बिजली क्षेत्र में बदलाव की वजह से भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था का देश बना : आरके सिंह
कहीं कोयला पैदा होता है, कहीं पवन और कहीं सौर ऊर्जा
नई दिल्ली, 6 नवंबर (हि.स.)। केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा कि बिजली क्षेत्र में बदलाव की वजह से भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था का देश बन गया। अगर हमने बिजली क्षेत्र में बदलाव नहीं लाया होता तो ऐसा संभव नहीं हो पाता। वह सोमवार को भारत मंडपम में आयोजित राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के बिजली और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रियों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
आरके सिंह ने कहा कि हम बिजली में राजनीति नहीं करते हैं। यह पूरी तरह से एकीकृत प्रणाली है। बिजली का उत्पादन किसी राज्य में होता है और खपत 3-4 अलग-अलग राज्यों में होती है। कहीं कोयला पैदा होता है, कहीं पवन और कहीं सौर ऊर्जा। हम कोई पक्षपात नहीं करने जा रहे हैं। सभी को कमी को साझा करना होगा और सभी को पूरा करना होगा। इन्होंने इसे चुनौतीपूर्ण कार्य बताया और राज्यों से कृषि भार को नवीकरणीय ऊर्जा में बदलने और रात के लिए कोयला आधारित उत्पादन को संरक्षित करने के लिए पीएम-कुसुम का लाभ उठाने को कहा।
केंद्रीय उर्जा मंत्री ने कहा कि अगस्त, सितंबर और अक्टूबर 2023 में पिछले साल की तुलना में मांग 20 प्रतिशत अधिक बढ़ गई। इससे पता चलता है कि हमारी अर्थव्यवस्था कितनी तेजी से बढ़ रही है। हाल ही में 2.41 लाख मेगावाट की अधिकतम मांग को पूरा किया जबकि 2017-18 में अधिकतम मांग 1.9 लाख मेगावाट थी। यदि अधिकतम मांग और अधिक बढ़ती है, तो हम इसे पूरा करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं। यह एक चुनौती है, जिसका हमें समाधान करना होगा। बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए सभी राज्यों को सभी बिजली संयंत्रों को पूरी क्षमता से चलाने की आवश्यकता है।
केंद्रीय उर्जा मंत्री ने कहा कि सरकार ने बढ़ती मांग की चुनौती से निपटने का एक तरीका यह सोचा है। इसके लिए बिजली संयंत्रों को पूरी क्षमता से चलाने की जरूरत है। कुछ राज्य अपने बिजली संयंत्रों को चरम क्षमता पर नहीं चलाते हैं और इसके बजाय केंद्र के पूल से बिजली मांगते हैं। यदि कोई राज्य चरम मांग पर अपने संयंत्र नहीं चला रहा है, तो हम केंद्रीय पूल से पूरा नहीं कर पाएंगे। ऐसे में जरूरी है कि सभी संयंत्र पूरी क्षमता से चलें। बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए निर्माणाधीन लगभग 80,000 मेगावाट तापीय क्षमता की आवश्यकता है। यह सारी क्षमता वृद्धि सार्वजनिक क्षेत्र के माध्यम से की जा रही है। उन्हाेंने यकीन दिलाते हुए यह भी कहा कि हमने प्रणाली को ज्यादा रिटर्न मिलने के लिए व्यावहारिक बना दिया है, इसलिए निजी क्षेत्र का भी निवेश आएगा।
उन्होंने कहा कि घरेलू कोयले की खपत और आवक के बीच का अंतर एक और चुनौती है। कोल इंडिया ने उत्पादन बढ़ाया होगा लेकिन हमारी मांग तेजी से बढ़ी है। इससे कमी हो गई है और इसीलिए हमें 6 प्रतिशत मिश्रण करने की आवश्यकता है। एनटीपीसी और डीवीसी सम्मिश्रण कर रहे हैं, राज्यों को भी कोयले की कमी के आधार पर सम्मिश्रण करना चाहिए। मंत्री ने राज्यों से कोयला बेल्ट के पास नए बिजली संयंत्र स्थापित करने का आग्रह किया ताकि कोयले की लंबी दूरी के परिवहन और रेक की उपलब्धता से संबंधित समस्याएं उत्पन्न न हों।
केंद्रीय उर्जा मंत्री ने कहा कि आगामी सीओपी-28 बैठक में कोयले के उपयोग को कम करने पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद है लेकिन भारत हमारे विकास के लिए बिजली की उपलब्धता पर कोई समझौता नहीं करेगा। सीओपी -28 संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित होने जा रहा है। सीओपी में देशों पर कोयले का उपयोग कम करने का दबाव बनने जा रहा है लेकिन हम अपनी वृद्धि के लिए बिजली की उपलब्धता से समझौता नहीं करने जा रहे हैं। हालांकि उन लक्ष्यों को हासिल करने की जरूरत है और हम हासिल करेंगे, जो हमने सीओपी में अपने लिए निर्धारित किए थे।