछले वर्षों की तुलना में कम है। कच्चे माल की कीमत भी बढ़ गई है। लोग अभी भी इस बीमारी से डर रहे हैं।
पतंग बनाने वाली एक महिला ने बताया कि कई लोग इस साल महामारी के संकट के कारण पतंग खरीदने से डर रहे हैं। पतंग बेचने वाले एक दुकान के मालिक नरेश ने कहा, “मैं पिछले 50 सालों से पतंग बेच रहा हूं। पतंग ज्यादातर सूरत, बड़ौदा और खंबात और गुजरात में कई अन्य जगहों पर बनाई जाती है। इस साल कोविड-19 महामारी के कारण हम बहुत मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। हमारी बिक्री कम हो गई है।”
आगे उन्होंने कहा, “कच्चे माल देने वाले और तैयार उत्पादों के साथ काम करने वाले सभी थोक व्यापारी और निर्माताओं ने अपनी उत्पादन गतिविधियों को कम कर दिया है। मुझे लगता है कि हम इस साल बिक्री में 50-60 प्रतिशत तक की गिरावट देखी जा सकती हैं।”