एक शोध में आया सामने, भारत सहित कई देशों में कोरोना के मरीज़ हो रहे हैं फेफड़े की इस बीमारी के शिकार!
कोरोना संक्रमण के आतंक एक बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। एक शोध के अनुसार कोरोना के कारण वजह से भारत, अमेरिका और यूरोप के अधिकांश मरीजों में फेफड़ों से जुड़ी एक बड़ी और जानलेवा समस्या सामने आ रही हैं। इस बीमारी में व्यक्ति को इस थकान रहती है और सांस लेने में काफी दिक्कत होती है। ये समस्या भारत, अमेरिका और यूरोप के कई मरीजों में सामने आई है। आपको बता दें कि शोधकर्ताओं ने इस बीमारी का लक्षण देखते हुए इसका नाम है लंग फाइब्रोसिस रखा है। इसे पल्मोनरी फाइब्रोसिस भी कहते हैं। एक जानकारी के अनुसार अब तक दुनियाभर में 6 करोड़ से ज्यादा लोगों को कोरोना संक्रमण हो चुके है। हालांकि इनमें से ज्यादातर हल्के या मध्यम दर्जे के संक्रमण से जूझ रहे हैं। मात्र 10 फीसदी लोग गंभीर रूप से संक्रमित हुए है। ऐसे में भी मात्र 5 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (ARDS) नाम की बीमारी से परेशान हैं। इन्ही 5 से 10 फीसदी लोगों में लंग फाइब्रोसिस (Lung Fibrosis) की समस्या देखी जा रही है। डॉ उदवादिया के […]
कोरोना संक्रमण के आतंक एक बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। एक शोध के अनुसार कोरोना के कारण वजह से भारत, अमेरिका और यूरोप के अधिकांश मरीजों में फेफड़ों से जुड़ी एक बड़ी और जानलेवा समस्या सामने आ रही हैं। इस बीमारी में व्यक्ति को इस थकान रहती है और सांस लेने में काफी दिक्कत होती है। ये समस्या भारत, अमेरिका और यूरोप के कई मरीजों में सामने आई है। आपको बता दें कि शोधकर्ताओं ने इस बीमारी का लक्षण देखते हुए इसका नाम है लंग फाइब्रोसिस रखा है। इसे पल्मोनरी फाइब्रोसिस भी कहते हैं।
एक जानकारी के अनुसार अब तक दुनियाभर में 6 करोड़ से ज्यादा लोगों को कोरोना संक्रमण हो चुके है। हालांकि इनमें से ज्यादातर हल्के या मध्यम दर्जे के संक्रमण से जूझ रहे हैं। मात्र 10 फीसदी लोग गंभीर रूप से संक्रमित हुए है। ऐसे में भी मात्र 5 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (ARDS) नाम की बीमारी से परेशान हैं। इन्ही 5 से 10 फीसदी लोगों में लंग फाइब्रोसिस (Lung Fibrosis) की समस्या देखी जा रही है।
डॉ उदवादिया के अनुसार लगातार लंग फाइब्रोसिस (Lung Fibrosis) के केस सामने आ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि जुलाई में एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने भी कहा था कि देश के डॉक्टरों को कोरोना मरीजों के ठीक होने के बाद भी उनके अन्य अंगों की जांच करके देखनी चाहिए कि कोरोना की वजह से उन अंगों में कोई समस्या तो नहीं है।
आपको बता दें कि कुछ मरीजों को ठीक होने के बाद भी उनके घर पर भी ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। मरीज के ठीक होने के तीन महीने बाद जब सीटी स्कैन किया जाता है तो उनके फेफड़ों की स्थिति बहुत खराब मिलती है। इस बीमारी में मरीज के फेफड़ों के ऊतक सूज जाते हैं। ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और खून का बहाव कम होने लगता है। ऐसे में दिल ढंग से काम नहीं करता। इन सभी का परिणाम ये हो सकता है कि मल्टी ऑर्गन फेल्योर, हार्ट अटैक या गंभीर अवस्था के कारण व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। डॉ उदवादिया कहते हैं कि मुझे उम्मीद है कि ज्यादातर लोग लंग फाइब्रोसिस (Lung Fibrosis) से ठीक हो सकते हैं लेकिन कुछ लोगों में यह बीमारी भारी असर दिखाकर जाएगी।
हालांकि डॉ उदवादिया का मानना है कि ज्यादा समय तक अगर लंग फाइब्रोसिस (Lung Fibrosis) किसी मरीज में रहता है तो उसे श्वसन प्रणाली से संबंधित गंभीर बीमारियां हो सकती है। इसके अलावा अनुमान है कि व्यक्ति स्थाई तौर पर फेफड़ों की बीमारियों से ग्रसित हो सकता है। इस बीमारी का इलाज उपलब्ध होने के बाद भी इसका सबसे बड़ा इलाज बचाव ही है।