क्या बदलाव होंगे GATE 2021 पेपर पैटर्न में, जानें
टॉप करने वाले विद्यार्थी का प्रतिशत भी 50% से कम रहने के कारण गेट ने परीक्षा के पैटर्न में बदलाव का बड़ा फैसला लिया

GATE यानी ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग… यह सिर्फ एक परीक्षा नहीं बल्कि उन हजारों छात्रों का सपना होता है जिसमें सफल होने के बाद वो एक योग्य इंजीनियर बनने का ख्वाब देखते हैं। लेकिन कुछ ही बच्चों का सपना पूरा हो पाता है और हजारों बच्चे दौड़ से बाहर हो जाते हैं। इसकी एक वजह है कि परीक्षा में पूछे जाने वालों को कठोर स्तर। परीक्षा के पैटर्न और सवालों की आक्रामकता कुछ ऐसी है कि एग्जाम में टॉप करने वाले छात्र के अंक का प्रतिशत भी 50 फीसदी से कम होता है। यही वजह है कि गेट ने परीक्षा के पैटर्न में बदलाव करने का बड़ा फैसला लिया है।
हिंदी अखबार नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक गेट कमेटी अगले साल यानी GATE 2021 के पैटर्न में बदलाव करने पर विचार कर रही है। खबर ये है कि कमेटी ने इसमें होने वाले बदलाव को लेकर तैयारी भी शुरू कर दी है जिसकी जानकारी खुद गेट के चेयरमैन बीआर चाहर ने दी। यहां आपको बता दें कि GATE EXAM (गेट परीक्षा) में इंजीनियरिंग से जुड़े 25 विषयों (पेपर) के लिए बहुविकल्पीय (Multiple choice) और संख्यात्मक (Numerical) तरह के सवाल पूछे जाते हैं। यह एक प्रकार से ऑनलाइन परीक्षा होती है।
परीक्षा के पैटर्न में बदलाव की जरूरत क्यों?
यह बड़ा सवाल है कि गेट परीक्षा के पैटर्न में आखिर बदलाव की जरूरत क्यों महसूस होने लगी है। आखिर इसकी अहम क्या वजह है। दरअसल परीक्षा के प्रारूप में परिवर्तन की सबसे बड़ी वजह वो आंकड़े हैं जो छात्रों को सफलता और असफलता को बयां करते हैं। एनबीटी की रिपोर्ट बताती है कि इसी साल हुए GATE Exam 2020 में 25वें विषय के रूप में पहली बार बायोमेडिकल इंजीनियरिंग को जोड़ा गया था। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि गेट में इस ब्रांच में टॉप करने वाले छात्र, जिनका नाम गणेश शिवाजीराव कुलकर्णी है उन्हें परीक्षा में 100 में से महज 41.67 अंक ही प्राप्त हुए थे जबकि कंप्यूटर साइंस और इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी जैसे विषयों में टॉपर छात्र को 100 में से 91 नंबर प्राप्त हुए। यह परीक्षा के पैटर्न एग्जाम में पूछे गए प्रश्नों की कठोरता को दर्शाता है। शायद यही वजह है कि गेट कमेटी इसमें बदलाव पर विचार कर रही है।
गौरतलब है कि इस बार हुए एग्जाम में बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में कुल 2 हजार 228 छात्र शामिल हुए थे, लेकिन इसमें से केवल 58 छात्र ही परीक्षा में सफल हो सके, इनमें से भी 19 छात्राएं थीं। रिपोर्ट के मुताबिक सामान्य वर्ग के लिए कट-ऑफ 100 में से 25 अंक रहा था। वहीं, ओबीसी एनसीएल के लिए केवल 22.5 प्रतिशत और एससी-एसटी वर्ग और दिव्यांगों के लिए यह महज 16.6 फीसदी ही था। ये आंकड़े बताते हैं कि परीक्षा का पैटर्न कितना मुश्किल हैं। इसलिए ही गेट एग्जाम के प्रारूप को सरल बनाने की कोशिश की जा रही है ताकि छात्र परीक्षा में बेहतर स्कोर कर सकें।
कैसा है मौजूदा GATE Exam पैटर्न?
चूंकि गेट कमेटी परीक्षा से जुड़े पैटर्न में बदलाव को लेकर सोच रही है लिहाजा यह जानना जरूरी हो जाता है कि मौजूदा यानी वर्तमान पैटर्न कैसे है जिसमें कुछ संभावित परिवर्तन की जरूरत है। एनबीटी अखबार की एक दूसरी रिपोर्ट से पता चलता है कि एग्जाम के दौरान छात्रों को 2 अंक और 1 अंक वाले प्रश्न दिए जाते हैं। यह कुल 65 प्रश्न होते हैं जो 100 अंकों को होते हैं। वहीं इन सवालों का जवाब देने के लिए प्रत्येक छात्र को 180 मिनट यानी कुल 3 घंटे का समय दिया जाता है। इसके अलावा परीक्षा के दौरान प्रश्नों को गलत उत्तर देने पर नेगेटिव मार्किंग भी होती है। लेकिन हर अंक वाले सवाल के लिए अलग प्रकार से नेगेटिव मार्क किया जाता है।