हाइकोर्ट का बीमा कंपनियों को कडा निर्देश, हर बार एक्सीडेंट को तेज स्पीड के साथ ना जोड़े कंपनियाँ

2004 में सड़क दुर्घटना में हो गई थी युवक की मौत

इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा एक सड़क दुर्घटना में एक नेशनल बीमा कंपनी को 33.50 लाख देने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा की किसी बेट की दुर्घटना में व्यक्ति की मौत उसके परिवार के लिए काफी बड़ा सदमा है। इसके साथ ही कोर्ट ने बीमा कंपनियों को ड्राइविंग के दौरान हुई मौत में हर बार तेज रफ्तार से गाड़ी चलाने की बात से नहीं जोड़ा जा सकता। हर दिन किसी न किसी व्यक्ति की जान सड़क दुर्घटना में जाती ही है, ऐसा ही एक मामला 20 जुलाई 2004 में अभिषेक नामक युवक के साथ हुआ था। सड़क दुर्घटना में उसकी मौत हो गई थी। अभिषेक की इस तरह की मौत के चलते मुआवजे का दावा किया गया था। 
कोर्ट ने कहा की किसी भी माता-पिता के लिए उनके जीवित रहते उनके पुत्र की मृत्यु हो जाना किसी भी सदमे से कम नहीं है। हम उनके दुख की कल्पना भी नहीं कर सकते। एक और माता ने अपना पिता खोया और अब उसके पति भी नहीं रहे, ऐसे में महिला किस तरह अपना जीवन बीता रही होगी उसे कोई सोच भी नहीं सकता। इसके चलते कोर्ट ने बीमा कंपनी को मुआवजे की रकम देने का निर्देश दिया था। हालांकि कोर्ट के निर्देश देने के बाद बीमा कंपनी ने बताया की ट्रक की स्पीड अधिक थी। जिस पर कोर्ट ने बताया की हर बार लापरवाह तरीके से ड्राइविंग करने को तेज रफ्तार से नहीं जोड़ा जा सकता। 
कोर्ट ने बीमा कंपनी को मुआवजे की सारी रकम 8 प्रतिशत व्याज के साथ देने के निर्देश दिये है। कोर्ट ने कहा की यदि ड्राईवर लापरवाही से ट्रक चला भी रहा था, तो भी ट्रक का बीमा लिया हुआ था। इसके चलते बीमा कंपनी को उचित मुआवजे का भुगतान करना चाहिए।