तनाव से हो सकती है आपकी हड्डियां कमजोर
नई दिल्ली। कमजोर हड्डियां, जोड़ों में दर्द आदि ऐसी कई समस्याएं हैं जिनके लक्षण केवल बुढ़ापे या बचपन में देखे जाते थे। लेकिन अब इनके लक्षण युवाओं में भी दिखाई दे रहे है। ऐसा माना जाता है कि तनाव के कारण हाइपरटेंशन, हृदय रोग, पाचन संबंधी विकार, अवसाद और अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो जाती हैं। लेकिन अब इसका असर हड्डियों पर भी पड़ने लगा है। इसका आपकी हड्डियों पर एक नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। तनाव के कारण कुछ युवाओं में ऑाqस्टयोपोरोसिस की समस्या देखी गई है। शहरी महिलाओं में काम और परिवार की देखभाल के चलते ऑाqस्टयोपोरोसिस का खतरा ते़जी से बढ़ रहा है। नींद की कमी, कम फिजिकल एाqक्टविटी और घंटों काम करना आदि से तनाव पैदा होता है। आप ऑाqस्टयोपोरोसिस से बचने के लिए प्राकृतिक उपचार का उपयोग कर सकते हैं। जब तनाव कम होता है, तो उसे सामान्य माना जाता है लेकिन तनाव ज्यादा होने पर इसका बॉडी और माइंड पर बुरा प्रभाव पड़ता है। पहला, जब तनाव ज्यादा होता है, तो बॉडी र्कोिटसोल हार्मोन जारी करती है। बॉडी द्वारा र्कोिटसोल हार्मोन का स्तर बढ़ने से […]
नई दिल्ली। कमजोर हड्डियां, जोड़ों में दर्द आदि ऐसी कई समस्याएं हैं जिनके लक्षण केवल बुढ़ापे या बचपन में देखे जाते थे। लेकिन अब इनके लक्षण युवाओं में भी दिखाई दे रहे है। ऐसा माना जाता है कि तनाव के कारण हाइपरटेंशन, हृदय रोग, पाचन संबंधी विकार, अवसाद और अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो जाती हैं। लेकिन अब इसका असर हड्डियों पर भी पड़ने लगा है। इसका आपकी हड्डियों पर एक नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। तनाव के कारण कुछ युवाओं में ऑाqस्टयोपोरोसिस की समस्या देखी गई है। शहरी महिलाओं में काम और परिवार की देखभाल के चलते ऑाqस्टयोपोरोसिस का खतरा ते़जी से बढ़ रहा है। नींद की कमी, कम फिजिकल एाqक्टविटी और घंटों काम करना आदि से तनाव पैदा होता है। आप ऑाqस्टयोपोरोसिस से बचने के लिए प्राकृतिक उपचार का उपयोग कर सकते हैं।
जब तनाव कम होता है, तो उसे सामान्य माना जाता है लेकिन तनाव ज्यादा होने पर इसका बॉडी और माइंड पर बुरा प्रभाव पड़ता है। पहला, जब तनाव ज्यादा होता है, तो बॉडी र्कोिटसोल हार्मोन जारी करती है। बॉडी द्वारा र्कोिटसोल हार्मोन का स्तर बढ़ने से हड्डी के निर्माण में बाधा होती है। वास्तव में बॉडी र्कोिटसोल के पीएच संतुलन को प्रभावहीन करने के लिए हड्डियों से वैâाqल्शयम जारी करती है। दूसरा, तनाव ज्यादा होने पर व्यक्ति अपनी स्वस्थ आदतें जैसी पूरी नींद, पर्याप्त भोजन और एक्सरसाइ़ज करना आदि छोड़ देता है। इन सबके कारण भी हड्डी की हानि हो सकती है। डॉक्टर के अनुसार, अपने डॉक्टर की सलाह के बाद आप वैâाqल्शयम से भरपूर पूâड्स और सप्लीमेंट्स लेना शुरू कर सकते हैं। शरीर के लिए ़जरूरी पोषक तत्वों का ख्याल रखें और उन्हें पूरा करने की कोशिश करें। इससे बचने के लिए शारीरिक गतिविधि बभी बहुत जरूरी है। आप योग और ध्यान का अभ्यास कर सकते हैं। ३५ साल की उम्र के बाद अपने हड्डी घनत्व की जांच कराएं।