राष्ट्रीय पर्यटन दिवस : पंचनदा के चंबल अंचल में पर्यटन विकास, उन्नति एवं संभावनाएं
यूपी के इटावा, औरैया व जालौन जिले में प्राकृतिक संपदा एवं जीव-जन्तुओं की अनुकूल भूमि पर पर्यटन को मिल रहा बढ़ावा
सुनील कुमार
औरैया, 25 जनवरी (हि.स.)। अथाह जलराशि को समेटे सिंध, पहुंज, क्वारी, यमुना, चंबल। पांच नदियों के इस संगम स्थल पर अटखेलियां करती डॉल्फिन, शांत पानी को चीरते हुए घड़ियाल, मनमोहक कछुएं, लहरों पर लहराती मछलियां, कलरव करते प्रवासी एवं स्थानीय पक्षी, प्राकृतिक सौंदर्य की अभूतपूर्व खान पंचनदा का नाम जेहन में आते ही आखिर किसका मन अनायास ही इन वैश्विक धरोहरों को देखने के लिए मचलता न हो। एशियाई शेरों का सबसे बड़ा घर, चीतल, भालू का संरक्षण केंद्र लायन सफारी, तेंदुआ सफारी वैश्विक धरोहरों की बात अगर राष्ट्रीय पर्यटन दिवस पर न की जाए तो निश्चित रूप से ये इटावा, औरैया, जालौन जनपद के लिए नाइंसाफ़ी होगी।
पर्यटन एक ऐसा सफर है जिसमें हम फुरसत के कुछ पल सबसे ज्यादा आरामदायक एवं मानसिक संतुष्टि के साथ बिताते हैं। आधुनिक दौर में पर्यटन एक ऐसे व्यवसाय के रूप में उभर कर सामने आया है जिसमें जिन क्षेत्रों में सुविधाएं नहीं भी थी वहां भी स्थानीय प्रशासन एवं जन-सहयोग से बाहरी पर्यटकों को उचित सुविधाएं प्रदान की गई और धीरे-धीरे उनके विकास की कहानी सुर्खियां बनी।
अगर हम उत्तर प्रदेश में इटावा, औरैया, जालौन जनपद की बात करें तो यहां पर पर्यटन के तीनों स्वरूप घरेलू, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संपदा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। पर्यटन के 10 प्रकारों में से आठ प्रकार के पर्यटन इको पर्यटन के रूप में पंचनदा एवं लायन सफारी, एग्रो पर्यटन के रूप में चंबल क्षेत्र का मधुमक्खी पालन एवं सरसो की खेती, विरासत पर्यटन के रूप में प्रतापनेर एवं सुमेर सिंह किला, जगम्मनपुर किला, रामपुरा फोर्ट, कुदरकोट, चंबल संग्रहालय, बीहड़ सफारी, साहसिक पर्यटन के रूप में हाल ही प्रयोग हुई झुमके कैम्पिंग एवं वाटर स्पोर्ट्स एडवेंचर, धार्मिक पर्यटन के रुप में भारेश्वर मंदिर, देवकली मंदिर, स्वास्थ्य पर्यटन के रूप में हाल ही में आयुर्वेद विभाग द्वारा शुरू किया गया हॉट सैंड एवं कोल्ड सैंड बाथ, पंचकर्म थेरेपी, खेल पर्यटन के रूप में सैफई के अंतराष्ट्रीय स्टेडियम आदि विभिन्न प्रकार की पर्यटन की शैलियों से जिले के संसाधन बाहरी पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं। इसके बड़े ही सार्थक परिणाम सामने भी आ रहे हैं।
विभिन्न क्षेत्रों में सामान्य जनसमुदाय, संस्थाओं, विभागों एवं सरकार के मिले-जुले प्रयासों से विगत पांच वर्षों से इन जनपदों में आने वाले पर्यटकों की संख्या में अचानक से एक बड़ी बढ़ोतरी सामने आई है। अगर हम पंचनदा की बात करें तो विगत कई वर्षों में जहाँ पर्यटकों की संख्या प्रतिदिन 10 से 25 तक होती थी वहीं आज बढ़कर 500 से 700 सामान्य दिनों में पहुंच गयी है। भरेह मंदिर पर भी दर्शकों की संख्या में एक बड़ा इजाफा देखने को मिला है। विगत 3 वर्षों में इन जनपद में होटल व्यवसाय काफी फला-फ़ूला है। कई राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय कम्पनियों में कार्य करने वाले कर्मचारी अब छुट्टियों के दिनों में कहीं बाहर जाने की बजाय इटावा के आसपास के बीहड़ी व चम्बल क्षेत्रों को देखकर प्राकृतिक आनंद लेना चाहते हैं। विगत 3 वर्षों में यहां नई थीम और नए स्वादों के आधार पर रेस्टोरेंट की संख्या में भी बहुत बढ़ोतरी हुई है।
पर्यटन विशेषज्ञ डॉ. कमल कुमार कुशवाहा बताते है कि पिछले पर्यटन संबंधी किये गए प्रयोगों से कई बाहरी पर्यटक चंबल में आकर आयुर्वेदिक सैंड बाथ एवं कोल्ड सैंड बाथ का आनंद लेना चाहते हैं। कई होटल व्यवसायी भी इस प्रकार की पंचकर्म इत्यादि सुविधाएं अपने ग्राहकों को देना चाहते है। इस बारे में कुछ नए प्रयोग अपने प्रतिष्ठानों पर करने के इच्छुक हैं ताकि बाहर से आने वाले पर्यटकों को कुछ विश्व स्तरीय आयुर्वेदिक पर्यटन का लाभ ले सकें। उन्होंने बताया कि इस प्रकार के पर्यटकों को बेहतर सुविधायें केवल सेवा क्षेत्र ही प्रदान कर सकते हैं। सेवा क्षेत्र में बढ़ोतरी किसी भी क्षेत्र की उन्नति के विविध आयाम सदैव ही खोलती रही है। स्थानीय युवाओं को रोजगार एवं उन्नत जीवन शैली के अवसर सदा ही प्राप्त होते हैं।
चंबल अंचल में निरंतर बदलाव की इबारत लिखने वाले डॉ. शाह आलम राणा बताते हैं कि दिन डूबने से पहले जहां सन्नाटा पसरा रहता था वहां अब शाम के समय स्थानीय एवं बाहरी लोगों से पूरे के पूरे चौराहे गुलज़ार रहते हैं। स्थानीय हनुमंतपुरा चौराहे जैसे बीहड़ी इलाकों के चाट-पकौड़े के ठेलों पर अब आपको चाइनीज और साउथ इंडियन फूड बड़ी ही आसानी से खाने को मिल जाएंगे। पर्यटन इस प्रकार के रोजगारपरक साधनों में बढ़ोत्तरी का जिम्मेदार है। फिल्म पर्यटन के लिहाज से घाटी में असीम सम्भावनाएं हैं।
झुमके कैंपिंग के इंटेंट पार्टनर अजय कुमार बताते हैं कि कैंपिंग शब्द इस क्षेत्र के लोगों के लिए बहुत ही नया था लेकिन क्रिएटिव सोच वाले लोगों के लिए एक बेहतरीन टूरिस्ट स्पॉट है। शुरुआत में स्थानीय लोगों को पर्यटन व्यवसाय के साथ-साथ कदम ताल मिलाने में थोड़ी मेहनत जरूर लगी, लेकिन अब चंबल अंचल के लोग सम्पूर्ण विश्व का वृहद हस्त से स्वागत करने के लिए तैयार बैठे हैं। हाल ही में अयोध्या जबकि पूरे विश्व को अपनी ओर आकर्षित कर रही है तो उसके साथ-साथ लोग पूरे उत्तर प्रदेश को घूमना चाहते हैं। उन्हें बस अच्छे होस्ट चाहिए।
राष्ट्रीय पर्यटन दिवस हर वर्ष 25 जनवरी को मनाया जाता है। जिसका मुख्य उद्देश्य लोगों को अनुभव के साथ-साथ देश की जीडीपी में वृद्धि करने के साथ ही रोजगार के अवसर पैदा करना है। इस वर्ष के पर्यटन दिवस की थीम सस्टेनेबल जर्नीज, टाइमलेस मेमोरीज है। इसका अर्थ है सतत यात्राएं, कालातीत यादें। विगत 4 वर्षों में कोरोना के कारण लगभग ध्वस्त हुए पर्यटन व्यवसाय को फिर से प्रारम्भ करने के लिए हर एक क्षेत्र में पुनर्विचार की जरूरत है। आज जबकि लगभग सभी क्षेत्र शून्य पर आ खड़े हुए थे, ऐसे में चंबल अंचल भी लगभग सभी बड़े पर्यटक स्थलों के समकक्ष आ खड़ा हुआ है। विगत कई वर्षों में पर्यटक प्रेमियों का मन भी वही पुराने पर्यटक स्थलों को कई बार घूमते-घूमते ऊब चुका है उन्हें अब कुछ नया चाहिए। ऐसे में चंबल क्षेत्र के अपार संशाधन, ऐतिहासिक धरोहरें एवं कहानियां, स्थानीय व्यंजन, विश्वस्तरीय लायन सफारी, घड़ियाल, आयुर्वेदिक पर्यटन, झुमके कैंपिंग चंबल क्षेत्र को पर्यटन के क्षेत्र में आगे बढ़ाकर कई अन्य विकसित क्षेत्रों के साथ कदमताल कर विश्वपटल पर सकारात्मक बदलाव लाने की राह पर अग्रसर हैं। हम अपनी वैश्विक धरोहरों के प्रति अब सचेत हैं और अब हम चंबल अंचल को दुनिया के बेहतरीन पर्यटन स्थल के रूप में बना कर पूरी दुनिया का स्वागत करने को तैयार हैं।