किस उम्र के लोगों पर कोरोना का पड़ता है सबसे अधिक असर? जानिए क्या कहते है विशेषज्ञ!
भारत समेत दुनियाभर में कोरोना वायरस के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं। एक बार फिर लोग देश में फैलने वाले वायरस से डरने लगे है और वे इसे रोकने के लिए सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा दिखाए गए नियमों का पालन कर रहे थे। लेकिन इसके अलावा बड़े पैमाने में लोग कोरोना को नकारने में लगे है। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि बड़ी संख्या में लोगों द्वारा लापरवाही हो रही है, जिसके कारण फिर से कोरोना मामलें तेजी से बढ़ रहे है। तो आइए जानें कि किस उम्र के लोग कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं और साथ ही इससे जुड़े अन्य सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं। कोरोना से लोग किस उम्र में सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं? इस सवाल के जवाब में, दिल्ली के लेडी हार्डिंग अस्पताल की डॉ एन एन माथुर कहते हैं कि बुजुर्गों और बच्चों जैसे 50-60 वर्ष से अधिक आयु के वृद्ध और एक या दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों पर कोरोना का प्रभाव अधिक होता है। मध्यवर्ती लोग कोरोना से लड़ने की क्षमता विकसित […]
भारत समेत दुनियाभर में कोरोना वायरस के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं। एक बार फिर लोग देश में फैलने वाले वायरस से डरने लगे है और वे इसे रोकने के लिए सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा दिखाए गए नियमों का पालन कर रहे थे। लेकिन इसके अलावा बड़े पैमाने में लोग कोरोना को नकारने में लगे है। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि बड़ी संख्या में लोगों द्वारा लापरवाही हो रही है, जिसके कारण फिर से कोरोना मामलें तेजी से बढ़ रहे है। तो आइए जानें कि किस उम्र के लोग कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं और साथ ही इससे जुड़े अन्य सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं।
कोरोना से लोग किस उम्र में सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं? इस सवाल के जवाब में, दिल्ली के लेडी हार्डिंग अस्पताल की डॉ एन एन माथुर कहते हैं कि बुजुर्गों और बच्चों जैसे 50-60 वर्ष से अधिक आयु के वृद्ध और एक या दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों पर कोरोना का प्रभाव अधिक होता है। मध्यवर्ती लोग कोरोना से लड़ने की क्षमता विकसित कर सकते हैं। लेकिन हर किसी को कोरोना वायरस से बचने के लिए नियमों का पालन करना चाहिए।
आपको बता दें कि दिल्ली में 37,000 से अधिक आरटी-पीसीआर परीक्षणों का आदेश दिया गया है। इसके बारे में डॉ. माथुर ने कहा कि RT-PCR को स्वर्ण मानक परीक्षण (गोल्ड स्टैण्डर्ड टेस्ट) माना जाता है। यह ध्यान देने योग्य है कि रैपिड एंटीजन टेस्ट की योग्यता थोड़ी कम है, इसमें कभी-कभी नकारात्मक तो कभी कभी सकारात्मक मिलते है। दिल्ली में कोरोना के संक्रमण की गति को रोकने के लिए एक सकारात्मक मामले को पकड़ना बहुत आवश्यक है। इसीलिए रैपिड एंटीजन की जगह RT-PCR को महत्व दिया जा रहा है।
फिर भी लोग सर्जिकल मास्क पहन रहे हैं, क्या यह उचित है? इस प्रश्न के उत्तर में, डॉ. माथुर ने कहा, “अगर आप सर्जिकल मास्क पहनते हैं, तो दूसरी बार इसका इस्तेमाल न करें।” अगर आप हर दिन मास्क खरीदने से बचना चाहते हैं, तो कॉटन या ट्रिपल लेयर्ड मास्क का इस्तेमाल करें। ऐसे मास्क आप 4-5 खरीदकर रख सकते हैं। एक का उपयोग करने के बाद, धोने और सूखने के लिए छोड़ दें और दूसरे का उपयोग करें। यदि आप 3-4 दिनों के लिए इस तरह से एक मास्क का उपयोग करते हैं, तो वायरस होने की संभावना कम होगी। इसके अलावा, मास्क पहनते समय बार-बार ऊपर-नीचे न करें। ऐसा करने से वायरस मुंह में प्रवेश कर सकता है। यदि आप मास्क को छूना चाहते हैं तो हाथों को साफ करके करे। मास्क छूने के बाद बिना भूले फिर से हाथ धोए।
अपने अपने घरों में आइसोलेटेड लोगों के बारे में क्या कहेंगे जो घर पर नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं? इस प्रश्न के उत्तर में, डॉ. माथुर का कहना है कि अगर कोई घर में खुद को आइसोलेट करता है, तो घर में एक और व्यक्ति होना चाहिए। दूसरे व्यक्ति को एन -95 मास्क पहनना होगा। रोगी डॉक्टर और किसी अन्य व्यक्ति के संपर्क में होगा। लक्षण बढ़ने पर मरीज को अस्पताल में भर्ती करना पड़ता है। लेकिन यहां तक कि घर पर रहना पर भी मरीज को परिवार के साथ खाने, बैठने, और बात करने से बचना चाहिए। मरीज़ को दूर दूसरे कमरे में रहना चाहिए और अगर वह घर के किसी अन्य सदस्य से बात करना चाहता है, तो उसे मास्क पहनना होगा और दो मीटर की दूरी बनाए रखना होगा।
भारत में कोरोना की वर्तमान स्थिति के बारे में डॉ माथुर का कहना है कि भारत में कोरोना के मामलों की संख्या पहले से ही अन्य देशों की तुलना में कम है, लेकिन कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं। इस वजह से स्थिति थोड़ी चिंताजनक हो गई है। इसके लिए लोगों को सावधानी रखनी होगी। सभी दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करना होगा।