सूरत : थिएटर मालिकों की बिगड़ गई त्यौहारी सीजन, स्टाफ को आधा करना पड़ा
कम दर्शक के साथ शो शुरु करने से होता है नुकसान वर्ष 2020 में पूरी दुनिया कोरोना वायरस से त्रस्त हो गई है। अधिकांश व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुई है। आम आदमी से लेकर मशहूर हस्तियों तक सभी वर्गों में भय घर कर गई है। कोरोना काल में किसी की नौकरी चली गई तो किसी को व्यवसाय बदलने की आवश्यकता पड़ी है। मार्च के बाद से थिएटर बंद होने के कारण मालिकों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। कुछ थिएटर स्टाफ में कम कर दिए गए हैं जबकि कुछ थिएटर मालिकों ने स्टाफ की सैलरी कम कर दी है। ऐसे समय में जब दिवाली के पांच दिन दर्शकों की भीड़ से भरे रहते थे। थिएटर हाउस फुल होते थे तथा करोड़ों रुपये की आमदनी होती थी, लेकिन इस साल ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। सिनेमाघरों को खुले हुए दो महीने से ज्यादा का समय हो चुका है लेकिन मुश्किल से एक दर्जन लोग फिल्म देखने आते हैं। जबकि कुछ सिनेमाघर अभी भी बंद हैं। दिवाली के दिनों में बड़े बैनर वाली फिल्में आती हैं। जिसके कारण दिवाली के दिन […]
कम दर्शक के साथ शो शुरु करने से होता है नुकसान
वर्ष 2020 में पूरी दुनिया कोरोना वायरस से त्रस्त हो गई है। अधिकांश व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुई है। आम आदमी से लेकर मशहूर हस्तियों तक सभी वर्गों में भय घर कर गई है। कोरोना काल में किसी की नौकरी चली गई तो किसी को व्यवसाय बदलने की आवश्यकता पड़ी है। मार्च के बाद से थिएटर बंद होने के कारण मालिकों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
कुछ थिएटर स्टाफ में कम कर दिए गए हैं जबकि कुछ थिएटर मालिकों ने स्टाफ की सैलरी कम कर दी है। ऐसे समय में जब दिवाली के पांच दिन दर्शकों की भीड़ से भरे रहते थे। थिएटर हाउस फुल होते थे तथा करोड़ों रुपये की आमदनी होती थी, लेकिन इस साल ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। सिनेमाघरों को खुले हुए दो महीने से ज्यादा का समय हो चुका है लेकिन मुश्किल से एक दर्जन लोग फिल्म देखने आते हैं। जबकि कुछ सिनेमाघर अभी भी बंद हैं। दिवाली के दिनों में बड़े बैनर वाली फिल्में आती हैं। जिसके कारण दिवाली के दिन सिनेमाघरों में भारी भीड़ लग जाती थी। कुछ लोग पाँच दिन पहले ही बुकिंग करा लेते थे। लेकिन अहमदाबाद, राजकोट, सूरत, वडोदरा जैसे महानगरों में, कोरोना वायरस एक अभिशाप बन गया है।
नई फिल्म नही होने तथा संक्रमण के भय से कोई फिल्म देखने नहीं आ रहा है। कुछ संचालक जब तक नई फिल्म नहीं आती है औक कोरोना में सुधार नही होता तब तक सिनेमाघरों को बंद करने का फैसला किया है। थिएटर मालिकों को सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करना होगा। जैसे, सिनेमाघरों में केवल 50 प्रतिशत दर्शक, शो पूरा होने के बाद पूरे हॉल को सेनेटाइज करने के लिए 30 मिनट से 1 घंटे का ब्रेक जरुरी है। मास्क एवं सामाजिक दूरी अनिवार्य हैं। इस नियम का उल्लंघन होने पर थिएटर बंद करने से मालिक डरते हैं।
वहीं, थिएटर ग्रुप में काम करने वाले कर्मचारियों को भी आर्थिक नुकसान हो रहा है। वर्तमान में काम करने वाले कर्मचारियों को 30 से 40 प्रतिशत का भुगतान किया जाता है। इस बार थिएटर मालिकों की दिवाली खराब हो गई है। एक ने उम्मीद जताई कि दिवाली तक आठ महीने के आर्थिक नुकसान की भरपाई हो जाएगी। लेकिन इस उम्मीद पर ठंडा पानी फिर गया है। कम दर्शकों के साथ शो शुरू करने से नुकसान है। यदि किसी बड़े बैनर की फिल्म आई होती तो बेहतर होता। ज्यादातर फिल्में फ्लॉप होने के डर से रीशेड्यूल की गई हैं। अब अगर दिसंबर में कोई फिल्म सामने आती है तो यह फायदेमंद होगी।