भाजपा आठ फरवरी को केरल की एलडीएफ सरकार के खिलाफ करेगी प्रदर्शन
केरल के लोग एलडीएफ सरकार के नवीनतम बजट में कर बढ़ाए जाने से नाराज हैं
नई दिल्ली, 7 फ़रवरी (हि.स.)। केरल सरकार द्वारा बजट में कर बढ़ाए जाने के विरोध में भारतीय जनता पार्टी नई दिल्ली में एलडीएफ सरकार के खिलाफ आठ फरवरी को जोरदार प्रदर्शन करेगी।
बुधवार को भाजपा के केरल प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर, राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने आरोप लगाया कि केरल की एलडीएफ सरकार अपनी विफलताओं को मोदी सरकार पर थोपने की राजनीति कर रही है। नई दिल्ली भाजपा मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि केरल के लोग एलडीएफ सरकार के नवीनतम बजट में कर बढ़ाए जाने से नाराज हैं।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने राज्यों के धन हस्तांतरण को 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत करने की 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया। यूपीए के तहत, हस्तांतरण केवल 32 प्रतिशत था। इसके अलावा 7.5 प्रतिशत अतिरिक्त धन राशि पंचायतों और जिला परिषदों को दिया गया ।
प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि मोदी सरकार ने जीएसटी के मुआवजे के रूप में 14 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि की गारंटी पर सहमति व्यक्त की। साल 2017 से 5 वर्षों के लिए मुआवजा राशि हस्तांतरित भी कर अपनी प्रतिबद्धता पूरी कर ली है जो राज्यों के लिए वरदान साबित हुआ है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने केरल को यूपीए सरकार की तुलना में 300 फीसदी से ज्यादा फंड दिया है। केरल में केंद्र सरकार राजमार्ग, रेलवे आदि पर भारी खर्च कर रही है। इसके साथ वहां कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से, मोदी सरकार ने 5.8 करोड़ वैक्सीन खुराक मुफ्त दी, पिछले 40 महीनों से 1.5 करोड़ लोगों को प्रति माह 5 किलो मुफ्त चावल दिया और 60 महीने और मुफ्त चावल मिलेगा। 34 लाख किसानों को किसान सम्मान योजना के तहत 30000 रुपये दिए गए। 47 लाख केरलवासियों को मुद्रा ऋण प्राप्त हुआ है। 53 लाख नए जनधन खाते और 3.6 करोड़ आधार कार्ड जारी किए गए। उज्ज्वला योजना के तहत 4 लाख महिलाओं को मुफ्त एलपीजी गैस मिली है। 14 लाख सुकन्या समृद्धि खाते, 54 लाख सुरक्षा बीमा, अटल पेंशन में 5 लाख लोगों ने हिस्सा लिया है, 12 लाख का जीवन ज्योति बीमा, 1000 जन औषधि केंद्र खोले गए। ये योजनाएं मोदी सरकार द्वारा वित्तपोषित हैं।
जावड़ेकर ने आरोप लगाया कि एलडीएफ और यूडीएफ की नीतियों के कारण केरल औद्योगीकरण में पिछड़ा है। जिसके कारण नौकरियों के लिए राज्य के उच्च शिक्षित युवाओं को दूसरे राज्यों और देशों में जाना पड़ता है। यह केरल के खराब वित्तीय प्रबंधन का प्रमाण है। लेकिन केरल सरकार दोष मढ़ने की राजनीति कर रही है।