क्या आपको गुस्सा ज्यादा आता है, नींद कम आती है, गुजरात में आपके जैसे कई लोग : सर्वे
कोविड-19 परिस्थितियों का मानवी जीवन पर होने वाले परिणाम का गुजरात के 33 जिलों में 100 यूनिट के 350 छात्रों ने किया डिजीटल सर्वे गुजरात मैं कोरोना संक्रमण से लोग पीडि़त हैं, गुस्से में है और उदासीन भी। लोगों में अब काम करने का उत्साह नहीं रहा। उद्योगों में अनियमितता नहीं दिखाई दे रही है। लोग महामारी कब खत्म होगी इसकी राह देखते हुए अब थक चुके हैं। अब तो फरवरी में कोरोना की प्रथम सालगिरह आ रही है फिर भी अभी तक इसका इलाज नहीं मिल पाया। दुनिया आज जब टीका के लिए तैयार है, लोगों को आशा है कि 2021 के मध्य तक नॉर्मल परिस्थिति हो जाएगी। वैसे भी भूतकाल के वायरस और टीके को देखते हुए किसी भी नए वायरस का टीका 1 साल बाद ही आता है। गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी ने एक सर्वे किया है। इसमें जो नतीजे सामने आए वह चौंकाने वाले है। अचानक पैदा हुई विकट परिस्थिति के कारण 43.9 फ़ीसदी लोग तनाव में आ गए हैं। वही 5.7 फीसदी लोग अभी तक इस से बाहर नहीं आ चुके हैं। 41. 5 फीसदी लोगों […]

कोविड-19 परिस्थितियों का मानवी जीवन पर होने वाले परिणाम का गुजरात के 33 जिलों में 100 यूनिट के 350 छात्रों ने किया डिजीटल सर्वे
गुजरात मैं कोरोना संक्रमण से लोग पीडि़त हैं, गुस्से में है और उदासीन भी। लोगों में अब काम करने का उत्साह नहीं रहा। उद्योगों में अनियमितता नहीं दिखाई दे रही है। लोग महामारी कब खत्म होगी इसकी राह देखते हुए अब थक चुके हैं। अब तो फरवरी में कोरोना की प्रथम सालगिरह आ रही है फिर भी अभी तक इसका इलाज नहीं मिल पाया।
दुनिया आज जब टीका के लिए तैयार है, लोगों को आशा है कि 2021 के मध्य तक नॉर्मल परिस्थिति हो जाएगी। वैसे भी भूतकाल के वायरस और टीके को देखते हुए किसी भी नए वायरस का टीका 1 साल बाद ही आता है। गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी ने एक सर्वे किया है। इसमें जो नतीजे सामने आए वह चौंकाने वाले है।
अचानक पैदा हुई विकट परिस्थिति के कारण 43.9 फ़ीसदी लोग तनाव में आ गए हैं। वही 5.7 फीसदी लोग अभी तक इस से बाहर नहीं आ चुके हैं। 41. 5 फीसदी लोगों को किसी भी प्रकार के तनाव का असर नहीं हुआ है।
43.9 फीसदी लोगों को अधूरी नींद की समस्या में कोई पीड़ा नहीं हुई,लेकिन 36.9 फीसदी लोग इस समस्या से पीडि़त है। वही 5.5 फीसदी लोगों को इस समस्या से जूझना पड़ रहा है। 36.2 फीसदी लोग इस परिस्थिति के कारण चितिंत थे। वही 7 फीसदी लोग आज भी चिंतित है।
सबसे ज्यादा मानसिक असर की बात करें तो व्यक्ति में गुस्सा और उदासीनता का प्रमाण बढ़ गया है। गुस्सा और उदासीनता क्रमश: 39.6 फीसदी और 42.9 फीसदी मात्रा में देखी गई। वहीं 12.7 फीसदी लोग गुस्सा और 11.4 फीसदी लोगों में उदासीनता दिखाई दी। 10 फीसदी लोगों में अभी भी कोरोना का डर बैठा हुआ हैं। वही 38.1 फीसदी लोग कोविड-19 की परिस्थिति में डरे हुए दिखाई दिए थे।
कोरोना की परिस्थिति में व्यक्तिगत समस्या का निवारण लाने के लिए आत्मविश्वास की क्षमता के बारे में 41.4 फीसदी लोगों ने सकारात्मकता दर्शाई थी वही 15.5 फीसदी लोग इसके लिए असमर्थ थे। स्वास्थ्य और मानसिक असर के बारे में 25.5 फीसदी लोग अभी भी पीडि़त है वही 35 फीसदी लोग पीडि़त हुए थे।
हाल में ही जीटीयू संचालित यह एस एस विभाग की ओर से वर्तमान को वेट परिस्थिति के कारण लोगों पर हुए सामाजिक आर्थिक और सामाजिक असर को लेकर डिजिटल सर्वे किया गया था जीटीयू के यह एनएसएस के स्वयं सेवकों द्वारा पूरे राज्य में से उम्र पांच वर्षों की कैटेगरी में 2050 से भी अधिक लोगों पर सर्वे किया गया था।
सर्वे में 1405 पुरुष और 645 से अधिक महिलाएं शामिल थी 16 से 20 उम्र के गुप में सबसे ज्यादा 1300 लोग शामिल हुए थे। वही 21- 30 वर्ष के उम्र में 561, 31- 40 उम्र के ग्रुप में 140, 41 – 50 वर्ष आयु के 39 लोग और 51- 60 वर्ष आयु के 10 लोगों ने इस सर्वे में हिस्सा लिया था।
एनएसएस स्वयंसेवकों ने सितंबर से नवंबर तक 3 माह के लिए पूरे गुजरात के 33 जिलों में 100 यूनिट के 350 छात्रों ने कोविड-19 परिस्थिति के कारण लोगों में दिखाई देने वाला तनाव, अनिंद्रा, गुस्सा और उदासीनता व्यक्तिगत समस्या के निवारण के लिए आत्मविश्वास की क्षमता जैसे विविध मुद्दों को इसमें शामिल किया था। वर्तमान परिस्थिति के कारण स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य पर हुआ असर डिजिटल सर्वे में किया गया।