चीन के साथ बढ़ी टेंशन, रुपया हुआ 6 सप्ताह में सबसे कमजोर

भोपाल (ईएमएस)। चीन और भारत के बीच बढ़ते विवाद का असर रुपए पर साफ-साफ दिखा। मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 17 पैसे की गिरावट के साथ 76.20 पर बंद हुआ। यह छह सप्ताह का सबसे न्यूनतम स्तर है। बता दें कि लद्दाख बॉर्डर पर भारत और चीन के बीच हिंसक झड़प में एक कमांडिंग ऑफिसर समेत 3 जवान शहीद हुए हैं।
निवेशकों का मनोबल और कमजोर हुआ है फॉरेस ट्रेडर्स का कहना है कि सीमा विवाद के अलावा भारत में तेजी से बढ़ रहे कोरोना के मामले और विदेशी निवेशकों द्वारा लगातार निकाले जा रहे निवेश के कारण भी निवेशकों का मनोबल कमजोर हो रहा है, जिसके कारण रुपए पर दबाव बढ़ रहा है।
कल के मुकाबले 17 पैसे की गिरावट
मंगलवार सुबह को रुपया डॉलर के मुकाबले 75.89 पर खुला और कारोबार के दौरान 75.77 के स्तर तक को छुआ। जैसे ही सीमा पर चीन के साथ हिंसा की खबर आई इसमें जबर्दस्त गिरावट आई और यह 76.26 तक फिसल गया। कारोबार बंद होने पर यह 76.20 पर था। कल के मुकाबले इसमें 17 पैसे की गिरावट आई है।
कमजोर रुपए का यह होगा असर
भारत अपनी जरूरत का करीब 80 फीसदी पेट्रोलियम उत्पाद आयात करता है। रुपए में गिरावट से पेट्रोलियम उत्पादों का आयात महंगा हो जाएगा। इस वजह से तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के भाव बढ़ा सकती हैं। पिछले 10 दिनों पेट्रोल पहले ही 5.45 रुपए महंगा हो चुका है। डीजल के दाम बढऩे से माल ढुलाई बढ़ जाएगी, जिसके चलते महंगाई बढ़ सकती है। इसके अलावा, भारत बड़े पैमाने पर खाद्य तेलों और दालों का भी आयात करता है। रुपए की कमजोरी से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों और दालों की कीमतें बढ़ सकती हैं।
एक अनुमान के मुताबिक डॉलर के भाव में एक रुपए की वृद्धि से तेल कंपनियों पर 8,000 करोड़ रुपए का बोझ पड़ता है। इससे उन्हें पेट्रोल और डीजल के भाव बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ता है। पेट्रोलियम उत्पाद की कीमतों में 10 फीसदी वृद्धि से महंगाई करीब 0.8 फीसदी बढ़ जाती है। इसका सीधा असर खाने-पीने और परिवहन लागत पर पड़ता है।