कुपोषण मुक्त खेड़ाः कुपोषण के विरुद्ध जिला प्रशासन का महा अभियान
पायलट प्रोजेक्ट के तहत तीन महीने के सक्रिय अभियान से खेड़ा जिले की तीन तहसीलों के 150 बच्चों की गंभीर तीव्र कुपोषण की स्थिति में सुधार
गांधीनगर, 1 जनवरी (हि.स.)। गुजरात ‘कुपोषण मुक्त गुजरात महा-अभियान’ (केएमजीए) कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहा है, जिसका उद्देश्य संपूर्ण राज्य में सीवियर एक्यूट मालन्यूट्रिशन (एसएएम) यानी गंभीर तीव्र कुपोषण वाले बच्चों का उपचार करना है। कुपोषण मुक्त गुजरात महा अभियान के अंतर्गत कुपोषण के खिलाफ बदलाव-परिवर्तन का एक अनोखा केस स्टडी खेड़ा जिला है, जहां बच्चे गंभीर तीव्र कुपोषण के शिकार थे।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस-5) वर्ष 2019-20 के अनुसार जिले के 0-5 आयु वर्ग के 30.9 फीसदी बच्चों का वजन उनकी ऊंचाई की तुलना में कम था और 12.1 फीसदी बच्चे गंभीर कुपोषण से पीड़ित थे। इस समस्या से निपटने के लिए खेड़ा जिला प्रशासन ने गुजरात सरकार के सहयोग से ‘कुपोषण मुक्त खेड़ा अभियान’ शुरू किया। यह पायलट प्रोजेक्ट है, जिसका उद्देश्य गलतेश्वर, महुधा और ठासरा तहसील में कुपोषण के विरुद्ध जंग छेड़ना है। इस प्रोजेक्ट के तहत इन तीनों तहसीलों में गंभीर रूप से कुपोषित 150 बच्चों और उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया। प्रोजेक्ट का नेतृत्व जिले के जिला विकास अधिकारी (डीडीओ) ने किया।
प्रोजेक्ट के तहत तीन महीने तक निम्नानुसार सक्रिय पहलों का क्रियान्वयन किया गयाः
1. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीम द्वारा प्राथमिक स्क्रीनिंगः अगस्त से सितंबर 2023 के दौरान राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की 35 टीमों द्वारा पूरे खेड़ा जिले की आंगनबाड़ियों के 0 से 6 वर्ष की उम्र के सभी पंजीकृत बच्चों की प्राथमिक स्क्रीनिंग की गई।
2. सीएमटीसी प्रवेशः निर्धारित मापदंडों के अनुसार चिन्हित किए गए बच्चों को बाल कुपोषण उपचार केंद्र (सीएमटीसी) के माध्यम से 14 दिनों के लिए भर्ती किया गया। उसके बाद हर पखवाड़े उनकी जांच की गई ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन बच्चों का वजन बढ़ गया है।
3. तीन समय भोजन देने की पहलः बच्चों में प्रोटीन ऊर्जा के कुपोषण को दूर करने के इस पायलट प्रोजेक्ट के भाग के रूप में इन तीन तहसीलों में स्थानीय दानदाताओं के सहयोग से आंगनबाड़ियों में तीन समय भोजन देने की पहल शुरू की गई। बच्चों को हर दिन अलग-अलग प्रकार का भोजन दिया जाता है, जिसमें हैदराबाद मिक्स, बाजरे की राब, टेक होम राशन से बने लड्डू, दूध, फल, सुखड़ी, शीरा और मगज के लड्डू शामिल हैं। इस तरह, बच्चों को प्रोटीन युक्त एवं पौष्टिक भोजन प्रदान किया जाता है।
4. आशा (एएसएचए) और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा दैनिक होम विजिटः आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने प्रतिदिन गंभीर तीव्र कुपोषण (एसएएम) वाले बच्चों एवं उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं के घर जाकर उनसे मुलाकात की और तैयार की गई चेकलिस्ट के आधार पर उनके पोषण एवं स्वास्थ्य की स्थिति का मूल्यांकन किया। कुछ विशेष वस्तुओं के साथ घर में बनाए गए ताजे भोजन की कितनी खपत होती है, उस पर निगरानी रखने के लिए पहले से बनाई गई चेकलिस्ट का उपयोग किया गया। इसके अलावा, इन मुलाकातों के दौरान गंभीर तीव्र कुपोषित बच्चों को मल्टी विटामिन्स और आयरन सिरप भी दिया गया।
5. आरबीएसके टीम द्वारा फॉलो-अप स्क्रीनिंगः राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीमों ने हर पखवाड़े इन तीनों तहसीलों के सभी 150 बच्चों की फॉलो-अप स्क्रीनिंग की और उनकी कुपोषण की स्थिति की रिकॉर्डिंग एवं रिपोर्टिंग की।
6. बारीकी से निरीक्षण और साप्ताहिक समीक्षाः खेड़ा के प्रतिबद्ध जिला विकास अधिकारी की अध्यक्षता में जमीनी कार्यकर्ताओं, जिला एवं तहसील स्तर के अधिकारियों द्वारा हर 10 दिनों में समग्र कार्य प्रदर्शन की नियमित समीक्षा की गई।
7. स्वयं सहायता समूह का गठन और सरकारी योजना के लाभः राष्ट्रीय आजीविका मिशन (एनएलएम) शाखा ने स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) का गठन कर आर्थिक एवं आजीविका के सहयोग को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके अलावा, स्वास्थ्य विभाग ने चिन्हित किए गए परिवारों को प्रधानमंत्री जन आरोग्य कार्ड (पीएमजेएवाई कार्ड) बनाने में, निक्षय पोषण योजना का लाभ उठाने और पात्र व्यक्तियों के लिए प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) का लाभ सुरक्षित रखने में मदद की है। इसके अतिरिक्त, इन तीनों तहसीलों में तालुका विकास अधिकारियों ने अंत्योदय अन्न योजना के कार्यान्वयन को तेज किया, राशन कार्ड जारी किए और तीन समय के भोजन के प्रायोजन के लिए स्थानीय दानदाताओं के साथ सहयोग किया।
बच्चों का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए ऐसे समर्पित प्रयास गुजरात सरकार के अटूट समर्थन के कारण संभव हो पाए हैं। पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के चलते अब ‘कुपोषण मुक्त खेड़ा’ अभियान का विस्तार किया जा रहा है और इसे जिले की 10 तहसीलों में 500 गंभीर तीव्र कुपोषण (एसएएम) वाले बच्चों तक क्रियान्वित किया गया है। इसके अलावा अमूल लिमिटेड प्रत्येक बच्चे के लिए पोषण किट सप्लाई कर और गांवों में स्थानीय दूध मंडलियों से दूध की सुविधा प्रदान कर प्रोजेक्ट में सक्रिय रूप से योगदान दे रहा है। इसका प्रभाव 150 से अधिक चयनित आंगनबाड़ी केंद्रों पर पड़ रहा है।