डीआरडीओ के 'तापस यूएवी' कार्यक्रम को मिशन मोड में बंद करने का फैसला

डीआरडीओ को मिली रुस्तम मेल यूएवी परियोजना के विकास के लिए हरी झंडी

डीआरडीओ के 'तापस यूएवी' कार्यक्रम को मिशन मोड में बंद करने का फैसला

यूएवी की 30 हजार फीट ऊंचाई पर 24 घंटे उड़ान क्षमता पूरा करने को कहा गया

नई दिल्ली, 28 दिसंबर (हि.स.)। सरकार ने रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) में विकसित किये जा रहे स्वदेशी ‘तापस यूएवी’ कार्यक्रम को मिशन मोड में बंद करने का फैसला लिया है। साथ ही भारत सरकार ने इस फंड से एक उत्पादन एजेंसी के सहयोग से रुस्तम मेल यूएवी परियोजना के विकास के लिए हरी झंडी दे दी है। डीआरडीओ को तापस यूएवी की 30 हजार फीट ऊंचाई पर लगातार 24 घंटे की उड़ान क्षमता पूरा करने के लिए कहा गया है। इन दोनों लक्ष्यों को हासिल करने के बाद तापस यूएवी कार्यक्रम को मंजूरी देने की शर्त लगाई गई है।

तापस का पूरा नाम टेक्टिकल एयरबॉर्न प्लेटफॉर्म फॉर एरियल सर्विलांस बियॉन्ड होराइजन (टीएपीएएस) है। यह भारत का पहला मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस यूएवी है, जो अमेरिका के एमक्यू-1 प्रीडेटर ड्रोन जैसा ही है। तापस अपने आप ही टेक ऑफ और लैंड करने की क्षमता रखने वाला ड्रोन है। इसे पहले रुस्तम-2 के नाम से पुकारा जाता था, जिसकी अधिकतम रफ्तार 224 किलोमीटर प्रति घंटा थी। 20.6 मीटर के विंगस्पैन वाला यह ड्रोन फिलहाल लगातार 1000 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है। यह 28 हजार फीट की ऊंचाई पर 18 घंटे से ज्यादा की उड़ान भर सकता है। डीआरडीओ के तापस मीडियम-एल्टीट्यूड लॉन्ग-एंड्योरेंस मानव रहित हवाई वाहन को एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (एडीए) ने विकसित किया है।

डीआरडीओ का तापस यूएवी उड़ान परीक्षण के दौरान दो बार दुर्घटनाग्रस्त हो चुका है। पहली दुर्घटना सितंबर, 2019 में हुई थी। दूसरी बार इसी साल 20 अगस्त को चित्रदुर्ग परीक्षण रेंज में दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। जब यह यूएवी दुर्घटनाग्रस्त हुआ, उस समय मैदान पर कोई नहीं था। डीआरडीओ के अधिकारियों ने इस घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं। चित्रदुर्ग में दुर्घटनाग्रस्त हुआ तापस ड्रोन जल्द ही शुरू होने वाले उपयोगकर्ता परीक्षणों से पहले परीक्षण उड़ान में 5 प्रोटोटाइप में से एक है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को 76 यूएवी बनाने थे, जिसमें सेना को 60, वायु सेना को 12 और नौसेना को 4 यूएवी के जरिये दिन-रात के हवाई निगरानी मिशन को अंजाम देना था। इस मानव रहित विमान की परिकल्पना 2016 में की गई थी।

हालांकि डीआरडीओ की ओर से इस बात की पुष्टि नहीं की गई है लेकिन सरकारी सूत्रों के अनुसार रुस्तम-2 यानी तापस कार्यक्रम को मिशन मोड में बंद कर दिया गया है। सरकार ने इसके लिए डीआरडीओ को दिए गए अलग फंड से एक उत्पादन एजेंसी के सहयोग से रुस्तम मेल यूएवी परियोजना के विकास के लिए हरी झंडी दे दी है। साथ ही एडीई को सेना, वायु सेना और नौसेना की जरूरत को देखते हुए तापस यूएवी की 30 हजार फीट ऊंचाई पर लगातार 24 घंटे की उड़ान क्षमता पूरा करने के लिए कहा गया है। इन दोनों लक्ष्यों को हासिल करने के बाद तापस यूएवी कार्यक्रम को मंजूरी देने की शर्त लगाई गई है।

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