जेलर का किरदार निभाने जेल गया था ये अभिनेता
बलराज साहनी की गिनती बेहद प्रतिभाशाली अभिनेताओं में से एक होती है, जिनका असली नाम युद्धिष्ठिर साहनी है

गुजरे जमाने के दिग्गज अभिनेता बलराज साहनी जेल भी गये थे। फिल्म के निर्माता के. आसिफ जेलर के रोल को प्रामाणिक बनाना चाहते थे, आसिफ ने शासन से इस बात की स्वीकृति हासिल कर ली कि उन्हें और जेलर का रोल निभाने वाले अभिनेता को रोज थोड़ा समय जेल में बिताने का मौका दिया जाए। बाद में हकीकत में भी बलराज को जेल जाना पड़ा। बलराज साहनी की गिनती बेहद प्रतिभाशाली अभिनेताओं में से एक होती है। उनका असली नाम युद्धिष्ठिर साहनी है।
बलराज ने उस दौर में इंग्लिश लिटरेचर से मास्टर डिग्री की। उन्होंने लाहौर यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की थी। 13 अप्रैल 1973 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। दिलीप के कहने पर के. आसिफ ने बलराज को फिल्म `हलचल’ में एक अहम रोल दिया। वो फिल्म में जेलर बने। के. आसिफ जेलर के रोल को प्रामाणिक बनाना चाहते थे, इसके लिए वे कुछ नेताओं और फिर जेल प्रशासन से मिले।
आसिफ ने शासन से इस बात की स्वीकृति हासिल कर ली कि उन्हें और जेलर का रोल निभाने वाले अभिनेता को रोज थोड़ा समय जेल में बिताने का मौका दिया जाए।

बलराज साहनी भी चाहते थे कि उनके रोल में हकीकत नजर आये, इसके लिए वो उत्साहित हो कर आसिफ के साथ आर्थर रोड जेल पहुंचे। जेलर ने बलराज और आसिफ को बैरक दिखाई, कैदियों का रहन सहन दिखाया और जेल मैनुअल के बारे में जानकारी दी।
असल में इस प्रकार पहूंचे जेल
बलराज उन दिनों बलवंत गार्गी के लिखे नाटक `सिग्नलमैन’ की तैयारियों में भी समय दे रहे थे। इसका निर्देशन वह खुद कर रहे थे। रिहर्सल के दौरान उन लोगों को एक दिन खबर मिली की परेल से कम्युनिस्ट पार्टी का जुलूस निकलने वाला है। वामपंथी विचारधारा के कट्टर समर्थक बलराज अपनी पत्नी के साथ उस जुलूस में शामिल हुए।
जुलूस के कुछ दूर चलने के बाद हिंसा शुरू हो गई। कई लोगों के साथ बलराज साहनी भी गिरफ्तार कर लिए गए। उन्हें बरेली जेल भेज दिया गया। दो महीने वहां रहने के बाद उन्हें जेल की ए क्लास श्रेणी मिल गई और फिर मुंबई की आर्थर रोड जेल भेज दिया गया। आर्थर रोड जेल के जेलर की नजर बलराज साहनी पर पड़ी तो वो उन्हें बहुत गौर से देखते हुए बोले मैंने तुम्हें कहीं देखा है। बलराज साहनी ने उन्हें यकीन दिलाया कि उन्हें कोई गलतफहमी हुई है। एक दिन जेलर ने बलराज साहनी को उनकी बैरक से अपने कमरे में बुलवाया। जब बलराज पहुंचे, तो वहीं बैठे जेलर और के.आसिफ उन्हें देख कर जोर से हंसे। अब जेलर की समझ में आया कि उन्होंने बलराज को पहले कहां देखा था।