सूरत में मकरसंक्रांति पर आधी रात को पतंगों की निलामी का अलग मजा हुआ करता था, इस बार सबकुछ नदारद!
14 जनवरी मकरसंक्रांति अर्थात उत्तरायण के दिन सूरत में पतंगबाजी का बड़ा चलन रहता है। लोग सुबह से अपने घरों की छतों पर चढ़ जाते हैं, परिवार और दोस्तों संग पतंगें उड़ाते हैं और मजा करते हैं। खाना-पीना सबकुछ छत पर, और देर शाम कंडिल उड़ाने के बाद ही छत से उतरते हैं। पतंगबाजी के इस पर्व की तैयारी भी कई दिनों पहले से शुरु हो जाती है। पक्के मांजे तैयार किये जाते हैं और रंग-बिरंगी पतंगें खरीदी जाती हैं, कन्नी बांधी जाती हैं और उत्तरायण निमित्त विशेष व्यंजनों की भी तैयारी की जाती है जिनमें तिल के लड्डू और उंधिया सबसे प्रमुख है। लेकिन इस बार लगता है कि उत्तरायण की पतंगबाजी का त्यौहार भी कोरोना की भेंट चढ़ता दिख रहा है। सूरत में पतंगों की होती थी निलामी यूं तो सूरत वासी पतंगबाजी की तैयारी कई दिनों पूर्व शुरु कर देते हैं। लेकिन खास के 14 जनवरी से पूर्व दो दिन मांजे और पतंगों की खरीदारी अपने चरम पर होती है। पतंग उत्पादकों के लिये साल का आधे से अधिक धंधा इन दिनों में ही हो जाता है। […]

14 जनवरी मकरसंक्रांति अर्थात उत्तरायण के दिन सूरत में पतंगबाजी का बड़ा चलन रहता है। लोग सुबह से अपने घरों की छतों पर चढ़ जाते हैं, परिवार और दोस्तों संग पतंगें उड़ाते हैं और मजा करते हैं। खाना-पीना सबकुछ छत पर, और देर शाम कंडिल उड़ाने के बाद ही छत से उतरते हैं। पतंगबाजी के इस पर्व की तैयारी भी कई दिनों पहले से शुरु हो जाती है। पक्के मांजे तैयार किये जाते हैं और रंग-बिरंगी पतंगें खरीदी जाती हैं, कन्नी बांधी जाती हैं और उत्तरायण निमित्त विशेष व्यंजनों की भी तैयारी की जाती है जिनमें तिल के लड्डू और उंधिया सबसे प्रमुख है। लेकिन इस बार लगता है कि उत्तरायण की पतंगबाजी का त्यौहार भी कोरोना की भेंट चढ़ता दिख रहा है।
सूरत में पतंगों की होती थी निलामी
यूं तो सूरत वासी पतंगबाजी की तैयारी कई दिनों पूर्व शुरु कर देते हैं। लेकिन खास के 14 जनवरी से पूर्व दो दिन मांजे और पतंगों की खरीदारी अपने चरम पर होती है। पतंग उत्पादकों के लिये साल का आधे से अधिक धंधा इन दिनों में ही हो जाता है। पतंग के शौकीन शहर के विभिन्न इलकों जैसे भागल, दबगरवाड़, कोटसफिल रोड़, रांदेर में स्थित पतंगों के बाजार में देर रात जाते और विशेष रूप से आयोजित होने वाली निलामी में हिस्सा लेते। लेकिन इस बार पतंगों की निलामी कोरोना के कारण शहर में लागू रात्रि कर्फ्यू की भेंट चढ़ने वाली है।

रात्रि कर्फ्यू के कारण पतंग कारोबार प्रभावित
बता दें कि सूरत शहर में एक जनवरी से पंद्रह जनवरी तक रात्रि दस बजे से रात्रि कर्फ्यू शुरु हो जाता है। ऐेस में इस बार उत्तरायण के दिनों में रात नौ बजे बाजार बंद हो जाने के कारण रात्रि निलामी संभव नहीं हो पायेगी। इसी कारण पतंग उत्पादकों का व्यापार भी खासा कम रहने का अनुमान लगाया जा रहा है।
शहर के पतंग कारोबारियों ने सामूहिक रूप से पुलिस आयुक्त के समक्ष रात्रि कर्फ्यू में ढील देने के लिये पेशकश करने का मन भी बनाया था, लेकिन बाद में विचार त्याग दिया गया। कहा जा रहा है कि छोटे पैमाने पर ही सही पतंगों की निलामी का पांरपरिक सिलसिला कायम रहेगा लेकिन वह आधी रात की जगह रात आठ बजे ही संपन्न कर दिया जायेगा।

शहर के पतंग कारोबारियों को इस साल अधिक व्यापार की उम्मीद नहीं है। इन्होंने इस बार इस सनिल बिजनेस में अधिक निवेश भी नहीं किया है। पतंगों और मांजों की मांग भी घटी है। फिर भी उम्मीद की जानी चाहिये कि सूरत के शौकीन नगरजन उत्तरायण तक बचे शेष दिनों में पतंगों की खरीदारी के लिये उमड़ेंगे और पतंग कारोबारियों के चेहरों पर मुस्कान बिखेरेंगे।