यदि कोरोना की वजह से अर्थव्यवस्था नीचे जा रही है, तो शेयर बाजार कैसे फलफूल रहा है?
विश्व अर्थ व्यवस्था द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की सबसे खराब मंदी का सामना कर रही है, ऐसा विश्व बैंक ने अपनी जून 2020 की वैश्विक आर्थिक संभावना रिपोर्ट में कहा। 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में 5.2 प्रतिशत की गिरावट की आशंका है। विश्व बैंक के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था को भी इस वित्तीय वर्ष 2020-21 में 3.2 प्रतिशत की गिरावट की आशंका है। भारत की बात करें तो बिजनेस टुडे पत्रिका के नए अंक में इस बारे में तीन रोचक तथ्य प्रस्तुत किये गये हैं। 1) एसबीआई के अनुमानों के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-21 में अर्थव्यवस्था में 6.8 प्रतिशत की गिरावट की संभावना है। 2) वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही यानी मार्च में जीडीपी की वृद्धि दर केवल 3.1 प्रतिशत थी, जो कि 11 वर्षों में सबसे धीमी दर है। 3) सभी कंपनियों के परिणाम बताते हैं कि उनकी आय और मुनाफे में भारी कमी आई है। शेयर बाजारों में वृद्धि चौंकाने वाली है, क्योंकि न तो व्यापक आर्थिक बुनियादी ढांचे और न ही व्यापार के मूल तत्व मजबूत हैं। बिज़नेस टुडे के अनुसार, भारत की 532 कंपनियों का […]
विश्व अर्थ व्यवस्था द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की सबसे खराब मंदी का सामना कर रही है, ऐसा विश्व बैंक ने अपनी जून 2020 की वैश्विक आर्थिक संभावना रिपोर्ट में कहा। 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में 5.2 प्रतिशत की गिरावट की आशंका है। विश्व बैंक के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था को भी इस वित्तीय वर्ष 2020-21 में 3.2 प्रतिशत की गिरावट की आशंका है।
भारत की बात करें तो बिजनेस टुडे पत्रिका के नए अंक में इस बारे में तीन रोचक तथ्य प्रस्तुत किये गये हैं।
1) एसबीआई के अनुमानों के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-21 में अर्थव्यवस्था में 6.8 प्रतिशत की गिरावट की संभावना है।
2) वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही यानी मार्च में जीडीपी की वृद्धि दर केवल 3.1 प्रतिशत थी, जो कि 11 वर्षों में सबसे धीमी दर है। 3) सभी कंपनियों के परिणाम बताते हैं कि उनकी आय और मुनाफे में भारी कमी आई है।
शेयर बाजारों में वृद्धि चौंकाने वाली है, क्योंकि न तो व्यापक आर्थिक बुनियादी ढांचे और न ही व्यापार के मूल तत्व मजबूत हैं। बिज़नेस टुडे के अनुसार, भारत की 532 कंपनियों का शुद्ध लाभ वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही में 39.5 प्रतिशत घट गया, जबकि एक साल पहले यह 59 प्रतिशत था। उनकी कमाई 12 तिमाहियों में सबसे खराब रही है।
लेकिन 23 मार्च से 12 जून के बीच देश के शीर्ष तीन शेयरों- आरआईएल, एचडीएफसी और इंफोसिस का बाजार पूंजीकरण 6.3 लाख करोड़ रुपये या लगभग 43 प्रतिशत बढ़ा, जबकि जनवरी-मार्च तिमाही में इनका प्रदर्शन कमजोर था। यही नहीं, सभी शेयरों के मूल्य-से-आय अनुपात (पीई) से पता चलता है कि उनका मूल्यांकन बहुत अधिक है। कम पीई वाले शेयरों को अच्छा माना जाता है। 2007-08 के लेहमन संकट की तुलना में सेंसेक्स की पीई दोगुनी हो गई है। 18 जून को S&P बीएसई सेंसेक्स में 21.81 का पीई था। यही नहीं, चीन के साथ चल रहे व्यापार युद्ध के बावजूद शेयर बाजार फलफूल रहा है।
शेयर बाजार में तेजी का कारण क्या है?
जब अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है, तो शेयर बाजार क्यों फलफूल रहे हैं? इसका एक कारण यह है कि सरकारों ने जो नकदी अर्थव्यवस्था में डाली है उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। भारत में भी, रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कटौती की है। इससे सिस्टम में अतिरिक्त 8.1 लाख करोड़ रुपये की नकदी हुई। हालांकि, इसका अधिकांश हिस्सा अब रिजर्व बैंक के पास जमा है।
शेयर बाजार में वृद्धि का एक अन्य कारण आदमी की सदियों पुरानी जुआ या सट्टेबाजी की लत है, जो उसे कम समय में अधिक पैसा बनाने के लिए प्रेरित करती है। शेयर बाजार एक ऐसा खेल है जिसमें कुछ लोग लाभान्वित होते हैं, कुछ लोग हार जाते हैं। अधिक से अधिक लोग अब गिरती ब्याज दरों के कारण खेल से जुड़ेंगे। जैसा कि एक बार भारतीय अर्थशास्त्री ने कहा था, शेयर बाजार हमारे आस-पास सबसे बड़ी पोन्जी स्किम है।