स्वास्थ्यप्रद जीवन देने के साथ प्राकृतिक कृषि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का निराकरण भी है: राज्यपाल

योग के आधार और प्राकृतिक कृषि के समन्वय से मानवजाति को स्वस्थ बनाने का आह्वान

स्वास्थ्यप्रद जीवन देने के साथ प्राकृतिक कृषि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का निराकरण भी है: राज्यपाल

वडोदरा, 18 दिसंबर (हि.स.)। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने सोमवार को कहा कि योग प्रशिक्षक और प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के सुगम समन्वय से समग्र मानवजाति को उत्तम स्वास्थ्य प्रदान किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि गुजरात में नागरिकों को स्वस्थ बनाने के लिए गुजरात राज्य योग बोर्ड द्वारा लाखों लोगों को योग सिखाकर ईश्वरीय कार्य किया गया है। अब योग बोर्ड गुजरात में उसके लाखों योग प्रशिक्षकों द्वारा योग के आधार पर प्राकृतिक आहार के लिए व्यापक जनजागृति पैदा कर लोगों को स्वस्थ बनाने के पुण्य कार्य में शामिल हो रहा है। यह कार्य बहुत प्रशंसनीय है।

वडोदरा के सयाजीनगर गृह में गुजरात राज्य योग बोर्ड द्वारा सोमवार को आयोजित 'योग का आधार-प्राकृतिक आहार' विषयक परिसंवाद में राज्यपाल ने सम्बोधन किया और शहर के मांजलपुर में प्राकृतिक कृषि उत्पाद वितरण केंद्र का शुभारम्भ किया। यहां नागरिकों को प्राकृतिक कृषि उत्पाद सरलता से उपलब्ध होंगे। सभी योग कोच और योग प्रशिक्षकों को इस मुहिम में शामिल होने के लिए धन्यवाद करते हुए राज्यपाल ने योग साधना और प्राकृतिक आहार मिशन को संयुक्त रूप से चलाने का आह्वान किया। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित तमाम योग कोच, योग प्रशिक्षकों और योग साधकों को सुझाव दिया कि योग क्लासेज में आने वाले सभी लोगों को प्राकृतिक आहार लेने का आग्रह किया जा सकता है। उन्होंने सभी को आह्वान किया कि वह प्राकृतिक आहार का प्रचार- प्रसार करें, तो बेहतर परिणाम हासिल होंगे।

राज्यपाल पिछले वर्ष विदेश से 2.50 लाख करोड़ मूल्य का रासायनिक खाद हमारे भारत को आयात करना पड़ा है। इसको चिंताजनक वास्तविकता करार देते हुए राज्यपाल ने कहा कि धरतीमाता का ऋण चुकाएं और रासायनिक खाद के माध्यम से जहर ना परोसा जाए। प्राकृतिक कृषि के गुणों और लाभों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि असाध्य और गम्भीर बीमारी के साथ ही ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज का निराकरण भी प्राकृतिक कृषि ही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विजन है कि प्राकृतिक कृषि से लोग स्वस्थ और किसान समृद्ध बनें। गुजरात में 9 लाख किसान प्राकृतिक खेती के साथ जुड़ चुके हैं, इसका गौरवपूर्ण उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि आगामी दो वर्ष में गुजरात को जहरमुक्त खेती करने वाला राज्य बनाएंगे। इस संकल्प के साथ उन्होंने योग साधकों को 'सिपाही' कहकर सम्बोधित करते हुए लोगों को इस विषचक्र से बाहर निकालने की मुहिम चलाने की प्रेरणा दी। राज्यपाल ने परिसंवाद में अपने निजी और सामाजिक जीवन के अनेक दिलचस्प उदाहरण देते हुए लोगों को योग और प्राकृतिक आहार द्वारा जीवन को सुखमय, स्वास्थ्यप्रद और समृद्ध बनाने की प्रेरणा दी।

गुजरात राज्य योग बोर्ड के चेयरमैन एवं योग सेवक शीशपाल ने कहा कि भारत प्राचीन ऋषि और कृषि संस्कृति वाला देश है। योग भारतीय संस्कृति की विश्व को देन है। योग और प्राकृतिक कृषि का समन्वय करके, लोग शुद्ध और स्वास्थ्यप्रद आहार लेने लगें, इस आशय के साथ परिसंवाद का आयोजन किया गया है। आज योग और प्राकृतिक आहार का संयोग हुआ है। मेयर पिंकीबेन सोनी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय संस्कृति की प्राचीन परम्परा योग विद्या को समग्र विश्व के समक्ष उजागर किया है। योग द्वारा तन और मन को तन्दुरुस्त रखा जा सकता है। उसी तरह प्राकृतिक आहार के सेवन से मानव स्वास्थ्य को बचाया जा सकता है। इस परिसंवाद में विधायक केयुरभाई रोकडिया, चैतन्यभाई देसाई, प्रकाशभाई वरमोरा, योग बोर्ड के सदस्य, योग कोच, योग प्रशिक्षक, योग साधक, नगर सेवक, नागरिक और प्राकृतिक खेती करने वाले किसान भारी संख्या में उपस्थित थे।

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