बुन्देलखंड के बीच सरोवर में 105 फीट ऊंचे खखरामठ को चमकाने की तैयारी
देवी महिषासुर मर्दिनी की प्रमाण-प्रतिष्ठा के बाद हुआ था बांध का निर्माण
हमीरपुर, 27 जनवरी (हि.स.)। बुन्देलखंड की वीरभूमि महोबा में बीच सरोवर में एक सौ पांच फीट ऊंचे खखरामठ को चमकाने की तैयारी पर्यटन विभाग ने की है। इस धरोहर का इतिहास भी बारह सौ साल पुराना है, जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में पयर्टकों का मेला लगता है। खखरामठ को नजदीक से देखने के लिए एक करोड़ों रुपये खर्च कर फ्लोटिंग ब्रिज बनाया गया जो बुन्देलखंड का पहला फ्लोटिंग ब्रिज है। इसे पयर्टकों के लिए खोला गया था लेकिन अब आम लोगों के लिए यह ब्रिज बंद कर दिया गया है।
बुंदेलखंड की वीर भूमि महोबा में चंदेली राजा मदन बर्मन के द्वारा 1129 से 1163 ई के बीच मदन सागर में टापू पर खखरामठ का निर्माण कराया था। बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर ने बताया कि खखरामठ शिवालय हुआ करता था, पहले यहां पर मूर्तियां हुआ करती थी जो कि अब वहां से गायब हो चुकी है। मंदिर की ऊंचाई 105 फीट है और चौड़ाई लगभग 50 फीट है। यह हमें खजुराहो के मंदिरों की याद दिलाता है। यह बिना सीमेंट और गारा के प्रयोग के बनाया गया है। बगल में मझारी दीप है जहां पर चंदेली राजाओं की बैठक लगा करती थी और सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ करते थे। केंद्र सरकार के द्वारा मदन सागर सरोवर के सुंदरीकरण के लिए 3.65 करोड़ रूपये का बजट जारी किया गया था।
पर्यटन विभाग के द्वारा सुंदरीकरण का काम कराया गया है, जिसमें सरोवर के किनारे नेहरू पार्क का निर्माण कराया गया, सुलभ शौचालय और दो गेटों के साथ खखरामठ तक पहुंचने के लिए एक फ्लोटिंग ब्रिज का निर्माण कराया गया है। इसको बुंदेलखंड का पहला फ्लोटिंग ब्रिज कहते हैं। अधिकारियों के द्वारा पर्यटकों के लिए ब्रिज खोला गया था जहां पर पर्यटकों की संख्या में इजाफा हुआ था। लेकिन कुछ समय के बाद ही आम जनमानस के लिए बंद कर दिया गया। लंबे समय से ब्रिज के बंद चलने के कारण और रखरखाव के अभाव में फ्लोटिंग ब्रिज पर लगे कुछ नट बोल्ट ढीले हो गए हैं और कुछ पाइप गायब हो गए हैं।
देवी महिषासुर मर्दिनी की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद हुआ था बांध का निर्माण
वीर भूमि से बहने वाली मकरध्वज नदी पर बांध का निर्माण कराया गया, जिसे मदन सागर के नाम से जाना जाता है और बीच सरोवर में टापू पर खखरामठ का निर्माण करवाया गया है। बताया जाता है कि जब बांध का निर्माण चल रहा था तो बांध दो बार टूट गया। जिस पर साधु संतों ने राजा को देवी महिषासुर मर्दिनी का आवाहन कर प्राण प्रतिष्ठा करने की बात कही।जिस पर राजा मदन बर्मन ने देवी महिषासुर मर्दिनी का विधि विधान से आवाहन कर प्राण प्रतिष्ठा करवायी, जिसे कालांतर में छोटी चंद्रिकादेवी के नाम से जानते हैं।
बीच टापू पर शिलाओं में बनी है सुंदर कलाकृतियां
मदन सागर सरोवर में बीच टापू पर शिलाएंपड़ी हुई है जिन पर सुंदर नक्काशी की हुई कृतियां हैं। हाथियों की सुंदर कलाकृति की शिलाएं मौजूद हैं। हाथियों के किसी का सिर तो किसी का हाथ और किसी का पैर कटा हुआ है। स्थानीय लोगों ने बताया कि पहले राजाओं के द्वारा जो युद्ध लड़े गए, उनमें यह हाथी युद्ध लड़ते हुए शहीद हो गए। इनके द्वारा युद्ध लड़ा गया है और बाद में यह शिलाओं के रूप में परिवर्तित हो गए हैं। यह ऐतिहासिक धरोहर है, जिन्हें पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है।