चीन की कोरोना वैक्सीन लगवा कर पछता रहे ये देश
By Loktej
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वैक्सीन के दोनों डोज़ लगवाने के बाद भी नहीं विकसित हो रहे एंटीबॉडी, कुछ देशों ने किया तीसरा डोज़ लगाने का निर्णय
दुनिया भर में फैले कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सभी देशों द्वारा टीकाकरण कार्य चालू कर दिया गया है। जिन देशों ने वैक्सीन बना ली है, वह अन्य देशों के साथ अपनी वैक्सीन साझा कर रहे है। ऐसे में जिन देशों ने चीन से प्राप्त कोरोना वैक्सीन लगवाई है, वह कुछ परेशान से लग रहे है। चीन द्वारा विकसित दो टीके Synopharm और Synovac Biotech Ltd. को WHO ने मंज़ूरी दे दी है। इन दोनों कंपनियों के टीके को चीन ने विकासशील देशों को भेजे हैं, जो अमेरिका या यूरोपीय देशों में बने टीकों को खरीदने में सक्षम नहीं हैं।
पर जिन देशों में चीन ने यह टीके भेजे है वहाँ से कुछ ज्यादा अच्छी खबरें सामने नहीं आ रही। बहरीन और सेशेल्स ऐसे कुछ देश है, जहां चीन द्वारा भेजी गई वैक्सीन लगाने के बावजूद लोग काफी तेजी से कोरोना संक्रमित हो रहे है। जिसके चलते इन देशों ने फाइजर का टीका लगाना शुरू कर दिया है। बता दे की संयुक्त आरब अमीरात (UAE) ने भी उन लोगों को फिर से फाइजर की वैक्सीन लगवाई है, जिन्होंने चीन निर्मित सिनोफार्म वैक्सीन के दो डोज़ लिए थे।
वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, बहरीन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बड़े पैमाने पर टीकाकरण के बावजूद जब कोरोना के केस और भी तेजी से बढ्ने लगे तो रिस्क ग्रुप में आने वाले सभी को फिर से फाइजर का टीका दिया गया। बहरीन में अब तक चीन की सरकारी कंपनी द्वारा निर्मित सिनोफार्म वैक्सीन को 60 प्रतिशत आबादी को लगवाया गया है। फिर भी फिलहाल चल रही कोरोना लहर में 90 संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था। जिसके चलते अब तक जिन लोगों का टीकाकरण नहीं हुआ है, उन्हें अब फाइजर का टीका लगाया जाएगा। हालांकि सभी को चीनी वैक्सीन का भी विकल्प दिया जाएगा। पर अत्याधिक रूप से संवेदनशील, वृद्ध लोगों को फाइजर की वैक्सीन लगाने की सलाह ही दी जा रही है।
बता दे कि चीन के वैक्सीन सिनोफार्म की प्रभावशीलता पर बहुत कम डेटा है। चीनी वैक्सीन परीक्षण में अधिकांश उम्मीदवार मध्य पूर्व के (40,382) थे, जिनमें से अधिकांश संयुक्त अरब अमीरात से थे। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल में 26 मई को प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि सिनोफार्मा ने 78 प्रतिशत रोगसूचक रोगियों को प्रभावित किया। हालांकि यह टीका गंभीर मामलों में कितना कारगर है, इसकी कोई जानकारी नहीं है। अध्ययन में इस बात का भी कोई डेटा नहीं मिला कि 60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लिए सिनोफार्म वैक्सीन प्रभावी है या नहीं।
सर्बिया में सिनोफार्म पर एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि चीनी वैक्सीन की दो खुराक लेने के बाद भी, 150 उम्मीदवारों में से 29 प्रतिशत में वायरस के प्रति एंटीबॉडी नहीं दिखा। सिनोफार्मा वैक्सीन इम्युनिटी बनाने में कारगर नहीं है। जिसका असर बुजुर्गों पर कम से कम होता है। इस संबंध में सिनोफार्म से पूछताछ की गई लेकिन चीनी कंपनी ने कोई जवाब नहीं दिया। कंपनी ने अभी तक सार्वजनिक रूप से वैक्सीन की प्रभावशीलता के बारे में सवालों के जवाब नहीं दिए हैं। सेशेल्स की 65 प्रतिशत आबादी ने टीकाकरण किया है, लेकिन फिर भी कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि कोरोनावायरस से संक्रमित ज्यादातर लोगों ने या तो वैक्सीन नहीं ली है या वैक्सीन की एक खुराक ली है। ऐसे में सेशेल्स का स्वास्थ्य मंत्रालय अब अपने नागरिकों को तीसरी खुराक देने पर विचार कर रहा है।
इसके पहले UAE ने भी मार्च में कहा था कि जिन लोगों में टीके की दो खुराक लेने के बावजूद एंटीबॉडी विकसित नहीं हुई थी, उन्हें सिनोफार्म की तीसरी खुराक दी जाएगी। संयुक्त अरब अमीरात में भी, ज्यादातर लोगों को चीनी सिनोफार्म वैक्सीन दी है, लेकिन जिन लोगों को अभी तक टीका नहीं लगाया गया है उन्हें अब बहरीन की तरह आँय टीकों का विकल्प दिया जा रहा है। दुबई में जिन लोगों को सिनोफॉर्म की दो खुराक दी गई थी, उन्हें अब फाइजर वैक्सीन दी जा रही है। बता दे की दुबई के शासक शेख मोहम्मद बिन राशिद अल-मकतूम, सर्बिया के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वुसिक और फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते उन नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने सार्वजनिक रूप से चीन का सिनोफार्म वैक्सीन लिया है।