सूरत :जाने जिंदादिल दिव्यांग संजयभाई माह्यावंशी के बारे में
शारीरिक क्षति होने के बावजूद आत्मनिर्भर बनें राज्य के कई दिव्यांग अपने पैरों पर खड़े होकर समाज को सम्मान के साथ जीना सिखा रहे हैं। कामरेज में वाव गांव के संजयभाई माह्यावंशी दिव्यांगता को क्षमता में बदलने का एक ज्वलंत उदाहरण हैं। 33 वर्षीय संजयभाई माह्यावंशी कामराज के पास कैंडलवुड कॉम्प्लेक्स में एस आर्ट फिल्म स्टूडियो नामक एक दुकान चलाते हैं। शरीर 75 प्रतिशत दिव्यांग है। स्टूडियो चलाकर वह आत्मनिर्भर तो बन ही गय हंै। साथ ही साथ वह फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के एडीटिंग कार्य के साथ-साथ महिलाओं को रोजगार भी दे रहे हैं। आत्मनिर्भरता के प्रेरक उदाहरण बने संजयभाई कहते हैं कि शारीरिक विकलांगता कभी भी मानव की प्रगति में बाधा नहीं बनती। लेकिन कमजोर मानसिकता एक बाधा बन जाती है। दिव्यांगजनों को कोई न कोई सुषुप्त शक्ति के रूप में भगवान का उपहार मिला होगा। मजबूत मनोबल और ईश्वर प्रदत्त आंतरिक शक्तियों को पहचान कर सही दिशा में प्रयास करने से अच्छा परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि समझदारी एवं कार्यकुशलता से स्वयं ही सफतला हासिल की जा सकती है। दिव्यांगों के लिए रोजगार के कुछ […]

शारीरिक क्षति होने के बावजूद आत्मनिर्भर बनें
राज्य के कई दिव्यांग अपने पैरों पर खड़े होकर समाज को सम्मान के साथ जीना सिखा रहे हैं। कामरेज में वाव गांव के संजयभाई माह्यावंशी दिव्यांगता को क्षमता में बदलने का एक ज्वलंत उदाहरण हैं। 33 वर्षीय संजयभाई माह्यावंशी कामराज के पास कैंडलवुड कॉम्प्लेक्स में एस आर्ट फिल्म स्टूडियो नामक एक दुकान चलाते हैं। शरीर 75 प्रतिशत दिव्यांग है। स्टूडियो चलाकर वह आत्मनिर्भर तो बन ही गय हंै। साथ ही साथ वह फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के एडीटिंग कार्य के साथ-साथ महिलाओं को रोजगार भी दे रहे हैं।
आत्मनिर्भरता के प्रेरक उदाहरण बने संजयभाई कहते हैं कि शारीरिक विकलांगता कभी भी मानव की प्रगति में बाधा नहीं बनती। लेकिन कमजोर मानसिकता एक बाधा बन जाती है। दिव्यांगजनों को कोई न कोई सुषुप्त शक्ति के रूप में भगवान का उपहार मिला होगा। मजबूत मनोबल और ईश्वर प्रदत्त आंतरिक शक्तियों को पहचान कर सही दिशा में प्रयास करने से अच्छा परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि समझदारी एवं कार्यकुशलता से स्वयं ही सफतला हासिल की जा सकती है। दिव्यांगों के लिए रोजगार के कुछ विकल्प हैं। मैं शादी की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी एडिटिंग करके हर महीने 30,000 रुपये कमाता हूं। मैं पिछले 15 सालों से इस काम के साथ जुड़ा हूं। शादियों, सगाई, जन्मदिन जैसे शुभ अवसरों का फोटो और वीडियो एडिटिंग का काम मुझे विभिन्न स्टूडियो द्वारा दिया जाता है। मेरी पत्नी भी दिव्यांग है। संतान में एक बेटी है।
दिव्यांग होने के बावजूद समाज के लिए सहायक होने की एक महान भावना है। यह हमारा मानव कर्तव्य है कि भगवान ने हमें समाज के हित के लिए जो कुछ भी दिया है, उसका उपयोग करें। उन्होंने कहा कि माता-पिता न हो ऐसे लड़कियों के शादी की फोटोग्राफी एवं वीडियोग्राफी का एडिटिंग तथा शादी का एल्बम, डीवीडी, पेन ड्राइव नि: शुल्क बना देता हूं। उन्हें केवल फोटोग्राफर और वीडियोग्राफर को मेहनताना ही देना होगा। ऐसी बेटियां या उनके परिवार मुझसे संपर्क कर सकते हैं।