तमिलनाडु: जल्लीकट्टू के लिए स्टेडियम, मुख्यमंत्री ने किया उद्घाटन
स्टेडियम का नाम पूर्व मुख्यमंत्री और दिवंगत द्रमुक नेता करुणानिधि के नाम पर रखा गया है
चेन्नई, 24 जनवरी (हि.स.)। जल्लीकट्टू के लिए प्रसिद्ध तमिलनाडु के मदुरै में इस खेल के लिए अलग से स्टेडियम का निर्माण किया गया है। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने बुधवार को मदुरै में अलंगनल्लूर के पास कीलाकराई में नवनिर्मित कलैगनार सेंटेनरी जल्लीकट्टू स्टेडियम में जल्लीकट्टू कार्यक्रम को हरी झंडी दिखाई। स्टेडियम का नाम पूर्व मुख्यमंत्री और दिवंगत द्रमुक नेता करुणानिधि के नाम पर रखा गया है।
सदियों पुराना खेल, बुल फाइट से तुलना
जल्लीकट्टू दुनिया भर में मशहूर सदियों पुराना खेल है। हालांकि इसके लिए अलग से संभवत: पहली बार स्टेडियम का निर्माण हुआ है। जल्लीकट्टू से मिलता-जुलता खेल बुल फाइट, स्पेन, फ्रांस, पुर्तगाल, मैक्सिको, कोलंबिया, वेनेजुएला, पेरू और इक्वाडोर जैसे देशों में लोकप्रिय है।
हालांकि, भारत में पशु प्रेमी इसे पशु क्रूरता और अपराध की निगाह से भी देखते हैं। पशु प्रेमी इस खेल को कटघरे में खड़ा करने के लिए जीव-जंतु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 का हवाला देते हैं। सर्वोच्च न्यायालय भी इसपर प्रतिबंध लगा चुका है जो बाद में राष्ट्रपति के विशेषाधिकार से बहाल किया गया।
जल्लीकट्टू सदियों से तमिलनाडु में पारंपरिक रूप से पोंगल उत्सव के हिस्से के रूप में खेला जाता है। इसमें सांड को लोगों की भीड़ में छोड़ा जाता है। खेल में शामिल लोग बैल की पीठ पर बड़े कूबड़ को पकड़ने की कोशिश करते हैं। इस दौरान बैल को रोकने का प्रयास किया जाता है।
जल्लीकट्टू स्टेडियम में क्या है खास
2022 में तमिलनाडु सरकार ने आधिकारिक तौर पर कलैग्नार शताब्दी जल्लीकट्टू स्टेडियम निर्माण की घोषणा की थी। स्टेडियम में 5000 सीटों वाली दर्शक दीर्घा है जो वैथुरनलाई तलहटी स्थित दो मंजिलों में फैली है। इसके साथ अखाड़े में सांड शेड, सांड ग्राउंड और पशु चिकित्सालय जैसी आवश्यक सुविधाएं शामिल हैं। प्रतिभागियों और दर्शक दोनों के ज्ञान और अनुभव बढ़ाने के लिए परिसर में संग्रहालय भी है। स्टेडियम को बनाने में तकरीबन 44 करोड़ रुपये की लागत आई है।
मदुरै के कलेक्टर ने बताया कि कार्यक्रम की सुरक्षा व्यवस्था के लिए 2,000 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। जल्लीकट्टू के लिए सभी तैयारियां कर ली गई हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए बैरिकेडिंग लगाई गई है कि खेल के मैदान में सांड और खिलाड़ी ही खेंले लेकिन दर्शक इससे पूरी तरह सुरक्षित रहें।
मापदंडों को पूरा करना जरूरी
जिला प्रशासन की ओर से यह बताया गया कि जल्लीकट्टू के लिए बनाए गए सारे मापदंडों को पूरा करने वाले ही खेल में शरीक हो पाएंगे। इसकी जानकारी राज्य सरकार की वेबसाइट पर पहले से दी गई है। खेल में सिर्फ पंजीकृत सांड फिटनेस प्रमाणपत्र के साथ शामिल किए जाएंगे। इसी तरह के नियम जलीकट्टू में शामिल होने वाले खिलाड़ियों के लिए भी हैं। इतना ही नहीं, सांड के मालिक और सांड के साथ केवल एक व्यक्ति को जल्लीकट्टू प्रतियोगिता में भाग लेने की अनुमति दी जाएगी।