सूरत : अवैध टेलीफोन एक्सचेंज स्थापित कर अंतरराष्ट्रीय कॉलों को स्थानीय कॉलों पर डायवर्ट करने के रैकेट का पर्दाफाश
नेटवर्क दुबई से जिगर टोपीवाला द्वारा संचालित होता था, सूरत में दो आरोपी गिरफ्तार
सूरत के महिधरपुरा इलाके में अवैध रूप से टेलीफोन एक्सचेंज स्थापित करने और अंतरराष्ट्रीय कॉल को स्थानीय कॉल में बदलने के चल रहे रैकेट को गति देने के लिए गुजरात एटीएस और सूरत की अपराध शाखा टीम ने एक संयुक्त अभियान चलाया। दूरसंचार विभाग के दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर चलाए जा रहे रैकेट में दो आरोपियों को 2.48 लाख के माल के साथ गिरफ्तार किया गया है। जबकि दुबई में रहने वाले आरोपियों सहित चार लोगों को वांछित घोषित किया गया है, सूरत क्राइम ब्रांच ने आगे की जांच की है।
सूरत क्राइम ब्रांच और गुजरात एटीएस के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस को सूचना मिली थी कि सूरत के महिधरपुरा इलाके में अवैध रूप से टेलीफोन एक्सचेंज स्थापित कर नियमों का उल्लंघन कर अंतरराष्ट्रीय कॉल को लोकल कॉल में बदलने का रैकेट चल रहा है जो दूरसंचार विभाग की गाइडलाइन का भंग है। क्राइम ब्रांच की टीम ने संयुक्त अभियान चलाकर महिधरपुरा में चल रहे एक अवैध टेलीफोन एक्सचेंज पर छापा मारा। वहां से सौरभ चिन्मय सरकार और प्रेम उर्फ बोनी बिपिनचंद्र रंगे हाथ पकड़े गए जो आईएसडी कॉल को लोकल कॉल कॉल में बदलने का रैकेट चला रहे थे। भवानी विला की तीसरी मंजिल पर पुलिस ने फायरवॉल समेत अलग-अलग कंपनियों के 28 सिम बॉक्स जब्त किए, जिनकी कीमत 2.48 लाख है।
दोनों आरोपियों से की गई पूछताछ के मुताबिक, यह रैकेट मुख्य रूप से जिगर दीपकभाई टोपीवाला द्वारा संचालित किया जाता है। जो सीधे नेटवर्क दुबई से संचालित होता है। सूरत के दोनों आरोपियों का संपर्क दुबई में रहने वाले आरोपी जिगर दीपक टोपीवाला से हुआ था। दोनों आरोपियों ने सूरत के महिधरपुरा स्थित भवानी विला में फैक्शन ब्रॉडबैंड इंटरनेट कंपनी के नीचे तीसरी मंजिल पर दुबई में विभिन्न कंपनियों और गेमिंग के लिए अवैध रूप से भारत में अंतर्राष्ट्रीय कॉल करने के लिए कॉलिंग सॉफ्टवेयर विकसित किया था। सिमबॉक्स को एक्टिवेट करने के लिए सीपीयू और सिमबॉक्स को पार्सल में भेजकर वॉयटेक कंपनी के टेक्नीशियन के पास भेजा गया। यहां अन्य पार्टियों के मोबाइल सिम कार्ड को एक्टिवेट कर इंटरनेट कनेक्शन देकर सिस्टम ऑन करने के बाद दुबई से आने वाली इंटरनेशनल कॉल्स बंद कर उसे स्थानीय में स्थानांतरित कर दिया गया। इस तरह कॉल करने वाले की पहचान छिपाकर अवैध तरीके से टेलीफोन एक्सचेंज बनाकर देश की सुरक्षा को खतरे में डालने और भारत व टेलीकॉम कंपनी को आर्थिक नुकसान पहुंचाने की बात सामने आई।