जानें कोरोना के हालात सुधरते ही क्यों लौटना चाहते हैं ओडिशा के प्रवासी श्रमिक

विगत दिनों लॉकडाउन के चलते काम-धंधें बंद होने पर गुजरात और महाराष्ट्र के औद्योगिक शहरों से बड़ी तादाद में प्रवासी श्रमिक यूपी, बिहार, ओडिशा आदि राज्यों में अपने वतन लौट गये हैं। लेकिन अब ओडिशा से समाचार आ रहे हैं कि वतन लौटे श्रमिक कोरोना के हालात सुधरते ही पुनः अपनी कर्मस्थली पर लौट आना चाहते हैं।
ओडिशो पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार गंजाम जिले के प्रवासी श्रमिकों का मानना है कि लॉकडाउन में उन्हें वतन लौटने पर क्वारंटीन सेंटरों में बढ़िया सुविधाएं मिलीं। लेकिन जहां तक रोजगार का सवाल है, उन्हें गुजरात और महाराष्ट्र में बेहतर विकल्प हैं।
ओडिशा की तुलना में सूरत-महाराष्ट्र में मेहनताना ज्यादा
रिपोर्ट के अनुसार अधिकांश प्रवासी श्रमिक स्किल्ड लेबर हैं और उनके काम में माहिर हैं, जैसे टेक्सटाईल की डाईंग-प्रिंटिंग युनिटों में मशीनें चलाना आदि। ऐसे में इन श्रमिकों को सूरत और महाराष्ट्र में एक दिन का 600 से 700 रुपये मेहनताना मिल जाता है। वहीं ओडिशा में उन्हें एक दिन का 250 से 300 रुपये का ही काम मिलता है। इतना ही नहीं ये श्रमिक चुंकि औद्योगिक इकाइयों में काम करने का अनुभव रखते हैं, इसलिये खेती के काम में उन्हें उतनी महारात हासिल नहीं।
बता दें कि सूरत में इन दिनों टेक्सटाईल मिलों में कारीगरों का काफी किल्लत है। इसका लाभ जो श्रमिक यहां बचे हैं उन्हें मिल रहा है। एक तो उन्हें रोज मेहनताना दिया जा रहा है, और साथ ही पहले की तुलना में अधिक वेतन भी मिल रहा है। उद्यमियों ने स्थानीय प्रसाशन से गुहार भी लगाई है कि श्रमिकों को वापस बुलाने की व्यवस्था की जाए।
लेकिन जैसा की विदित है रेलवे ने 12 अगस्त तक सामान्य पैसेंजर सेवाएं स्थगित कर दी हैं। ऐसे में अगस्त के दूसरे सप्ताह तक तो किसी के लौटने की गुंजाईश नहीं दिखती।