सूरत : टिकाऊ कपड़ा केंद्र बनाने के लिए एसजीसीसीआई, सीईई, एसजीटीपीए और यूएनईपी ने की एक बैठक 

नई पीढ़ी को प्रदूषण मुक्त जीवन देने के लिए सभी व्यवसायियों को मिलकर काम करना होगा: चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष रमेश वघासिया

सूरत : टिकाऊ कपड़ा केंद्र बनाने के लिए एसजीसीसीआई, सीईई, एसजीटीपीए और यूएनईपी ने की एक बैठक 

सूरत को 8R - का उपयोग करके एक टिकाऊ कपड़ा केंद्र बनाया जा सकता है: क्लाउडिया जियाकोवेली, यूएनईपी कार्यक्रम अधिकारी

दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री पर्यावरण शिक्षा केंद्र (सीईई), दक्षिण गुजरात टेक्सटाइल प्रोसेसर्स एसोसिएशन (एसजीटीपीए), दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसजीसीसीआई) और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) संहती, सरसाना, में  'सूरत को एक सस्टेनेबल टेक्सटाइल हब बनाने' पर एक संयुक्त बैठक की। जब यूएनईपी द्वारा सूरत टेक्सटाइल क्लस्टर के सस्टेनेबिलिटी प्रोजेक्ट को अगले चार वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया है, तो इस परियोजना के तहत क्या लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं और इसके लिए क्या संचालन करना होगा, इस पर इस बैठक में विस्तृत चर्चा हुई।

बैठक में चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष रमेश वघासिया ने सभी का स्वागत करते हुए कहा, 'वर्तमान में दुनिया के हर कोने में प्रदूषण फैल गया है। एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमारा कर्तव्य है कि हम पर्यावरण की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाएँ। उन्होंने अपील की कि नई पीढ़ी को प्रदूषण मुक्त जीवन देने के लिए सभी उद्योगपतियों और नागरिकों को मिलकर काम करना होगा।

 उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि मिशन 84 अंतर्गकत चैंबर और यू.एस. ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल के बीच वर्ष 2070 तक भारत को शुद्ध शून्य उत्सर्जन बनाने के लिए एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं, उन्होंने कहा कि शून्य उत्सर्जन के तहत दक्षिण गुजरात के विभिन्न उद्योगों में पर्यावरण को और अधिक नुकसान नहीं पहुंचाने की दिशा में कार्यक्रम बनाए जाएंगे। साथ ही उद्योगपतियों को विभिन्न तकनीकों की जानकारी दी जायेगी।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की कार्यक्रम अधिकारी क्लाउडिया जियाकोवेली ने कहा, 'यूएनईपी ने सूरत टेक्सटाइल क्लस्टर सस्टेनेबिलिटी प्रोजेक्ट को दिसंबर 2023 से सितंबर 2027 तक अगले चार वर्षों के लिए बढ़ा दिया है। जिसमें कपड़ा मंत्रालय, भारत सरकार और यूएनईपी मिलकर काम करते हैं और सीईई अहमदाबाद को कार्यान्वयन की जिम्मेदारी दी जाती है। जिसमें SGCCI और SGTPA मिलकर काम कर रहे हैं।

उन्होंने सूरत को एक टिकाऊ कपड़ा केंद्र बनाने के लिए उद्यमियों को 8R की अवधारणा समझाई। 8R का मतलब है रिफ्यूज, रिड्यूस, रीयूज, रिपेयर, रीफर्बिश, रीमैन्युफैक्चर, रीपर्पज और रीसायकल। जिसका उपयोग करके सूरत को एक टिकाऊ कपड़ा केंद्र बनाया जा सकता है।

उन्होंने व्यवसायियों से कहा कि आने वाले दिनों में यूरोप में उत्पाद पर्यावरण पदचिह्न का अनुपालन अनिवार्य किया जा रहा है, इसलिए यदि कोई उत्पाद यूरोप में निर्यात किया जाता है, तो उत्पाद पर्यावरण पदचिह्न की जानकारी अनिवार्य होगी। भविष्य में यूरोप को निर्यात किए जाने वाले उत्पाद की प्रतिस्पर्धात्मकता क्या है, इसका पर्यावरणीय पदचिह्न क्या है? यह उसी पर आधारित होगा।

सूरत टेक्सटाइल क्लस्टर सस्टेनेबिलिटी प्रोजेक्ट के तहत, यूएनईपी सूरत के कपड़ा उद्योग को इसके अनुपालन के बारे में सूचित करेगा और आवश्यक समझ देगा कि उनके उत्पाद यूरोपीय पर्यावरण पदचिह्न के मानदंडों के अनुसार बनाए जाएंगे। इस सन्दर्भ में क्रियान्वित किये जाने वाले कार्यक्रमों में यदि वित्तीय आवश्यकता होगी तो अन्तर्राष्ट्रीय वित्त निगम से भी धनराशि प्राप्त की जायेगी। उन्होंने कहा कि कपड़ा मंत्रालय भारत सरकार की मदद करेगा।

दक्षिण गुजरात टेक्सटाइल प्रोसेसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र वखारिया ने कहा, 'सूरत भारत का पहला शहर है जो कपड़ा क्षेत्र में कपड़ा बनाने के लिए सीवेज उपचारित पानी का उपयोग करता है। शहर के कुछ क्षेत्रों में कपड़ा क्षेत्र से निकलने वाले ठोस कचरे के निपटान की प्रक्रिया जर्मन तकनीक का उपयोग करके की गई है।

इस बैठक में चर्चा के अंत में अगले चार वर्षों में शहर के कपड़ा उद्योग में उपयोग होने वाले कुल पानी का 50 फीसदी पानी को शोधित कर पुन: उपयोग में लाया जाएगा। सूरत एमएमएफ केंद्र होने के नाते, सर्कुलरिटी को बढ़ावा देने के लिए वस्त्रों के पुन: उपयोग को बढ़ाने के लिए सूरत कपड़ा क्लस्टर में विभिन्न स्थानों पर बड़े कपड़े संग्रह केंद्र स्थापित किए जाएंगे। वहीं हरित ऊर्जा क्षेत्र में अगले चार वर्षों के दौरान कपड़ा उद्योग में कुल बिजली खपत का 50 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है।

पूरी बैठक का संचालन पर्यावरण शिक्षा केंद्र के वरिष्ठ कार्यक्रम निदेशक तुषार जानी ने किया। इस अवसर पर चैंबर उपाध्यक्ष विजय मेवावाला, तत्कालीन पूर्व अध्यक्ष हिमांशु बोडावाला, मानद कोषाध्यक्ष किरण ठुम्मर, चैंबर की पर्यावरण समिति के सलाहकार वत्सल नायक और कपड़ा उद्योगपति उपस्थित थे। बैठक के अंत में यूएनईपी की कार्यक्रम अधिकारी क्लॉडिया गियाकोवेली ने उद्यमियों से बातचीत की और रोडमैप तय किया, जिसकी रिपोर्ट मंत्रालय को दी जाएगी। चैंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष आशीष गुजराती ने सभी में उपस्थित लोगों को धन्यवाद देकर बैठक का समापन किया।

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