जहां मां थी नर्स और पिता एम्बुलेंस ड्राइवर; उसी अस्पताल में बेटा बना डॉक्टर
कहते है कि संतान की सफलता के लिए माता पिता सब कुछ न्योछावर कर देते है। पर जब संतान को सफलता प्राप्त होती है, तब सबसे ज्यादा खुश भी माता पिता ही होते है। कुछ ऐसा ही एक किस्सा गुजरात के बाबरा से सामने आया है। जहां जिस अस्पताल में पिता की एम्बुलेंस ड्राइवर के तौर पर बदली हुई थी, पुत्र की नियुक्ति भी उसी अस्पताल में डॉक्टर के तौर पर हुई है। विस्तृत जानकारी के अनुसार, किशोर चौहान बाबरा एक सरकारी अस्पताल में एम्बुलेंस ड्राइवर का काम करते है। जबकि उनकी पत्नी जिले की एक अस्पताल में नर्स के तौर पर काम करती है। किशोर चौहान हमेशा से अपने बेटे को डॉक्टर बनाना चाहते थे। जिसके चलते उन्होंने पुत्र मोहित को विदेश पढ़ने को भेजा, जहां से मोहित ने एमडी की डिग्री हासिल की। जिसके बाद संयोग से मोहित की नियुक्ति उसी अस्पताल में हो गई जहां उसके पिता एम्बुलेंस ड्राइवर का काम करते है। महत्व की बात यह है कि जिस जगह मोहित की नियुक्ति हुई है, वह जगह हाईवे से नजदीक आया हुआ है। इसलिए कई बार […]

कहते है कि संतान की सफलता के लिए माता पिता सब कुछ न्योछावर कर देते है। पर जब संतान को सफलता प्राप्त होती है, तब सबसे ज्यादा खुश भी माता पिता ही होते है। कुछ ऐसा ही एक किस्सा गुजरात के बाबरा से सामने आया है। जहां जिस अस्पताल में पिता की एम्बुलेंस ड्राइवर के तौर पर बदली हुई थी, पुत्र की नियुक्ति भी उसी अस्पताल में डॉक्टर के तौर पर हुई है।
विस्तृत जानकारी के अनुसार, किशोर चौहान बाबरा एक सरकारी अस्पताल में एम्बुलेंस ड्राइवर का काम करते है। जबकि उनकी पत्नी जिले की एक अस्पताल में नर्स के तौर पर काम करती है। किशोर चौहान हमेशा से अपने बेटे को डॉक्टर बनाना चाहते थे। जिसके चलते उन्होंने पुत्र मोहित को विदेश पढ़ने को भेजा, जहां से मोहित ने एमडी की डिग्री हासिल की। जिसके बाद संयोग से मोहित की नियुक्ति उसी अस्पताल में हो गई जहां उसके पिता एम्बुलेंस ड्राइवर का काम करते है।
महत्व की बात यह है कि जिस जगह मोहित की नियुक्ति हुई है, वह जगह हाईवे से नजदीक आया हुआ है। इसलिए कई बार इमरजेंसी के केस आते रहते है। इसके अलावा रोज के 200 पेशंट की ओपीडी रहती है। अब तक यहां डॉक्टर साकिर व्होरा डॉक्टर के रूप में फर्ज पर है, पर अब मोहित की नियुक्ति होने के बाद लोगों को भी ज्यादा फायदा होगा।
पुत्र की नियुक्ति के बाद माता उषा चौहान और पिता किशोर चौहान में खुशी की लहर दौड़ गई है। इसके अलावा डॉक्टर व्होरा ने बताया कि अस्पताल में 3 डॉक्टर की जगह खाली थी, जिसमें से 1 की नियुक्ति हो गई है।