सूरत : दिवाली पर ट्रेन में चढ़ने के लिए धक्का मुक्की,  क्षमता से चार गुना अधिक यात्रा करने को मजबूर

सूरत रेलवे स्टेशन पर छठ पूजा के चलते अपने गृहनगर जाने वाले लोगों के लिए परेशानी 

सूरत : दिवाली पर ट्रेन में चढ़ने के लिए धक्का मुक्की,  क्षमता से चार गुना अधिक यात्रा करने को मजबूर

सूरत एक औद्योगिक शहर है, यहां कई राज्यों के लोग रहते हैं। रोजगार की तलाश में आने वाले लोगों ने सूरत को अपनी कर्मभूमि बना लिया है। दिवाली के त्योहार को ध्यान में रखते हुए लोग अपने वतन जा रहे हैं। खासकर बिहार के सूरत में रहने वाले लाखों लोग छठ पूजा के लिए अपने गृहनगर जा रहे हैं। नतीजन सूरत रेलवे स्टेशन की हालत खस्ता हो गई है।

सूरत एक महानगरीय शहर है, सूरत को लघु भारत के नाम से भी जाना जाता है। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के लोग भी रोजगार के उद्देश्य से सूरत में रहते हैं। शहर में रहने वाले ये प्रवासी दिवाली तथा छठ त्यौहार मनाने के लिए अपने मूल स्थान उत्तर भारत के लिए रवाना हो गए हैं। हालाँकि, सूरत के प्रवासियों के लिए अपनी मातृभूमि की लालसा बहुत अधिक हो रही है। 1700 की क्षमता वाली ट्रेन में 5000 से ज्यादा यात्री सफर करने को मजबूर हैं।

दिवाली और छठ पूजा जैसे त्योहारों के दौरान सूरत में रहने वाले हजारों उत्तर भारतीय अपने गृहनगर जा रहे हैं। सूरत रेलवे स्टेशन पर छपरा जाने वाली तापी गंगा एक्सप्रेस ट्रेन में यात्रा करने के लिए बड़ी संख्या में तीर्थयात्री सूरत रेलवे स्टेशन पर उमड़ रहे हैं। मानो रेलवे स्टेशन पर मेला लगा हो। जनरल कोच में बैठने के लिए यात्री 24 से 48 घंटे तक लाइन में खड़े रहे।  इतने लंबे इंतजार के बाद भी कोई सीट नहीं मिली।  कुछ यात्री खिड़की में तो कुछ शौचालय में बैठने को मजबूर हैं। कुछ यात्री ऐसे भी हैं जो टिकट होने के बावजूद ट्रेन में जगह नहीं होने के कारण यात्रा नहीं कर सके। भीड़ अधिक होने के कारण टिकट लेकर खड़े यात्री ट्रेन में नहीं चढ़ सके।

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