साल 2014 के बाद ही सही मायनों में लोकतंत्र आया, इससे पहले एक परिवार के लिए ही थी राजनीति : शहजाद पूनावाला
इस कार्यक्रम के पहले सत्र में राजनीति पर चर्चा हुई
सूरत, 24 दिसंबर (हि.स.)। सूरत के वीर नर्मद दक्षिण गुजरात यूनिवर्सिटी के प्रांगण में सूरत लिटरेरी फाउंडेशन की ओर से आयोजित सूरत लीट फेस्ट के अंतिम दिन वर्ष 2047 में भारत कैसा होगा उस पर मंथन हुआ। इस कार्यक्रम के पहले सत्र में राजनीति पर चर्चा हुई। जिसमें वर्तमान राजनीति में युवाओं की भागीदारी के साथ-साथ आज के समय में बदले राजनीतिक परिप्रेक्ष्य पर चर्चा की गई जिसमें भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि साल 2014 के बाद ही सही मायनों में लोकतंत्र आया है, इससे पहले कहा जाता था कि एक परिवार के लिए ही राजनीति थी। ज़ब की गुरु प्रसाद पासवान ने अपने पिता पूर्व केन्द्रीय मंत्री संजय पासवान के राजनीतिक विचारों पर अपनी बातें रखीं थी।
दूसरा सत्र विशेष सत्र के रूप में आयोजित किया गया, जिसमें कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने मौजूदा सरकार द्वारा कानून में बदलाव का विरोध किया और अपील की कि कानून बदलने से नहीं बल्कि व्यवस्था बदलने से लोगों को न्याय मिलेगा। इस सत्र का संचालन पत्रकार सुमित अवस्थी ने किया था। तीसरे सत्र में भारतीय सिनेमा पर चर्चा हुई, जिसमें मशहूर हिट फिल्म द केरला स्टोरी की एक्ट्रेस अदा शर्मा ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा की में फ़िल्म इंडस्ट्री से नहीं हूँ, बाहरी हूँ तो मुझे इंडस्ट्री का साथ नहीं मिला लेकिन मेरी फ़िल्म टीकेएस को जनता ने स्वयं प्रचार करके हिट करवाया। इसके साथ ही उन्होंने अपनी आने वाली फिल्म बस्तर के बारे में भी बात की।
चौथा सत्र भारतीय मीडिया पर आयोजित किया गया, जिसमें पत्रकार अजीत भारती ने कहा कि "बहुत से लोग सोचते हैं कि सरकार विरोधी होना पत्रकारिता है। लेकिन यह काम नक्सली कर रहे हैं ज़बकि मीडिया को सकारात्मक बात भी करनी चाहिए।" वहीं स्वाति गोयल शर्मा ने लव जिहाद को लेकर अपने अनुभव के बारे में लोगों को बताया।
पत्रकार अनुराग सक्सेना ने इस बात पर प्रकाश डाला कि मौजूदा सरकार किस तरह विकास के साथ-साथ विरासत को भी कायम रख रही है। इस पूरे सत्र का संचालन दीपिका वशिष्ठ ने किया। अंत में पवित्रा श्रीनिवासन द्वारा गीता नाट्यम प्रस्तुत किया गया। सूरत लिटरेरी फाउंडेशन द्वारा आयोजित सूरत लिट फेस्ट तीन दिवसीय कार्यक्रम का यह दूसरा संस्करण था। इन तीन दिनों में विशेषज्ञों ने विभिन्न विषयों पर चर्चा की कि अगले 25 वर्षों में जब भारत अपनी आजादी के 100 वर्ष पूरे करेगा तो भारत कैसा होना चाहिए। सूरत लिटरेरी फाउंडेशन की ओर से आने वाले समय में भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।