खूंटी को अनुपम सौंदर्य से सजाया है प्रकृति ने,दर्शनीय स्थलों से भरा है एक-एक कोना

खूंटी जिले में आप हिरणों को कुलांचे भरते देख सकते हैं

खूंटी को अनुपम सौंदर्य से सजाया है प्रकृति ने,दर्शनीय स्थलों से भरा है एक-एक कोना

खूंटी, 29 दिसंबर (हि.स.)। आमतौर पर जब छुट्टी या नव वर्ष में सैर-सपाटे की बात आती है, तो लोग उत्तराखंड, कश्मीर, हिमाचल प्रदेश आदि की ओर रुख करते हैं, पर यदि आप खूबसूरत झरनों, घने जंगलों, पहाड़ियों और अन्य प्राकृति सौंदर्य का लुत्फ उठाना चाहते हैं, तो आपको कहीं बाहर जाने की जरूररत नहीं है।

राजधानी रांची से महज 35 किलोमीटर की दूरी पर बसा खूंटी जिला आपका का सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थल हो सकता है, जो हर तरह के प्राकृतिक सौंदर्य से जबरेज है। खूंटी जिले में आप हिरणों को कुलांचे भरते देख सकते हैं, वहीं सैकडों फीट की ऊंचाई से गिरते झरने और घने जंगलों से गुजरती सर्पाकार सड़कें और पेड़-पौधों से भरी पहाड़ियां आपका मन मोह लेंगी। खूंटी जिले में जहां बिरसा मृग विहार, दशम जलप्रपात, पंचघाघ जलप्रपात, पेरवांघाघ वाटर फॉल, उलूंग जलप्रपात, पांडूपुड़िंग, रानी फॉल, लटरजंग डैम, पेलौल डैम, लतरातू जलाशय, सप्तधारा जैसे दर्जनों मनोहारी पर्यटन स्थल हैं, वहीं बाबा आम्रेश्वर धाम, माता सोनमेर मंदिर, माता नकटी देवी मंदिर, पाट पहाड़ बुढ़वा महादेव जैसे धार्मिक स्थल लोगों की अटूट आस्था के केंद्र हैं। वहीं अमर शहीद भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातू, वीर शहीद गया मुंडा की जन्मस्थली एटकेडीह, मारंगगोमके जयपाल सिंह का पैतृक गांव टकरा, अंग्रजों की बर्बरता की निशानी डोंबार बुरू जैसे कही ऐतिहासिक स्थल भी लोगों का अपनी अेर आकर्षित करते हैं। सही मायने में कह जाए , तो खूटी जिले का एक-एक कोना दर्शनीय स्थलों से भरा पड़ा है।

दिसंबर और जनवरी महीने में उमड़ती है सैलानियों की भारी भीड़

वैसे तो खूंटी के पर्यटनस्थलों पर सालों भर सैलानियों की भीड़ उमड़ती रहती है पर दिसंबर और जनवरी महीने में तो इन स्थानों पर सैलानियों का रेला उमड़ पड़ता है। लोगों को वाहन पार्क करने तक की जगह नहीं मिलती है।

सैलानियों की भीड़ से स्थानीय लोगों को मिलता है रोजगार

खूंटी के पर्यटन स्थल खासकर पंचघाघ, पेरवांघाघ, रानी फॉल, लतरातू डैम, लटरजंग जलाशय स्थानीय लोगों के रोजगार का बेहतर जरिया बन गये हैं। पेरवांघाघ और पंचघाघ में तो वाहन पार्किंग से ही लोगों को लाखों की कमाई हो जाती है। साथ ही छोट-छोटे होटल से लेकर चना बादाम, मड़ुवा रोटी, इडली, बादाम, झाल मुरही, गुलगुला, घुसका, बर्रा जैसे स्थानीय खाद्य पदार्थ का आनंद सैलानी उठाते हैं।

नहीं हुआ पर्यटन स्थलों का अपेक्षित विकास

जिले में पर्यटन स्थलों की भरमार है, पर इन स्थलों का अपेक्षित विकास अब तक नहीं हुआ है। सड़कों की स्थिति में भी कोर्ठ सुधार नहीं हुआ है। खूंटी के जानेमाने समाजेसवी और प्रखंड के उप प्रमुख सेवानिवृत्त मजर जितेंद्र कश्यम कहते हैं कि खूंटी जिले के सभी पर्यटन स्थलों को विकसित कर दिया जाए, तो स्थानीय लोगों को अच्छा रोजगार मिलेगा और पलायन भी रुकेगा। उन्होंने कहा कि खूंटी जिले में पर्यटन विकास की असीम संभावनाएं हैं। जरूरत है इन्हें विकसित करने और सैलानियों को जरूरी संविधाए उपलब्ध कराने की। कश्यप ने कहा कि सरकार और जिला प्रशासन ध्यान दे तो खूंटी जिला झारखंड का सबसे प्रमुख पर्यटन केंद्र होगा।

Tags: Feature