सूरत : मुंबई के पूर्व शेरिफ और विश्व गुजराती परिषद के अध्यक्ष मोहन पटेल ने 'चाणक्य नीति' के बारे में जानकारी दी
मोहन पटेल ने चाणक्य नीति पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि व्यापार को आगे बढ़ाने, समय के साथ जीवन और व्यवहार में बदलाव के लिए शोध करना चाहिए
द सदर्न गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की ओर से 'नीति पंचामृत' के तहत 'नीति पंचामृत-चाणक्य नीति' कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें मुंबई के पूर्व शेरिफ और विश्व गुजराती परिषद के अध्यक्ष मोहनभाई पटेल, जिन्होंने चाणक्य के जीवन का गहराई से अध्ययन किया उन्होने उद्यमियों को बताया कि कैसे वर्तमान समय में चाणक्य की नीतियां उपयोगी हो सकती हैं।
चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष रमेश वघासिया ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने कहा, 'चाणक्य ने गरीबों, पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए विशेष प्रयास किए हैं। जीवन में कब और किस तरह की चुनौतियां आ जाएं यह कोई नहीं जानता। लेकिन ऐसी कठिन चुनौतियों का सामना करने के लिए चाणक्य ने जो उपाय सुझाए हैं, उनकी नीति ही इंसान को विपत्ति से बाहर निकाल सकती है।
आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गई आदतें मानव जीवन में सफलता की कुंजी के रूप में काम करती हैं। चूँकि मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु उसकी अज्ञानता है, इसलिए हमें जीवन में ज्ञान का दीपक जलाना चाहिए। दूसरी आदत आपकी आय चाहे कितनी भी हो, उसका कुछ हिस्सा दान और अच्छे कार्यों में लगाना चाहिए। धार्मिक पुस्तकें भी पढ़ें, ताकि विचार शुद्ध हों। उन्होंने कहा, 'सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि व्यक्ति को हमेशा ईमानदारी का रास्ता अपनाना चाहिए और किसी को धोखा नहीं देना चाहिए।'
मुंबई के पूर्व शेरिफ और विश्व गुजराती परिषद के अध्यक्ष मोहन पटेल ने कहा, 'हमारी संस्कृति, परंपरा, कौशल आंशिक रूप से हर व्यक्ति में पाए जाते हैं। दूसरों की नकल करके किए गए कार्य हमेशा व्यक्ति को परेशानी में डालते हैं। बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए रिसर्च होनी चाहिए। जीवन में समय के साथ व्यवहार में परिवर्तन जरूरी है। उन्होंने अपने जीवन से कुछ उदाहरणों के जरिए चाणक्य की नीति के बारे में विस्तार से जानकारी दी.'
उन्होंने आगे कहा, 'चाणक्य ने कहा है कि धर्म सुख है। आपका कर्तव्य ही आपका धर्म है। जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयां आएं, अपने सिद्धांत को कभी नहीं छोड़ना चाहिए। अपने से अधिक शक्तिशाली व्यक्ति से प्रतिस्पर्धा न करें। उन्होंने कहा कि चाणक्य अर्थशास्त्र के जनक हैं।
पूरे कार्यक्रम का संचालन करने वाले चेंबर के पूर्व अध्यक्ष रूपिन पच्चीगर ने कहा कि व्यापार और उद्योग का विकास तभी होता है, जब उसमें नैतिकता होती है। हालांकि अब नीतियों की परिभाषाएं बदल गई हैं, लेकिन चाणक्य की नीतियां जानने लायक हैं। उन्होंने चाणक्य द्वारा बताए गए कुछ नियमों के बारे में जानकारी दी। चाणक्य के अनुसार एक बुद्धिमान व्यक्ति तीन कारकों से पीड़ित होता है। इनमें मूर्ख शिष्य, दुष्ट स्त्री, छह मित्र शामिल हैं।
इस कार्यक्रम में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के पूर्व अध्यक्ष भागीरथ मर्चेंट, उपाध्यक्ष विजय मेवावाला, चैंबर की महिला उद्यमी सेल की अध्यक्ष कृतिका शाह, स्वामी घनश्यामदास और चैंबर के पूर्व अध्यक्ष रजनीकांत मारफतिया, प्रेम शारदा, सीएस जरीवाला, शरद कपाड़िया और अरविंद कपाड़िया मौजूद रहे। कार्यक्रम के अंत में मोहनभाई पटेल ने उद्यमियों के प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर दिया, जिसके बाद चैंबर के ग्रुप चेयरमैन मृणाल शुक्ला ने सभी के लिए धन्यवाद दिया और फिर कार्यक्रम का समापन किया।