इंटक ने रेलवे निजीकरण के खिलाफ सौंपा ज्ञापन
भारत में रेल के निजीकरण की बात सोची तक नहीं गई थी बुधवार को रेलवे निजीकरण के खिलाफ पर इंटक के तत्वावधान में सूरत रेलवे स्टेशन निदेशक को एक ज्ञापन सौंपकर मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला गया। ज्ञापन में बताया गया कि रेल मंत्रालय द्वारा 109 जोड़ी लगभग 150 निजी ट्रेन चलाने का एक प्रस्ताव लाया गया है, जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। रेल देश के सामान्य जनमानस की जीवनरेखा है। इतिहास में कभी भी भारत में रेल के निजीकरण की बात सोची तक नहीं गई थी, किन्तु वर्तमान सरकार रेलवे के निजीकारण पर पुरी तरह आमादा है। जबकि यह कार्य बिलकुल भी जनहित व देशहित में नहीं है। सरकार को यह ज्ञात होना चाहिए कि विश्व के जिन-जिन देशों में रेल का निजीकरण किया गया, वहां वह विफल व हानिकारक साबित हुआ है। जिसके चलते वहां की सरकारों को पुन: रेल का राष्ट्रीयकरण करना पड़ा है। साथ ही साथ रेलवे का निजीकरण कर्मचारी हितों का गला घोटने के समान है, जो बर्दास्त करने योग्य नहीं हैं। यह निर्णय कर्मचारी कामगार व जन विरोधी है जो सारे संशाधनों को निजी हाथों में सौंपकर सार्वजनिक […]

भारत में रेल के निजीकरण की बात सोची तक नहीं गई थी
बुधवार को रेलवे निजीकरण के खिलाफ पर इंटक के तत्वावधान में सूरत रेलवे स्टेशन निदेशक को एक ज्ञापन सौंपकर मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला गया। ज्ञापन में बताया गया कि रेल मंत्रालय द्वारा 109 जोड़ी लगभग 150 निजी ट्रेन चलाने का एक प्रस्ताव लाया गया है, जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। रेल देश के सामान्य जनमानस की जीवनरेखा है। इतिहास में कभी भी भारत में रेल के निजीकरण की बात सोची तक नहीं गई थी, किन्तु वर्तमान सरकार रेलवे के निजीकारण पर पुरी तरह आमादा है। जबकि यह कार्य बिलकुल भी जनहित व देशहित में नहीं है।
सरकार को यह ज्ञात होना चाहिए कि विश्व के जिन-जिन देशों में रेल का निजीकरण किया गया, वहां वह विफल व हानिकारक साबित हुआ है। जिसके चलते वहां की सरकारों को पुन: रेल का राष्ट्रीयकरण करना पड़ा है। साथ ही साथ रेलवे का निजीकरण कर्मचारी हितों का गला घोटने के समान है, जो बर्दास्त करने योग्य नहीं हैं। यह निर्णय कर्मचारी कामगार व जन विरोधी है जो सारे संशाधनों को निजी हाथों में सौंपकर सार्वजनिक क्षेत्र को नेस्तनाबूद करने का काम करेगा। हम सरकार के ऐसे मजदूर कामगार व जन विरोधी कार्य की कड़ी शब्दों में निंदा करते हैं।
सूरत इंटक के अध्यक्ष उमाशंकर मिश्रा को सुबह से ही पूणा पुलिस ने हिरासत में ले लिया था, उन्हें शाम चार बजे मुक्त किया गया। पुलिस की इस कार्यवाही से नाराज प्रवक्ता शान खान ने कहा कि भाजपा के शासन में तानाशाही अपने चरम पर है। अब इस देश में ज्ञापन देना भी अपराध हो गया है। इस अवसर पर प्रवक्ता शान खान, इंटक के अग्रणी लक्ष्मीशंकर मिश्रा, युवा कांग्रेस के हेमंत पांडेय, आनंद टेलर, तौसीफ अंसारी समेत अन्य अग्रणी उपस्थित रहे थे।
मुझे ऑफिस में ही नजरबंद रखा : उमाशंकर मिश्रा
सूरत इंटक के अध्यक्ष उमाशंकर मिश्रा ने बताया कि मैं मंगलवार को जीआरपी में जाकर ज्ञापन देने की बात कही थी, जिससे बुधवार को सुबह से राजीव नगर स्थित मेरे ऑफिस पर मुझे शाम 5 बजे तक नजरबंद (रोक रखा) था। इंटुक के हमारे साथियों ने ज्ञापन दिया। मात्र ज्ञापन देने की चर्चा पर इस तरह कार्यवाही आज तक कभी नहीं हुई थी।